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  • भारत में Cryptocurrency और Bitcoin वैध या अवैध?नयी दिल्ली। कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख नाना पटोले और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) की नेता सुप्रिया सुले पर चुनाव प्रचार के लिए ‘‘अवैध बिटकॉइन गतिविधियों’’ में शामिल होने के आरोप लगने के बाद बिटकॉइन तथा क्रिप्टोकरेंसी फिर से चर्चा में हैं। क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर ये क्या हैं और इनके इस्तेमाल को लेकर कानून का क्या कहता है।क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या वर्चुअल (आभासी) मुद्रा है जो क्रिप्टोग्राफी (कोड) द्वारा सुरक्षित है। इनका फर्जी व दो बार इस्तेमाल करना लगभग असंभव है। वे ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर विकेंद्रीकृत नेटवर्क पर मौजूद हैं। ब्लॉकचेन एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जिससे बिटकॉइन जैसी मुद्रा का संचालन होता है। वहीं बिटकॉइन सबसे अधिक प्रचलित क्रिप्टोकरेंसी का नाम है, जिसके लिए ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी बनाई गई थी। क्रिप्टोकरेंसी का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है। इसकी आपूर्ति प्रोटोकॉल द्वारा निर्धारित होती है, केंद्रीय बैंक द्वारा नहीं। इनके कानूनी पहलू की बात करें तो भारत क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक रूपरेखा तैयार कर रहा है। हालांकि, इसके लागू होने तक इसे अवैध नहीं कहा जा सकता।सरकार ने 2022 में क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले लाभ पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाने की घोषणा की थी। हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर कर लगाने के बावजूद क्रिप्टोकरेंसी को अनिवार्य व स्पष्ट रूप से वैध नहीं माना जा सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी निजी क्रिप्टो परिसंपत्तियों के उपयोग को लेकर संशय में है और इसे देश की व्यापक आर्थिक व वित्तीय स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा मानता है।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बार-बार कहा है कि निजी संस्थाओं द्वारा जारी क्रिप्टोकरेंसी ‘‘मुद्रा’’ नहीं हो सकती। भारतीय रिजर्व बैंक के डिजिटल मुद्रा जारी करने पर ही वह मुद्रा होगी। सीतारमण ने पिछले साल जुलाई में कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी पर किसी भी प्रभावी विनियमन या प्रतिबंध के लिए ‘‘अंतरराष्ट्रीय सहयोग’’ की आवश्यकता होगी। इससे पहले, भारतीय रिजर्व बैंक ने प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा था जिसे न्यायालय के आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया था। आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी को वित्तीय स्थिरता तथा मौद्रिक स्थिरता के लिए बहुत बड़ा जोखिम मानता है।गौरतलब है कि चार मार्च, 2021 को उच्चतम न्यायालय ने आरबीआई के छह अप्रैल 2018 के परिपत्र को रद्द कर दिया था, जिसमें बैंकों और उसके द्वारा विनियमित संस्थाओं को आभासी मुद्राओं के संबंध में सेवाएं प्रदान करने से रोक दिया गया था। आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने पिछले महीने कहा था कि वर्चुअल संपत्तियां ऐसी स्थिति उत्पन्न कर सकती हैं जहां केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति पर नियंत्रण खो सकता है। वर्तमान में, आरबीआई, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों वाला एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक व्यापक नीति पर विचार कर रहा है। आईएमजी ने इस पर अभी परिचर्चा पत्र जारी नहीं किया है, जो हितधारकों को क्रिप्टो मुद्राओं पर भारत के नीतिगत रुख पर फैसला लेने से पहले अपने विच […]

