आजकल युवा जनरेशन अनहेल्दी खाद्य पदार्थों के प्रति अधिक आकर्षित हो रही है, जिसकी वजह से तरह तरह की स्वास्थ्य स्थितियों का खतरा बढ़ता जा रहा है।
बवासीर मलाशय से जुडी एक तरह की परेशानी है, जो मल त्याग करते समय जोर लगाने, बैठने की लंबी अवधि, कब्ज या दस्त का अधिक समय तक होना, ओबेसिटी, और गर्भावस्था के कारण हो सकती है। पर आज के समय में यह समस्या बेहद तेजी से बढ़ रही है और बेहद कम उम्र में यंग लोगों को प्रभावित कर रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है जंक और फ़ास्ट फूड्स का बढ़ता कंसम्पशन। आजकल युवा जनरेशन अनहेल्दी खाद्य पदार्थों के प्रति अधिक आकर्षित हो रही है, जिसकी वजह से तरह तरह की स्वास्थ्य स्थितियों का खतरा बढ़ता जा रहा है।
जंक फ़ूड और बवासीर के संबंध को अधिक विस्तार से समझने के लिए हेल्थ शॉट्स ने सीनियर लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉक्टर विनायक क्षीरसागर से बात की। डॉक्टर ने जंक फूड के सेवन से बवासीर के बढ़ते खतरे पर चर्चा करते हुए इससे बचाव के कुछ हेल्दी टिप्स सुझाए हैं। तो चलिए जानते हैं इस बारे में अधिक विस्तार से।
जंक फ़ूड है बढ़ते बवासीर के मामलों के लिए जिम्मेदार
डॉक्टर कहते हैं “आज के समय में, युवाओं में बवासीर (piles) के मामलों में चिंताजनक रूप से वृद्धि देखने को मिल रही है, जो मुख्य रूप से जंक फूड के अत्यधिक सेवन से जुड़ी हो सकती है। आमतौर पर बवासीर वृद्ध वयस्कों को प्रभावित करने वाली समस्या मानी जाती है, पर आज की स्थिति की बात करें तो किशोरों और बीस के दशक में युवा वयस्कों में इसका प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। इस दर्दनाक स्थिति को रोकने और प्रबंधित करने के लिए जल्दी से स्वस्थ आहार की आदतें अपनाने के महत्वपूर्ण महत्व को रेखांकित करना है।”
बवासीर के विकास के शुरूआती लक्षण
बवासीर, अक्सर सूक्ष्म लक्षणों के साथ शुरू होते हैं, जो अनुपचारित रहने पर धीरे-धीरे खराब हो सकते हैं। शुरुआती लक्षणों में एनस क्षेत्र के आसपास खुजली या जलन, मल त्याग के दौरान असुविधा और मल में या एनस को पोंछने के बाद टॉयलेट पेपर पर खून की उपस्थिति शामिल है। जैसे-जैसे स्थिति बढ़ती है, व्यक्तियों को सूजन, दर्द और यहां तक कि बवासीर के ऊतकों के आगे बढ़ने का अनुभव हो सकता है।
हेरिडेटरी या लाइफस्टाइल फैक्टर
डॉक्टर विनायक क्षीरसागर के अनुसार “हेरिडेटरी कारक व्यक्तियों को बवासीर के लिए प्रेरित कर सकते हैं, युवा लोगों में मामलों में वृद्धि मुख्य रूप से जीवनशैली विकल्पों, विशेष रूप से उच्च वसा, कम फाइबर वाले जंक फूड के सेवन के कारण होती है। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, फास्ट फूड और मीठे स्नैक्स से भरपूर आहार कब्ज में योगदान करते हैं, जो बवासीर के विकास के लिए एक प्राथमिक जोखिम कारक है। गतिहीन जीवनशैली इस जोखिम को और ज्यादा बढ़ा देती है।”
बवासीर पर जंक फूड के सेवन का प्रभाव
डॉक्टर कहते हैं “जंक फूड में उचित पाचन और मल त्याग के लिए आवश्यक आहार “फाइबर” की कमी होती है। फाइबर मल को भारी बनाता है, जिससे उन्हें पास करना आसान हो जाता है और मल त्याग के दौरान तनाव कम होता है।”
“फाइबर की कमी से, कब्ज की संभावना अधिक हो जाती है, जिससे शौचालय में तनाव होता है, जो बवासीर के विकास में योगदान देता है। इसके अलावा, जंक फूड में उच्च नमक सामग्री पानी के प्रतिधारण में योगदान कर सकती है, जिससे बवासीर से जुड़ी सूजन और परेशानी बढ़ जाती है।”
बचाव के लिए जीवनशैली और आहार में बदलाव है जरुरी
बवासीर के बढ़ते खतरे को देखते हुए डॉक्टर ने इसके विकसित होने या बिगड़ने के जोखिम को कम करने के लिए, जीवनशैली और आहार में निम्नलिखित बदलाव अपनाने की सलाह दी है:
1 डाइट में बढ़ाएं फाइबर की मात्रा: अपने आहार में अधिक फल,सब्जियां, साबुत अनाज और फलियां शामिल करें। ये खाद्य पदार्थ फाइबर से भरपूर होते हैं, जो स्वस्थ पाचन और नियमित मल त्याग को बढ़ावा देते हैं।
2 पूरी तरह से हाइड्रेटेड रहें: पूरे दिन में अपने शरीर के आवश्यकता अनुसार पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से मल नरम हो जाता है, जिससे मल त्यागना आसान हो जाता है, और मलाशय की नसों पर दबाव कम पड़ता है।
3 नियमित रूप से व्यायाम करें: उचित सर्कुलेशन और बॉवेल फंक्शन को बढ़ावा देने के लिए शारीरिक गतिविधि में शामिल होना बेहद जरुरी है। व्यायाम कब्ज को रोकने में मदद करता है, और समग्र पाचन स्वास्थ्य का समर्थन करता है।
4 सीमित करें जंक और प्रोसेस्ड फूड का सेवन: फास्ट फूड, तले हुए स्नैक्स, मीठे व्यंजन और प्रोसेस्ड भोजन का सेवन कम से कम मात्रा में करें। इसके बजाय, पौष्टिक, घर का बना भोजन चुनें जिसमें फैट कम और फाइबर अधिक हो।
5 टॉयलेट से जुडी अच्छी आदतें अपनाएं: मल त्याग के दौरान तनाव से बचें और लंबे समय तक टॉयलेट पर बैठने से बचें। जलन को कम करने के लिए मुलायम, बिना गंध वाले टॉयलेट पेपर का उपयोग करें।
6 वेट मैनेजमेंट पर ध्यान दें: संतुलित पोषण और नियमित व्यायाम के माध्यम से स्वस्थ वजन बनाए रखना आसान हो जाता है। अधिक वजन मलाशय की नसों पर दबाव बढ़ा सकता है, जिससे बवासीर होने की संभावना बढ़ जाती है।
ये भी पढ़े- Heart Disease Risk : दिल की कुंडली है जेनेटिक टेस्टिंग, पर उससे पहले जान लें कुछ जरूरी बातें