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  • International हुआ Paytm, अब चुनिंदा अंतरराष्ट्रीय स्थानों पर भी मिलेंगी सेवाएंइन दिनों लोग डिजिटल पेमेंट या ऑनलाइन पेमेंट मोड का उपयोग काफी अधिक करने लगे है। ऑनलाइन पेमेंट कर आसानी से लोग लेन देन कर लेते है। पेटीएम के पेरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस (ओसीएल) ने कंपनी को लेकर बड़ी जानकारी साझा की है। पेटीएम के यूजर्स के लिए ये जानकारी काफी अहम है, खासतौर से अंतर्राष्ट्रीय यूजर्स के लिए। वन97 कम्युनिकेशंस (ओसीएल) ने पेटीएम यूजर्स के लिए संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, फ्रांस, मॉरीशस, भूटान और नेपाल समेत कई अंतर्राष्ट्रीय डेस्टिनेशन पर यूपीआई भुगतान सर्विस शुरू करने की मंगलवार को घोषणा की है। बता दें कि वन97 कम्युनिकेशंस (ओसीएल) के पास पेटीएम ब्रांड का स्वामित्व है। पेटीएम की नई सुविधा के आधार पर अब यूजर्स अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी खरीददारी करने के लिए पेमेंट कर सकेंगे। एक बयान के अनुसार, इस कदम से उपयोगकर्ता अपने पेटीएम ऐप के जरिये यूपीआई का उपयोग कर विदेश में खरीदारी, भोजन आदि की सेवाओं के लिए भुगतान करने में सफल होंगे। बयान की मानें तो वन97 कम्युनिकेशंस (ओसीएल) जो भारत की अग्रणी भुगतान तथा वित्तीय सेवा वितरण कंपनी है और जिसके पास क्यूआर, साउंडबॉक्स तथा मोबाइल भुगतान के अग्रणी पेटीएम ब्रांड का स्वामित्व है….उसने पेटीएम उपयोगकर्ताओं के लिए चुनिंदा अंतरराष्ट्रीय स्थानों पर यूपीआई भुगतान सेवा शुरू कर दी है।’’  भारतीय यात्री अब अपने पेटीएम ऐप का इस्तेमाल उन स्थानों पर निर्बाध, नकदी रहित भुगतान करने के लिए कर सकते हैं जहां यूपीआई स्वीकार किया जाता है। इनमें संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, फ्रांस, मॉरीशस, भूटान और नेपाल के लोकप्रिय स्थान शामिल हैं। पेटीएम के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ आगामी छुट्टियों के मद्देनजर हमें यकीन है कि यह कदम उपयोगकर्ताओं की विदेश यात्रा को और भी सुविधाजनक बना देगा। यह विस्तार प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह हमारे उपयोगकर्ताओं को सशक्त बनात […]

  • कौन हैं Mathira Mohammed? पाकिस्तानी इन्फ्लुएंसर का प्राइवेट वीडियो लीक, होस्ट ने किया आरोपों से इनकार पाकिस्तानी इन्फ्लुएंसर समुदाय लीक हुए गुप्त वीडियो को लेकर घोटाल […]

  • airtel jio and bsnl are offering the best plansइंटरनेट रोजाना की जिंदगी में एक अहम हिस्सा बन गया है। इंटरनेट के जरिए हर एक काम बेहद आसान हो […]

  • india ready to revolutionize maritime sector with investment of rs 80 lakh crore by 2047 sonowal प्रतिरूप फोटोANIसरकार बंदरगाह क्षमता, पोत परिवाहन और अं […]

  • कामकाज सुगम होने, निवेश विकल्प से बैंक व्यवस्था में संरचनात्मक बदलाव आया: SBIमुंबई । भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन सी एस शेट्टी ने कहा कि कामकाज सुगम होने और डिजिटलीकरण के साथ निवेश विकल्प से घरेलू बैंक व्यवस्था में संरचनात्मक बदलाव आ रहा है। शेट्टी ने एसबीआई के कार्यक्रम ‘विकसित भारत एट 2047’ में ‘युवा नेताओं की भूमिका’ विषय पर एक परिचर्चा में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह एक परिपक्व निवेश माहौल और डिजिटलीकरण का भी संकेत है, जिसने लोगों को बैंकों के अलावा अन्य स्थानों पर निवेश करने के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।’’ उन्होंने जमा राशि जुटाने को लेकर बढ़ती चिंताओं पर पूछे गये एक सवाल के जवाब में यह बात कही। उनसे पूछा गया था कि ज्यादातर लोग बैंकों में पैसा जमा करने के बजाय अपने पैसे के निवेश के अन्य रास्ते तलाश रहे हैं। एसबीआई चेयरमैन ने कहा कि कुछ साल पहले बैंक से जुड़े कार्य करना अधिक ‘कष्टदायक’ था और एसआईपी (निश्चित अवधि पर किया जाने वाला निवेश) में निवेश करना भी आसान काम नहीं था।उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आज, दो क्लिक के साथ, आप राशि को बैंक खाते से सावधि जमा या एसआईपी में स्थानांतरित कर सकते हैं। इसका मतलब है कि कारोबार करने में सुगमता के साथ निवेश के अवसरों से संरचनात्मक बदलाव भी हो रहा है।’’ हालांकि, शेट्टी ने कहा कि इसके बावजूद यह भी एक सच्चाई है कि पिछले दशक में बैंकों ने जमा पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान, बहुत सारे बैंक जमा नहीं चाहते थे। यह केवल एसबीआई ही था, जो इसे स्वीकार कर रहा था। ‘‘मुझे भरोसा है कि जैसे-जैसे व्यक्ति की आय का स्तर बढ़ता है, संपत्ति आवंटन होता है।’’ शेट्टी ने कहा, ‘‘मुझे आशा और विश्वास है कि बैंक जमा महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों में से एक होगी और इसपर वे नि […]

