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चैत्र नवरात्रि पर अष्टमी के दिन का जाने पूजा-विधि और धार्मिक पर्व का महत्व, आइए Khetivyapar पर जानें | Navratri Ashtami 2024 in Hindi | Ashtami 2024 April Navratri | April Ashtami 2024 | Navratri April | Ashtami Kab Hai | Ashtami Kab Hai 2024 | Chaitra Navratri 2024 Ashtami Date | Navratri Ki Ashtami Kab Hai | Chaitra Navratri

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16 April 2024
in बरेली न्यूज़
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चैत्र नवरात्रि पर अष्टमी के दिन का जाने पूजा-विधि और धार्मिक पर्व का महत्व, आइए Khetivyapar पर जानें | Navratri Ashtami 2024 in Hindi | Ashtami 2024 April Navratri | April Ashtami 2024 | Navratri April | Ashtami Kab Hai | Ashtami Kab Hai 2024 | Chaitra Navratri 2024 Ashtami Date | Navratri Ki Ashtami Kab Hai | Chaitra Navratri
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Navratri Ashtami 2024 in Hindi: चैत्र नवरात्रि पर अष्टमी के दिन का जाने पूजा-विधि और धार्मिक पर्व का महत्व, आइए Khetivyapar पर जानें

चैत्र नवरात्रि पर अष्टमी के दिन का जाने पूजा-विधि और धार्मिक पर्व का महत्व

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By khetivyapar

पोस्टेड: 16 Apr, 2024 12:00 AM IST Updated Tue, 16 Apr 2024 08:33 AM IST

चैत्र नवरात्रि का त्योहार भारतीय संस्कृति में मां दुर्गा की पूजा और भक्ति का महत्वपूर्ण उत्सव है। यह नौ दिनों तक चलने वाला हिन्दू त्योहार है। यह पवित्र अवसर मां दुर्गा की उपासना, ध्यान, और भक्ति में समर्पित है और लोग इसे प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा के अनुसार मनाते हैं। 16 अप्रैल दिन मंगलवार को अष्टमी पूजा की जाएगी। आज आठवां व्रत मां महागौरी का है। महाष्टमी के दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है इसलिए इस दिन मिट्टी के नौ कलश रखे जाते हैं और धन संपत्ति वैभव से संपन्न होते हैं।

मां दुर्गा के अष्टमी पूजन उत्सव और परंपरा Navratri Ashtami 2024:

चैत्र नवरात्रि का अष्टमी तिथि बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन मां दुर्गा के अठखंडों के विशेष पूजन किया जाता है और लोग मां की कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं। मां दुर्गा के अष्टमी का उत्सव देश भर में उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है। मंदिरों में लोग मां की मूर्तियों को सजाकर पूजन करते हैं, जबकि घरों में भी इस पवित्र अवसर को धूमधाम से मनाया जाता है। अष्टमी के दिन लोग धन और सौभाग्य की प्रार्थना करते हैं। इस अवसर पर मां दुर्गा का भक्ति गाना और विशेष प्रसाद बाँटा जाता है। चैत्र नवरात्रि के अष्टमी का उत्सव धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक है जो लोगों को एक साथ आने साझा करने और प्रेम और सम्मान के साथ जीने की प्रेरणा देता है। 

दुर्गाष्टमी का धार्मिक महत्व:

धार्मिक मान्यताओं में चैत्र नवरात्रि की अष्टमी को विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। नवरात्रि की अष्टमी को दुर्गाष्टमी या महाष्टमी कहते हैं। इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा अराधना की जाती है। माता महागौरी अन्नपूर्णा का रूप हैं। अष्टमी के दिन मां दुर्गा ने चंड-मुंड दैत्यों का वध किया था। अष्टमी के दिन व्रत रखने से माता जीवन में सुख-समृद्धि और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। मंगलवार की अष्टमी सिद्धिदा होती है इसकी दिशा ईशान है। ईशान में शिव तथा सभी देवी-देवताओं का निवास है इसलिए अष्टमी का अधिक महत्व है। अष्टमी के दिन निर्जला व्रत रखने से बच्चे दीर्घायु होते हैं। 

मां दुर्गाष्टमी की पूजा-विधि:

अष्टमी के दिन माता महागौरी के साथ कुल देवी, मां काली, भद्रकाली और महाकाली की पूजा अराधना की जाती है। अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पूजा घर या मंदिर में साफ-सफाई कर गंगाजल से शुद्धि कर लेना चाहिए। फिर मंदिर में दीप जलायें और मां दुर्गा का गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। मां दुर्गा को अक्षत,सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें। फल तथा मेवे का भोग लगाएं साथ ही दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा पाठ करें और मां दुर्गा की आरती करना चाहिए।

दुर्गाष्टमी के दिन माता को क्या भोग लगाएं: अष्टमी के दिन माता महागौरी का भजन, कीर्तन, नृत्य आदि उत्सव मनाना चाहिए और पूजा-हवन कर 9 कन्याओं को भोजन खिलाना चाहिए तथा हलुआ-पूरी प्रसाद वितरित करना चाहिए। माता को खीर,मालपुए,मीठा हलुआ,नारियल,घेवर,केले,घी-शहद और तिल एवं गुण अर्पित करें। 

दुर्गाष्टमी के दिन कन्या-कुमारी खाने का विशेष महत्व: चैत्र नवरात्रि के अष्टमी के दिन कन्या-कुमारी पूजा या अविवाहित छोटी बालिका का श्रंगार करके देवी दुर्गा की तरह उनकी अराधना की जाती है क्योंकि छोटी बालिकाओं में मां दुर्गा का वास होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार 2 से 10 वर्ष आयु की ये कन्या-कुमारी मां दुर्गा के विभिन्न रूपों को दर्शाती हैं। कुमारिका, त्रिमूर्ति, राहिणी, कल्याणी, चंडिका, काली, शनभावी, दुर्गा और भद्रा।

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