जिन चीजों को बहुत अधिक छिपाया जाता है, वह चीजें उतनी ही अधिक घातक साबित होती हैं। इससे पहले कि आपका बढ़ता बच्चा सेक्स के बारे में इंटरनेट और दोस्तों से अधकचरा ज्ञान इकट्ठा करे, उससे इन महत्वपूर्ण बातों पर जरूर चर्चा करें।
आज भी सेक्स से जुड़ी बातों को टैबू माना जाता है, लोग इस बारे में खुलकर बात नहीं करते। कहीं न कहीं यही कारण है, जिसकी वजह से सेक्सुअल हेल्थ संबंधी समस्याएं बढ़ रही है। खासकर टीनएजर्स इंटरनेट पर पॉर्न विडियोज देखते हैं, और उन्हें रियलिटी समझना शुरू कर देते हैं। बच्चे सेक्स करना और सेक्स के अलग अलग पोजिशन तो सिख जाते हैं, पर इससे जुड़ी अन्य बातों से वंचित रह जाते हैं। जिसकी वजह से उन्हें परेशानी हो सकती है। सेक्स एजुकेशन एक बड़ा मुद्दा है और हम सभी इसकी शुरुआत अपने घर से कर सकते हैं।
पेरेंट्स अपने बच्चों को सही से सही पेरेंटिंग देने की कोशिश करते हैं, परंतु इसके बावजूद वे कुछ चीजों में चूंक जाते हैं। समाज में चले आ रहे टैबू को तोड़ना बहुत जरूरी है। आजकल बेहद छोटी उम्र में प्रेगनेंसी, एस्टीआई, आदि जैसी अन्य सेक्सुअल हेल्थ रिलेटेड केसेज देखने को मिल रहे हैं। यही कारण है, कि एक उम्र के बाद पेरेंट्स को अपने बच्चों से सेक्सुअल हेल्थ से जुड़ी जरूरी बातें करनी शुरू कर देनी चाहिए।
इस विषय पर अधिक गंभीरता से समझने के लिए हेल्थ शॉट्स ने विद्या नर्सिंग होम, बिजनौर की अब्स्टेट्रिशन और गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर नीरज शर्मा से बात की। डॉक्टर ने सेक्स एजुकेशन (sex education for teens) के कई महत्वपूर्ण पक्ष बताए हैं। तो चलिए जानते हैं इस बारे में अधिक विस्तार से।
क्यों जरूरी है बच्चों को यौन शिक्षा देना
डॉक्टर नीरज शर्मा के अनुसार पेरेंट्स को अपने बच्चों को हर पहलू से सेक्स के बारे में बताना चाहिए। सेक्स से जुड़ी शारीरिक जानकारी के साथ ही भावनात्मक और सामाजिक ज्ञान भी जरूरी है। उन्हें सेक्स से जुड़े सभी लाव (law) की जानकारी होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त बच्चों में बैड टच और गूड टच की समझ बहुत जरूरी है। इसके अलावा उन्हें ये बताएं कि सेक्स के लिए सामने वाले व्यक्ति की सहमति भी मायने रखती है, जबरदस्ती करना रेप माना जाता है। उम्र का ज्ञान, रिशे की समझ आदि जैसी सामान्य बातों की समझ भी जरूरी है।
क्या है सेक्सुअली एक्टिव होने की सही उम्र
सेक्सुअली एक्टिव होने की कोई निर्धारित उम्र नहीं होती। डॉक्टर के अनुसार जब बच्चे प्यूबर्टी में होते हैं, तो उस दौरान उनके सेक्सुअल ऑर्गन्स ग्रो के रहे होते हैं। प्यूबर्टी के तुरंत बाद सेक्शुअली एक्टिव होना हेल्दी नहीं है। प्यूबर्टी के बाद कम से कम तीन से चार साल का गैप रखना चाहिए, ताकि आपके ऑर्गन्स पूरी तरह से ग्रो कर जाएं। इसके अलावा गवर्नमेंट द्वारा साइंटिफिक, सोशल, ओर फिजिकल पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एडल्टहूड की एक उम्र 18 रखी गई है। एडल्टहूड में एंटर होने के बाद ही फिजिकली एक्टिव होना उचित है। क्युकी सेक्स के लिए केवल शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक समझ होना भी जरूरी है।
इन कारणों से जरूरी है टीनएजर बच्चों से सेक्स और इंटिमेट हेल्थ से जुड़ी बात करना (sex education for teens)
1. कम होता है संक्रमण का खतरा