  • Air Pollution: ये हैं 5 किफायती EV कार जिन्हें खरीदकर प्रदूषण कम करने में भूमिका निभा सकते हैं आपदिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति बदतर होती जा रही है। इसका मुक […]

  • सरकार नवीकरणीय ऊर्जा घटकों के घरेलू विनिर्माण के लिए अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करेगी : Prahlad Joshiभुवनेश्वर । नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने विद्युत मंत्रालय के सहयोग से हरित ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए आवश्यक विभिन्न घटकों के स्वदेशी विनिर्माण के लिए अनुसंधान एवं विकास हेतु उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित करने का निर्णय लिया है। केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रहलाद जोशी ने अगले छह वर्षों में 2030 तक 500 गीगावाट (जीडब्ल्यू) नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के वास्ते रणनीति बनाने के लिए यहां आयोजित ‘चिंतन शिविर’ को संबोधित करने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। यह दो दिवसीय बैठक शुक्रवार को संपन्न हुई।जोशी ने कहा कि ‘इलेक्ट्रोलाइजर’ विकसित करने के लिए आवश्यक 200 से अधिक पुर्जे या घटक (कुल पुर्जों का 50 प्रतिशत से अधिक) अन्य देशों से आयात किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए ऐसे घटकों के स्वदेशी विनिर्माण के लिए संयुक्त अनुसंधान एवं विकास करने हेतु एक उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित किया जाएगा।’’ ‘इलेक्ट्रोलाइजर’ बिजली का इस्तेमाल कर पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करते हैं। यह नवीकरणीय या परमाणु बिजली से कम उत्सर्जन वाले हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी है।मंत्री ने बताया कि उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) ‘हैकथॉन’ का भी आयोजन करेगा और भारत को नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए युवाओं द्वारा संचालित स्टार्टअप को पूर्ण समर्थन प्रदान करेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए विद्युत मंत्रालय, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, उद्योग जगत के लोग और महत्वपूर्ण हितधारकों को शामिल करते हुए एक समर्पित कार्यबल गठित करने का भी निर्णय लिया गया है।उन्होंने कहा, ‘‘ हमें इस विशाल लक्ष्य को हासिल करने के लिए अगले छह वर्षों में अक्षय ऊर्जा उत्पादन में 288 गीगावाट जोड़ना होगा। पिछले 10 वर्षों में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में 22 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है, जबकि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए छह वर्षों में 42 लाख करोड़ रुपये की और आवश्यकता है।’’ जोशी ने कहा कि कुछ राज्य पारेषण लाइन का काम पूरा होने के बाद भी बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं हैं और ग्राहक इसके लिए तैयार हैं। दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान इन मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई। ओडिशा के बारे में उन्होंने कहा कि राज्य में ‘फ्लोटिंग सोलर प्लांट’ और ‘ग्रीन हाइड्रोजन हब’ स्थापित करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि गोपालपुर और पारादीप में दो हरित हाइड्रोजन क […]

