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Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी इस विधि से करें व्रत का पारण, जानिए धार्मिक महत्व

bareillyonline.com by bareillyonline.com
17 March 2024
in न्यूज़
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देवी दुर्गा की रचना त्रिमूर्ति यानि भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश से हुई है। शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी दुर्गा को अपनी आंतरिक शक्ति का एहसास हुआ।

By Ekta Sharma

Publish Date: Sun, 17 Mar 2024 01:24 PM (IST)

Updated Date: Sun, 17 Mar 2024 01:24 PM (IST)

Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी इस विधि से करें व्रत का पारण, जानिए धार्मिक महत्व
masik durgashtami parana rules

HighLights

  1. इस महीने यह व्रत 17 मार्च 2024 यानी आज रखा जाएगा।
  2. यह त्योहार हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
  3. देवी मां के निमित्त पूरे दिन कठोर व्रत रखते हैं।

धर्म डेस्क, इंदौर। Masik Durgashtami 2024: ज्योतिष शास्त्र में मासिक दुर्गाष्टमी को महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत करने की परंपरा है। देवी दुर्गा शक्ति का प्राथमिक रूप मानी जाती हैं। देवी मां की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त पूरे श्रद्धा-भाव के साथ देवी मां की पूजा करते हैं, उन पर कृपा बनी रहती है। यह त्योहार हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस महीने यह व्रत 17 मार्च 2024 यानी आज रखा जाएगा।

मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भक्त देवी मां के निमित्त पूरे दिन कठोर व्रत रखते हैं। इस व्रत से कई तरह की धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। आइए, जानते हैं।

मासिक दुर्गाष्टमी धार्मिक महत्व

शास्त्रों के अनुसार, देवी दुर्गा की रचना त्रिमूर्ति यानि भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश से हुई है। शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी दुर्गा को अपनी आंतरिक शक्ति का एहसास हुआ। इस दिन भक्त देवी की पूजा करते हैं और उनसे सुख और शांति और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। नवरात्रि के दौरान पड़ने वाली दुर्गा अष्टमी को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

ऐसे करें व्रत पारण

दुर्गाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर, स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। फिर फूल, चंदन, धूप, कुमकुम, फल, मिठाई आदि समेत कई विशेष चीजें अर्पित कर, देवी मां की पूजा करें। इस दिन मां दुर्गा के वैदिक मंत्रों का जाप करें। रात्रि के समय दुर्गाष्टमी व्रत कथा और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। आरती के साथ अपनी पूजा संपन्न करें। अगले दिन सुबह पूजा के बाद मां दुर्गा के प्रसाद से अपना व्रत खोलें।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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    एकता शर्मा नईदुनिया डिजिटल में सब एडिटर के पद पर हैं और बीते 2 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। डिजिटल मीडिया में काम करने का अनुभव है। साल 2022 से जागरण न्यू मीडिया (JNM) से जुड़ी हैं और Naiduni …

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