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  • Business affected| दिल्ली के AQI बढ़ने से कारोबार हुआ प्रभावित, मांग में आई भारी कमीदिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु की खराब गुणवत्ता के कारण लोगों के जीवन पर गंभीर असर हो रहा है। दिल्ली में बढ़े हुए प्रदूषण के कारण लोगों को काफी परेशानियां हो रही है। राष्टीय राजधानी में अब व्यापारियों का कारोबार भी प्रभावित होने लगा है। दिल्ली में लोग घरों से बाहर निकलने से कतराने लगे है। ऐसे में प्रदूषण का असर बाजार पर भी देखने को मिल रहा है। काफी कम संख्या में लोग बाजारों, रेस्तरां और मॉल में जा रहे है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार वीकेंड में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में बढ़ोतरी के कारण दिल्ली के प्रमुख बाजारों में बिक्री में गिरावट देखने को मिली है। नई दिल्ली ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल भार्गव का कहना है कि वीकेंड आमतौर पर कारोबार के लिए अच्छे दिन होते हैं। हालांकि इस बार हमें प्रदूषण का असर कारोबार पर देखने को मिला है। इससे बिक्री में 25-30 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के ताजा आंकड़ों से पता चला है कि बुधवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई, जिसमें एक्यूआई 400 को पार कर गया। 400 से अधिक का एक्यूआई लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालता है और सिरदर्द, चक्कर आना, गले की समस्या आदि जैसी विभिन्न समस्याएं पैदा करता है। इससे राजधानी के सभी बाजारों में खरीदारी का माहौल प्रभावित हुआ है। खान मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव मेहरा ने बताया कि शहर के पॉश इलाके खान मार्केट में पिछले 20 दिनों में बिक्री में 60 फीसदी की गिरावट आई है। संजीव मेहरा ने कहा कि बाजार में कैफे और रेस्तरां में भी कारोबार कम हो रहा है। मशहूर साउथ एक्सटेंशन मार्केट में भी बीते वीकेंड से अबतक बिक्री में करीब 50 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। गौरतलब है कि इस समय यह शादियों का सीजन चल रहा है। यह शादियों की खरीदारी के लिए मशहूर बाजार है। शहर में खुले में चलने वाले रेस्तराँ भी अपना कारोबार खो रहे हैं। कुछ रेस्तरा ओनर का कहना है कि आमतौर पर सर्दियों के दौरान कस्टमर रेस्तरां में आना पसंद करते है। मगर इस समय खराब वायु गुणवत्ता को देखते हुए कस्टमर घर पर रहना पसंद कर रहे है। ऐसे में रेस्तरां में ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए एयर प्यूरिफायर और इंडस्ट्री-ग्रेड HEPA फ़िल्टर लगाने की प्रक्रिया में रेस्तरां जुटे हुए है। इस बीच शहर में एयर प्यूरीफायर की बिक्री में उछाल आया है। एबीपी न्यूज ने विजय सेल्स के निदेशक नीलेश गुप्ता का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा कि, “पिछले हफ़्ते से हमने 60 प्रतिशत बिक्री में वृद्धि देखी है, लेकिन यह सब एक्यूआई पर निर्भर है। लोग डायसन, फिलिप्स और यूरेका फोर्ब्स जैसे ब्रा […]

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  • देश की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि घटकर 6.5 प्रतिशत होने के आसार : ICRAमुंबई । भारी बारिश और कमजोर कॉर्पोरेट प्रदर्शन के कारण जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि घटकर 6.5 प्रतिशत रहने के आसार हैं। घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा ने हालांकि वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही (अक्टूबर 2024-मार्च 2025) में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद के बीच समूचे वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर का अनुमान सात प्रतिशत पर बरकरार रखा है। यह अनुमान और टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब शहरी मांग में कमी जैसे अनेक कारकों के कारण वृद्धि में मंदी की चिंताएं हैं।भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आर्थिक वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो 2023-24 के 8.2 प्रतिशत से कम है। दूसरी तिमाही की आर्थिक गतिविधि के आधिकारिक आंकड़े 30 नवंबर को जारी होने की उम्मीद है। पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी वृद्धि 6.7 प्रतिशत रही थी। इक्रा ने कहा कि दूसरी तिमाही में गिरावट भारी बारिश और कमजोर कॉर्पोरेट प्रदर्शन जैसे कारकों के कारण होगी। उसने काह, ‘‘ हालांकि सरकारी व्यय और खरीफ की बुवाई से सकारात्मक रुझान हैं, लेकिन औद्योगिक क्षेत्र खासकर खनन तथा बिजली में मंदी आने के आसार हैं।’’