सूर्य 14 मार्च को मीन राशि में प्रवेश कर रहा है, इस दिन से मीन मलमास प्रारंभ हो जाएगा, इसलिए 14 मार्च से लेकर 14 अप्रैल तक विवाह संस्कार नहीं किए जा सकेंगे।
By Ekta Sharma
Publish Date: Wed, 13 Mar 2024 02:57 PM (IST)
Updated Date: Wed, 13 Mar 2024 02:57 PM (IST)
HighLights
- मलमास के मात्र दो दिन पश्चात 17 मार्च से होलाष्टक भी लग जाएगा।
- होलाष्टक के आठ दिनों के काल को भी अशुभ माना जाता है।
- जुलाई में भी मात्र 5 मुहूर्त में फेरे लिए जा सकेंगे।
धर्म डेस्क, इंदौर। Meen Malmas 2024: सूर्य, जब मीन राशि में प्रवेश करता है, तब सूर्य की ऊर्जा क्षीण हो जाती है। इसे मीन मलमास कहा जाता है। चूंकि सूर्य को विवाह का कारक ग्रह माना जाता है। सूर्य के क्षीण होने यानी मलमास के दौरान किए जाने वाले शुभ संस्कार को उचित नहीं माना जाता। सूर्य 14 मार्च को मीन राशि में प्रवेश कर रहा है, इस दिन से मीन मलमास प्रारंभ हो जाएगा, इसलिए 14 मार्च से लेकर 14 अप्रैल तक विवाह संस्कार नहीं किए जा सकेंगे। 14 अप्रैल के पश्चात जब सूर्य मीन राशि से बाहर आएगा, तब पुन: शुभ संस्कार शुरू होंगे।
मीन मलमास में अशुभ होलाष्टक भी
14 मार्च से शुरू होने वाले मीन मलमास के मात्र दो दिन पश्चात 17 मार्च से होलाष्टक भी लग जाएगा। होलाष्टक के आठ दिनों के काल को भी अशुभ माना जाता है। इस तरह, मीन मलमास के दौरान ही होलाष्टक पड़ रहा है। मीन मलमास और होलाष्टक दोनों अशुभ होने से किसी भी तरह का शुभ संस्कार नहीं किया जाएगा।
होलाष्टक 17 से 24 मार्च तक
होली के पहले आठ दिनों के समय को होलाष्टक कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि हिरण्यकशिप ने भगवान विष्णु के अनन्य भक्त अपने पुत्र प्रहलाद को भगवान की भक्ति नहीं करने का आदेश दिया। पुत्र प्रहलाद ने आदेश को नहीं माना और विष्णु की भक्ति में लगा रहा। इससे कुपित होकर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को घोर यातनाएं दीं। आठ दिनों तक घोर यातनाएं देने के बाद हिरण्यकशिपु की बहन होलिका ने प्रहलाद को गोद में बिठाया और अग्नि कुंड में बैठ गई। होलिका को वरदान था कि उसे अग्नि भी जला नहीं सकेगी। विष्णु की भक्ति कर रहे प्रहलाद अग्नि में बैठी होलिका की गोद से सुरक्षित बच निकले और होलिका जलकर राख हो गई। यातना भरे इन आठ दिनों के समय को ही होलाष्टक माना जाता है।इन दिनों कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए।
तारा का अस्त होना अशुभ
ज्योतिष शास्त्र में उल्लेखित है कि मुहूर्त विशेष में विवाह करने से देवी-देवता, नवग्रहों का आशीर्वाद मिलता है। विवाह के लिए गुरु और शुक्र तारा का आकाश में उदित होना जरूरी है। यदि ये दोनों तारा, ग्रह अस्त हों तो विवाह नहीं किया जाता। मलमास समाप्त होने के 10 दिन पश्चात 23 अप्रैल को शुक्र तारा अस्त हो जाएगा, जो 29 जून को उदय होगा। इसी बीच 6 मई को गुरु तारा भी अस्त हो जाएगा, जो 2 जून को उदित होगा। इन दोनों ग्रह के अस्त होने से 23 अप्रैल से लेकर 30 जून तक विवाह के लिए एक भी श्रेष्ठ मुहूर्त नहीं है।
देवशयनी से देवउठनी तक मुहूर्त नहीं
जुलाई में भी मात्र 5 मुहूर्त में फेरे लिए जा सकेंगे। इसके पश्चात 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी से 16 नवंबर तक चातुर्मास लगने से शुभ कार्य नहीं किए जाएंगे। देवउठनी एकादशी के बाद नवंबर में पांच और दिसंबर में खरमास शुरू होने से पहले 6 मुहूर्त हैं।
विवाह के शुभ मुहूर्त
- मार्च – 14 मार्च से 14 अप्रैल तक कोई मुहूर्त नहीं
- अप्रैल – 18, 19, 20 और 21
- मई – मुहूर्त नहीं
- जून – मुहूर्त नहीं
- जुलाई – 9, 11, 12, 13 और 15
- अगस्त – कोई मुहूर्त नहीं
- सितंबर – कोई मुहूर्त नहीं
- अक्टूबर -कोई मुहूर्त नहीं
- नवंबर – 17, 22, 23, 24 और 25
- दिसंबर – 2, 3, 4, 10, 13, 15
डिसक्लेमर
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