जोमैटो, स्विगी जैसे एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म्स से हर ट्रांजैक्शन पर 1%-2% फीस वसूल सकती है कर्नाटक सरकार – karnataka plans 1 to 2 percent transaction fee on aggregator platforms like zomato and swiggy



कर्नाटक सरकार जोमैटो, स्विगी, फ्लिपकार्ट, एमेजॉन, ओला, ऊबर, अर्बन कंपनी जैसे एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म पर होने वाले सभी ट्रांजैक्शन पर 1-2 पर्सेंट फीस लगा सकती है। इन एग्रीगेटर्स से इकट्ठा की गई रकम सीधे वेलफेयर बोर्ड में ट्रांसफर की जाएगी और इसका इस्तेमाल इन प्लेटफॉर्म के डिलीवरी स्टाफ के लिए सामाजिक सुरक्षा उपायों में किया जाएगा।

इससे जुड़ा बिल पास हो जाने पर यह फीस इकट्ठा की जाएगी और इसे सीधे वेलफेयर बोर्ड में ट्रांसफर किया जाएगा। जाहिर तौर पर इस कदम से कंपनियों को कोई फायदा नहीं होगा, जबकि इससे कस्टमर्स के ऑर्डर में कमी आ सकती है, क्योंकि यह सर्विस 1-2 पर्सेंट महंगी हो जाएगी। सरकार ने इसी साल जून में इन प्लेटफॉर्म से जुड़े अस्थायी कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा और कल्याण के लिए बिल का ड्राफ्ट पेश किया था।

राज्य सरकार के एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया, ‘हम वेलफेयर फीस इकट्ठा करने की तैयारी में है, जो हर ट्रांजैक्शन के हिसाब से लगाई जाएगी। यह फीस हर प्लेटफॉर्म पर 1% से 2% हो सकती है। फीस संबंधित एग्रीगेटर्स द्वारा इकट्ठा की जाएगी, जो इसे वेलफेयर बोर्ड को ट्रांसफर करेंगे। हम लोग इस वेलफेयर बोर्ड का गठन कर रहे हैं।’

यह फीस उन सभी ग्राहकों पर लागू होगी, जो एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म पर ट्रांजैक्शन करते हैं। इन प्लेटफॉर्म में रैपिडो, डंजो, जेप्टो, पोर्टर, नम्मा यात्री और कई अन्य फर्में शामिल हैं। इन फंडों का इस्तेमाल डिलीवरी स्टाफ से जुड़ी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में किया जाएगा। राइड शेयरिंग, फूड और ग्रोसरी डिलीवरी, लॉजिस्टिक्स, ई-मार्केटप्लेस, प्रोफेशनल सर्विसेज, हेल्थकेयर, ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी कॉन्टेंट, मीडिया सर्विसेज और अन्य सेवाएं मुहैया कराने वाले एग्रीगेटर्स इस बिल के दायरे में होंगे। लेबर डिपार्टमेंट के सूत्रों ने बताया कि24 अक्टूबर को राज्य सरकार की होने वाली कैबिनेट बैठक में इस बिल पर विचार हो सकता है। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद शीतकालीन सत्र में इसे विधानसभा में पेश किया जा सकता है।



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