रेटिंग एजेंसी की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘ वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में आम चुनाव के बाद पूंजीगत व्यय में वृद्धि के साथ-साथ प्रमुख खरीफ फसलों की बुवाई में भी अच्छी वृद्धि देखी गई। भारी वर्षा के कारण कई क्षेत्रों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, जिससे खनन गतिविधि, बिजली की मांग और खुदरा ग्राहकों की संख्या प्रभावित हुई और व्यापारिक निर्यात में भी कमी आई।’’ उन्होंने कहा कि अच्छे मानसून का फायदा आगे मिलेगा तथा खरीफ उत्पादन में वृद्धि तथा जलाशयों के पुनः भरने से ग्रामीण मांग में निरंतर सुधार होने की संभावना है। मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘ हम निजी उपभोग पर व्यक्तिगत ऋण वृद्धि में मंदी के प्रभाव के साथ-साथ जिंस की कीमतों और बाह्य मांग पर भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के प्रभा […]

  • Tata Power ने भूटान की ड्रुक पावर के साथ साझेदारी की, स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाएं करेगी विकसितनयी दिल्ली । टाटा पावर ने भूटान में 5,000 मेगावाट की स्वच्छ ऊर्जा क्षमता के विकास के लिए वहां की ड्रुक ग्रीन पावर कॉरपोरेशन लि. (डीजीपीसी) के साथ रणनीतिक साझेदारी की है। डीजीपीसी, ड्रुक होल्डिंग एंड इन्वेस्टमेंट्स लि. की अनुषंगी कंपनी है। यह भूटान की एकमात्र बिजली उत्पादन कंपनी है। टाटा पावर ने मंगलवार को बयान में कहा कि यह एशिया के स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में दोनों देशों की दो प्रमुख बिजली कंपनियों के बीच सबसे बड़ी साझेदारी है। बयान के अनुसार, सहयोग के माध्यम से कम-से-कम 5,000 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं विकसित की जाएंगी।इसमें 1,125 मेगावाट क्षमता की डोरजिलुंग जलविद्युत परियोजना सहित 4,500 मेगावाट क्षमता की जलविद्युत परियोजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा, टाटा पावर की अनुषंगी कंपनी टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी लि. 500 मेगावाट की सौर परियोजनाएं(टीपीआरईएल) विकसित करेगी। टाटा पावर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक प्रवीर सिन्हा ने कहा, ‘‘टाटा पावर की ड्रुक ग्रीन पावर कॉरपोरेशन के साथ साझेदारी क्षेत्र में पसंदीदा स्वच्छ ऊर्जा भागीदार के रूप में हमारी साख को मजबूत करती है। हम मिलकर 5,000 मेगावाट की स्वच्छ ऊर्जा क्षमता सृजित करेंगे।’’उन्होंने कहा, ‘‘ यह भागीदारी भूटान की जलविद्युत क्षमता का उपयोग करने में मदद करेगी और भरोसेमंद तथा 24 घंटे स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति के जरिये दोनों देशों की बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करेगी। हम साथ मिलकर एक नए ऊर्जा युग को आकार दे रहे हैं।’’ बयान में कहा गया है कि भूटान के प्रधानमंत्री दाशो शेरिंग टोबगे की उपस्थिति में डीजीपीसी के प्रबंध निदेशक दाशो छेवांग रिनजिन और टाटा पावर के सीईओ और प्रबंध निदेशक के बीच थिम्पू में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर मंगलवार को हस्ताक्षर किये गये। इस मौके पर ऊर्जा एवं प्राकृतिक संसाधन मंत्री ल्योनपो जेम शेरिंग, टाटा संस के चेयरमैन एन चन्द्रशेखरन, भूटान में भारत के राजदूत सुधाकर दलेला और भूटान सरकार, भारतीय दूतावास, डीजीपीसी और टाटा पावर के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।डीजीपीसी के प्रबंध निदेशक दाशो छेवांग रिनजिन ने कहा, ‘‘टाटा पावर के साथ यह रणनीतिक साझेदारी भूटान के आर्थिक विकास और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा के लिए विशाल नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के तेजी से उपयोग के जरिये वहां के लोगों को अधिकतम लाभ पहुंचाने की आकांक्षाओं के अनुरूप है।’’ टाटा पावर का 2008 से डीजीपीसी के साथ एक लंबे समय से संबंध रहा है। उस समय दोनों कंपनियां भूटान के जलविद्युत क्षेत्र में पहली सार्वजनिक-निजी भागीदारी के रूप में 126 मेगावाट क्षमता की दगाछू जलविद्युत संयंत्र को सफलतापूर्वक विकसित करने के लिए साथ आई थीं। टाटा पावर के पास 1,200 किलोमीटर लंबी टाला पारेषण लाइन परियोजना भी है। कंपनी इसके जरिये भूटान […]

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