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Home बरेली न्यूज़

mental or gut health ke liye kharab hai toxins, मेंटल और गट हेल्थ के लिए खराब है जहरीले रसायन

bareillyonline.com by bareillyonline.com
6 March 2024
in बरेली न्यूज़
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mental or gut health ke liye kharab hai toxins, मेंटल और गट हेल्थ के लिए खराब है जहरीले रसायन
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टॉक्सिंस हानिकारक पदार्थ हैं, जो प्राकृतिक या सिंथेटिक रूप से उत्पन्न हो सकते हैं। ये वातावरण, खाना, पानी आदि जैसी चीजों में मौजूद होते हैं। वहीं ये आपकी त्वचा पर इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स में भी हो सकते हैं।

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वातावरण में तरह-तरह प्रदूषक मौजूद हैं, जैसे की धूल, गंदगी, केमिकल आदि। यह सभी हमारे शरीर में रेस्पिरेशन, खाद्य पदार्थ, पानी आदि के माध्यम से प्रवेश करते हैं, और हमारी बॉडी में टॉक्सिंस के रूप में जमा हो जाते हैं। ये टॉक्सिंस ब्लड को इम्पयूर कर देते हैं, जिससे की शरीर को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए हम सभी को टॉक्सिंस के बारे में जरूरी जानकारी होनी चाहिए। हमें पता होना चाहिए कि यह किस प्रकार हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं, और किस तरह हमारी बॉडी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। न्यूट्रीशनिस्ट और हेल्थ टोटल की फाउंडर अंजलि मुखर्जी ने बॉडी टॉक्सिंस के बारे में कुछ जरूरी जानकारी दी है। तो चलिए एक्सपर्ट से जानते हैं इस बारे में सब कुछ।

पहले जानें टॉक्सिंस क्या है?

टॉक्सिंस हानिकारक पदार्थ हैं, जो प्राकृतिक या सिंथेटिक रूप से उत्पन्न हो सकते हैं। ये वातावरण, खाना, पानी आदि जैसी चीजों में मौजूद होते हैं। वहीं ये आपकी त्वचा पर इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स में भी हो सकते हैं। जब टॉक्सिक पदार्थ स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होते हैं, तो वे लिविंग सेल्स या ऑर्गेनिज्म के भीतर उत्पन्न होते हैं। ये नेचुरल टॉक्सिंस स्वयं हानिकारक नहीं होते, लेकिन जब ये शरीर में प्रवेश करते हैं तो मनुष्यों सहित अन्य प्राणियों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

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टॉक्सिंस के बढ़ने से घबराहट महसूस होती है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

इस तरह आपकी बॉडी में दाखिल होते हैं टॉक्सिंस

सांस लेना यानी की एयर इन्हेल करना केमिकल के संपर्क में आने का सबसे आम तरीका है। डस्ट और वेपर को अंदर लेने से, केमिकल्स रेस्पिरेटरी ट्रैक में चले जाते हैं और ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश कर जाते हैं।

केमिकल्स और प्रदूषक बॉडी में अवशोषित हो सकते हैं। अवशोषण तब होता है जब केमिकल्स त्वचा या आंखों को छूते हैं, ऐसे में आंखों में जलन या टिशु डिस्ट्रक्शन, जलन या ब्लाइंडनेस का कारण बनते हैं। रसायन त्वचा से गुजरते हुए और ब्लडस्ट्रीम में प्रवेश करते हुए शरीर में समस्याएं पैदा करते हैं।

इंजेशन तब होता है जब पदार्थ मुंह के माध्यम से पाचन तंत्र में प्रवेश करते हैं। वहीं जब ये ब्लडस्ट्रीम तक पहुंच जाते हैं, तो समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

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कॉन्टैमिनेटेड नुकीली वस्तु शरीर में प्रवेश कर ब्लडस्ट्रीम में दाखिल हो सकती है। हालांकि, यह दुर्लभ है, लेकिन रसायनों के द्वारा नुकसान पहुंचाने के लिए इंजेक्शन सबसे तेज़ तरीका है।

टॉक्सिंस इस तरह आपकी बॉडी को प्रभावित कर सकता है:

1. पाचन क्रिया पर पड़ता है नकारात्मक असर

शरीर में टॉक्सिन की बढ़ती मात्रा आपके पाचन क्रिया पर नकारात्मक असर डाल सकती है। जब शरीर में टॉक्सिक पदार्थ भर जाते हैं, जो पाचन क्रिया संकेत देती है की आपके बॉडी को डिटॉक्स की आवश्यकता है। अपच, पेट खराब होना, कब्ज, एसिडिटी, ब्लोटिंग आदि बताते हैं कि बॉडी में टॉक्सिंस का स्तर बढ़ चुका है। लिवर एक प्रमुख ऑर्गन है जो टॉक्सिक पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद करता है। आसान शब्दों में समझें तो ये आपके बॉडी में जानें वाले सभी पदार्थों को फिल्टर करता है, और आपको स्वस्थ रखता है।