बच्चे जब बड़े होते हैं, खासकर जब उन्हें प्यूबर्टी हिट करती है, तो शरीर में कई बदलाव आते हैं। जैसे की हेयर ग्रोथ, खासकर प्राइवेट एरिया में, वहीं लड़कियों में डिस्चार्ज होता है, ऐसे में हाइजीन के प्रति अधिक सचेत रहना जरूरी है। बचपन में साफ सफाई का ध्यान पेरेंट्स रखा करते थे, पर जब बच्चे टीनएज में आ जाते हैं, तो ऐसे में उन्हें अपनी हाइजीन से जुड़ी जानकारी होना जरूरी है। पेरेंट्स को वेजाइना और पेनिस क्लीनिंग के साथ ही प्यूबिक हेयर के इंपोर्टेंस बताने चाहिए। साथ ही साथ पीरियड्स हाइजीन के बारे में भी उन्हें अवेयर करना जरूरी है।
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2. सेक्सुअल सेफ्टी में मिलती है मदद
प्यूबर्टी के बाद बच्चों को सेक्सुअल सेंसेशन होना शुरू हो जाती है, परंतु उन्हें सेक्स संबंधी जानकारी नहीं होती। इंटरनेट पर पॉर्न विडियो देखना और सेक्स का प्रोसेस समझना आसान है, पर उन्हें सेफ्टी संबंधी कोई भी जानकारी नहीं मिलती। ऐसे में पेरेंट्स को इस बात को पूरा ध्यान रखना चाहिए। बच्चों के प्यूबर्टी में आते ही उन्हें सेक्स से जुड़ी जानकारी देना जरूरी है, जैसे की प्रोटेक्शन के इस्तेमाल से जुड़ी जरूरी बातें बताएं, साथ ही उन्हें समझाएं कि अनसेफ सेक्स के क्या ड्रावबैक्स हो सकते हैं। सेक्सुअल जानकारी देना बच्चों को उत्तेजित नहीं बल्कि शिक्षित करना है।
3. कम होता है STI का खतरा
बच्चों में सेक्सुअल समझ पैदा करने का एक सबसे बड़ा कारण है एस्टीआई। आजकल एसटीआई कामों हो गया है और छोटे उम्र में भी लोगों को प्रभावित कर रहा है। ऐसे में सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज से बचने के लिए इसके बारे में पता होना बेहद जरूरी है। प्यूबर्टी के बाद अपने बच्चों को एस्टीआई के प्रति जागरूक करें। उन्हें इसके बारे में बताएं साथ ही इसकी संभावित कारणों पर बात करें। बच्चों में जानकारी की कमी होने से वे अनसेफ सेक्स कर सकते हैं, जिसकी वजह से उनमें एस्टीआई का खतरा बढ़ जाता है। आपकी छोटी सी पहल आपके बच्चों को तमाम परेशानियों से बचा सकती है।
4. मेंटल और इमोशनल हेल्थ के लिए अच्छा है
अक्सर नादानी में बेहद कम उम्र में लोग मेक आउट, ब्लो जॉब जैसी गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं। यह नॉर्मल है, पर इससे बच्चों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की हानि हो सकती है। इसलिए उन्हें इनके बारे में पहले से बताएं ताकि वे समझदारी से काम ले सकें। आपके बच्चे के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि भले ही वे पहले ही सेक्स कर चुके हों, लेकिन बड़े होने तक दोबारा सेक्स करने में देरी किया जा सकता है। यदि आपको कुछ ऐसा पता चलता है तो उसपर नेगेटिव रिएक्ट करने की जगह उनकी भावनाओं को प्राथमिकता देते हुए उन्हें सही बात बताएं।
जब वे हाई स्कूल में अपने जूनियर या सीनियर क्लास में पहुंचते हैं, तो डेटिंग सम्मान और संचार के साथ एक वास्तविक रिश्ते की तरह होती है, न कि केवल हुकअप। यह दो लोगों के बीच संचार का एक रूप है, यह भावनात्मक है, और अगर यह एक परिपक्व, स्वस्थ रिश्ता है, तो यह पारस्परिक और सम्मानजनक है। डेटा दिखाता है कि यौन गतिविधि में देरी करने के कई लाभ हैं।
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