बैंकों का LCR घटा, CD रेशियो उच्च स्तर पर


भारतीय रिजर्व बैंक के वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2023 और मार्च 2024 के बीच बैंकों का लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (एलसीआर) 135.7 प्रतिशत से घटकर 130.3 प्रतिशत रह गया है। निजी बैंकों का एलसीआर मार्च 2024 में 126.9 प्रतिशत रहा है, जो इसके पहले के वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में घटकर 118.8 प्रतिशत पर आ गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्मचारियों पर आने वाला खर्च बढ़ने और लागत-आमदनी अनुपात बढ़ने के कारण बैंकों के कुशलता संकेतक में कमजोरी आई है। नियामकीय न्यूनतम सीमा से अधिक नकदी रखने के बावजूद बैंकों का एलसीआर गिरा है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अप्रैल में घोषणा की थी कि बैंकों द्वारा नकदी के जोखिम के प्रबंधन को मजबूत करने के मकसद से केंद्रीय बैंक ने एलसीआर ढांचे की समीक्षा करने की योजना बनाई है, जिसके लिए जल्द ही मसौदा परिपत्र जारी किया जाएगा।

एलसीआर ढांचे के तहत बैंकों को उच्च गुणवत्ता वाली तरल संपत्तियों (एचक्यूएलए) का स्टॉक बनाए रखना होगा, जो दबाव की स्थिति में 30 दिन की शुद्ध निकासी पूरी करने के लिए पर्याप्त हो। इन संपत्तियों में नकदी, कम अवधि के बॉन्ड व अन्य नकदी साधनों के साथ अतिरिक्त वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटी (एमएसएफ) शामिल है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बैंकों का ऋण-जमा अनुपात (सीडी रेशियो) उनके उच्च स्तर पर है। इसमें पाया गया कि सीडी अनुपात, बैंकों की अतिरिक्त एसएलआर होल्डिंग्स के साथ नकारात्मक सह संबंध रखता है। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का बढ़ा सीडी अनुपात 31 मई 2024 को 90.8 प्रतिशत रहा है।

सीडी रेशियो से बैंकों में लोगों द्वारा जमा किए गए धन और बैंक द्वारा लोगों को दिए जा रहे कर्ज के अनुपात का पता चलता है। इससे यह साफ होता है कि बैंकों में जमा किया गया कितना धन लोगों को उधार देने में इस्तेमाल किया गया है। उच्च सीडी अनुपात से पता चलता है कि बैंक में जमा किए गए धन में से ज्यादातर कर्ज के रूप में दिया जा चुका है जिससे नकदी और ऋण जोखिम बढ़ सकता है।

First Published – June 27, 2024 | 10:18 PM IST

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