2. लगातार थकान महसूस करना

यदि आप शारीरिक रूप से स्थिर रहने और प्रयाप्त नींद प्राप्त करने के बाद भी थकान का अनुभव कर रही हैं, और पहले की तरह सक्रिय नहीं रह पा रही हैं तो समझ जाएं की आपके शरीर में टॉक्सिंस का स्तर बढ़ चुका है। टॉक्सिंस के बढ़ने से घबराहट महसूस होती है, या आप दिन के अंत में अत्यधिक थकान महसूस कर रही होती हैं, तो यह आपके लिए एक संकेत है। थकान एड्रिनल ग्लैंडस के लिए बहुत अधिक तनाव पैदा कर देता है। ऐसे में अपने शरीर को वापस से रिकवर करने के लिए आपको डिटॉक्सिफिकेशन की आवश्यकता होती है।

3 मूड स्विंग, टेंशन और अनिद्रा

क्या बैठे बैठे आपका मूड खराब हो जाता है या आपको फ्रीक्वेंट मूड स्विंगस होते हैं? क्या आप छोटी छोटी बातों पर अधिक तनाव ले रही हैं? यदि हां तो ये सभी शरीर में टॉक्सिक पदार्थों के बढ़ते स्तर का संकेत है। शरीर में टॉक्सिंस की बढ़ती मात्रा, आपके नींद की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में आप मानसिक रूप से बैचेन रहती हैं और आपको नींद नहीं आती।

4. वजन में उतार-चढ़ाव

यदि आपके वजन में लगातार उतार चढ़ाव आ रहा है, तो ये शरीर में टॉक्सिंस के बढ़ने का संकेत हो सकता है। एडिपोज टिश्यू जिन्हें फैट सेल के रूप में भी जाना जाता है, हमारा शरीर इन फैट सेल्स को तोड़ने के दौरान शरीर के में टॉक्सिक पदार्थों को छोड़ता है जिससे वजन बढ़ता है। वहीं टॉक्सिंस के बढ़ने से कई बार वेट लॉस भी देखने को मिल सकता है।

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हीं ब्लैक कॉफी भी डिटॉक्सिफिकेशन में आपकी मदद कर सकती है। चित्र:एडॉबीस्टॉक

5. स्किन प्रॉब्लम्स

शरीर में डॉक्टर की बढ़ती मात्रा त्वचा को प्रभावित कर सकती है। ऐसी स्थिति में ब्लड में टॉक्सिंस बढ़ जाता है, जिसकी वजह से ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा त्वचा तक नहीं पहुंचती। साथ ही पोषक तत्वों का अवशोषण भी प्रभावित होता है, जिसकी वजह से स्किन डैमेज हो सकता है, और पिंपल, एक्ने, ब्रेकआउट आदि जैसी समस्याएं आपको परेशान कर सकती हैं। वहीं टॉक्सिन के बढ़ने से क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन का खतरा भी बढ़ जाता है, जिसकी वजह से स्किन में सूजन आ सकता है।

अब जानें बॉडी डिटॉक्स का तरीका

हमारी बॉडी इस तरह से डिजाइन की जाती है, कि वे कुछ प्रकार के केमिकल, पोल्यूटेंट और टॉक्सिंस को टॉलरेट कर सके। ह्यूमन बॉडी के पास कुछ प्रकार के टॉक्सिंस को टॉलरेट करने की नेचुरल सुपरपॉवर होती है। परंतु कुछ प्रकार के टॉक्सिंस ऐसे होते हैं, जिन्हें बॉडी एलिमिनेट नहीं कर पाती है और ये शरीर को नुकसान पहुंचा सकती हैं। ऐसे में हमें अपनी बॉडी को समय-समय पर डिटॉक्स करने की आवश्यकता होती है। खासकर किडनी और लिवर डिटॉक्स बहुत जरूरी है, क्योंकि ये दो ऐसे अंग हैं, जो बॉडी टॉक्सिंस को फिल्टर कर देते हैं।

पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर या फिर कुछ अन्य डिटॉक्स ड्रिंक जैसे की बीटरूट जूस, मिक्स वेजिटेबल जूस, नींबू पानी आदि के माध्यम से भी बॉडी को डिटॉक्स किया जा सकता है। वहीं ब्लैक कॉफी भी डिटॉक्सिफिकेशन में आपकी मदद कर सकती है। इतना ही नहीं बॉडी को एक्टिव रखने का प्रयास करें और पसीना बहाएं क्योंकि बॉडी टॉक्सिंस पसीने के माध्यम से भी बाहर निकलती है। खासकर स्किन टॉक्सिंस को बाहर निकालने के लिए स्वेटिंग एक सबसे अच्छा आईडिया है।

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