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बेल के वृक्ष के जड़ों में माता गिरजा, तने मां महेश्वरी, शाखाओं में मां दक्षायनी और पत्तियों में माता पार्वती का वास होता है।
By Sandeep Chourey
Publish Date: Tue, 05 Mar 2024 01:44 PM (IST)
Updated Date: Tue, 05 Mar 2024 02:21 PM (IST)
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HighLights
- महाशिवरात्रि व्रत के दौरान बेलपत्र के पेड़ के नीचे शिव पूजा करना शुभ होता है।
- बेलपत्र के पेड़ के नीचे शिवलिंग स्थापित कर विधि-विधान से पूजा करना शुभ फल देता है।
- पौराणिक मान्यता है कि बेल के वृक्ष पर भगवान शिव वास होता है।
धर्म डेस्क, इंदौर। हिंदू धर्म में फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को हर साल महाशिवरात्रि (Mahashivratri) व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है और इस दिन भगवान भोलेनाथ की विशेष आराधना की जाती है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, इन दिन सच्चे मन से यदि भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की जाती है तो भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही बेलपत्र से जुड़े ये उपाय करने से परिवार को शुभ फल की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि पर करें बेलपत्र के उपाय (Mahashivratri Bel Patra Upay)
महाशिवरात्रि व्रत के दौरान बेलपत्र के पेड़ के नीचे शिव पूजा करना शुभ होता है। बेलपत्र के पेड़ के नीचे शिवलिंग स्थापित कर विधि-विधान से पूजा करना शुभ फल देता है। पौराणिक मान्यता है कि बेल के वृक्ष पर भगवान शिव वास होता है। यदि आपके जीवन में कोई संकट है तो बेलपत्र के पेड़ के नीचे मौजूद किसी भी कंकर को भगवान शंकर का रूप मानकर पूजा कर सकते हैं। इसे चावल और मूंग अर्पित कर तांबे के पात्र से जल अर्पित करना चाहिए।
घर पर भी लगा सकते हैं बेलपत्र का वृक्ष
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, बेल के वृक्ष के जड़ों में माता गिरजा, तने मां महेश्वरी, शाखाओं में मां दक्षायनी और पत्तियों में माता पार्वती का वास होता है। इसके अलावा बेलपत्र के फूलों में मां गौरी का वास होता है। बेल पत्र के पेड़ से घर में लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। साथ किसी जातक की कुंडली में यदि चंद्र दोष होता है तो इसका भी नाश होता है।
बेलपत्र पेड़ के नीचे इस मुहूर्त में करें पूजा (Shivratri Bel Patra arpan muhurat)
महाशिवरात्रि के दिन शिवजी को प्रसन्न करने के लिए व्रत के नियमों को विशेष रूप से पालन करना चाहिए। महाशिवरात्रि पर्व 8 मार्च को शाम 9.57 बजे शुरू होगा और 9 मार्च को सुबह 6.17 खत्म होगा। पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा हमेशा प्रदोष काल में ही जाती है, ऐसे में शाम 6.25 बजे से 9.28 बजे तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।
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