  • भारत की 30 प्रतिशत भूमि पर मिट्टी की खराब होती गुणवत्ता कृषि के लिए खतरा : Shivraj Singhनयी दिल्ली । कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मिट्टी की खराब होती उर्वरता पर चिंता व्यक्त की जिससे भारत की 30 प्रतिशत भूमि प्रभावित हो रही है। उन्होंने टिकाऊ खेती के वास्ते मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए तत्काल उपाय करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। ‘मृदा’ पर आयोजित वैश्विक सम्मेलन को ऑनलाइन संबोधित करते हुए चौहान ने कहा कि भुखमरी को समाप्त करने, जलवायु कार्रवाई तथा भूमि पर जीवन से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने के लिए मृदा की गुणवत्ता में सुधार करना जरूरी है।मंत्री ने कहा, ‘‘ हम प्रतिवर्ष 33 करोड़ से अधिक खाद्यान्नों का उत्पादन कर रहे हैं और 50 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का निर्यात कर रहे हैं। हालांकि, यह सफलता चिंता के साथ आई है, विशेष रूप से मृदा गुणवत्ता के संबंध में..।’’चौहान ने बताया कि भारत की करीब 30 प्रतिशत भूमि की गुणवत्ता बढ़ती उर्वरक खपत, उर्वरकों के असंतुलित इस्तेमाल, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और गलत मृदा प्रबंधन प्रथाओं के कारण कम होती जा रही है।उन्होंने किसानों को 22 करोड़ से अधिक मृदा गुणवत्ता कार्ड वितरित करने तथा सूक्ष्म सिंचाई, जैविक व प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने सहित विभिन्न सरकारी पहलों पर प्रकाश डाला। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अधिक केंद्रित प्रयासों की आवश्यकता है, खासकर बढ़ते तापमान, अनियमित वर्षा और जलवायु परिवर्तन चुनौतियों को देखते हुए। चौहान ने कहा कि वैज्ञानिकों तथा किसानों के बीच की खाई को पाटने के लिए जल्द ही आधुनिक कृषि पर एक नया कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।कार्यक्रम में मौजूद नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने ब्राजील तथा अर्जेंटीना जैसे दक्षिण अमेरिकी देशों में संरक्षित कृषि व जुताई रहित विधियों के सफल कार्यान्वयन के बावजूद भारत और दक्षिण एशिया में इन्हें सीमित रूप से अपनाए जाने पर सवाल उठाया। चंद ने सम्मेलन में कहा कि हालांकि कुछ गैर सरकारी संगठन और निजी कंपनियां पुनर्योजी कृषि तथा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही हैं, लेकिन इन पहलों का दायरा सीमित है। उन्होंने भारतीय मृदा वैज्ञानिक सोसायटी (आईएसएसएस) से बड़े पैमाने पर समाधान की अगुवाई करने का आह्वान किया। सम्मेलन में आईसीएआर के महानिदेशक हिमांशु पाठक, पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष त्रिलोचन महापात्रा और आईएसएसएस के […]

  • सरकार इस्पात आयात से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए काम कर रही है: Kumaraswamyनयी दिल्ली । केंद्रीय इस्पात मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कहा कि सरकार इस्पात आयात से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए काम कर रही है। कुमारस्वामी ने फिक्की के ‘इलेक्ट्रिक वाहन- परिवहन में तेजी: सक्षमता तथा अनिवार्यता’ विषय पर आयोजित सम्मेलन से इतर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि उद्योग ने मंत्रालय को इस बारे में बताया है और मंत्रालय इस मुद्दे से अवगत है। उन्होंने कहा, ‘‘ कुछ मुद्दे हैं। उनका (इस्पात कंपनियां) कहना है कि कुछ देशों से घटिया सामग्री आयात की जा रही है। इससे निपटने के लिए हम काम कर रहे हैं।’’घरेलू इस्पात कंपनियां चुनिंदा देशों से बढ़ते सस्ते इस्पात आयात पर लगातार चिंता जता रही हैं, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो रही है। बाजार-खुफिया एवं वस्तुओं की परामर्श कंपनी ‘बिगमिंट’ के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ध्रुव गोयल ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में सालाना आधार पर इस्पात आयात में करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसमें सबसे अधिक चीन की हिस्सेदारी है।’’उन्होंने कहा, ‘‘ यह उछाल मुख्य रूप से चीन में घरेलू मांग में कमी के कारण वहां से बढ़े हुए इस्पात निर्यात के कारण है। अनुमान है कि 2024 में चीन का निर्यात 10 करोड़ टन को पार कर जाएगा, जो आठ वर्षों में सबसे अधिक होगा।’’ गोयल ने कहा कि इसके अलावा वियतनाम ने भारत को महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वियतनाम से निर्यात मुक्त व्यापार समझौते से लाभान्वित होता है, जो उन्हें आयात शुल्क से छूट देता है। बिगमिंट के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-सितंबर 2024-25 में भारत का इस्पात आयात 55.1 लाख टन था, जो एक साल पहले की समान अवधि में 36.6 लाख टन से अधिक है। वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-सितंबर अवधि में चीन से आयात 10.2 लाख टन से बढ़कर इस साल समान अवध […]

  • Bhairav ​​Ashtami 2024: भैरव अष्टमी 22 को, व्रत करने से सभी कार्य होंगे सिद्ध भैरव अष्‍टमी 22 नवंबर को है। खासबात यह है कि इस बार भैरव अष्‍टमी पर रव […]

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