Menu
Call us
Whatsapp
Call us
Whatsapp
Menu
News
Bareilly Business
Add Post
Register
Login
Contact us
News
Bareilly Business
Add Post
Register
Login
Contact us
Home न्यूज़

jane duniya bhar me neurological problems badh rhe hain. जानें दुनिया भर में न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम तेज़ी से बढ़े हैं।

bareillyonline.com by bareillyonline.com
28 March 2024
in न्यूज़
4 0
0
6
SHARES
35
VIEWS
WhatsappFacebookTwitterThreads

[ad_1]

पर्यावरणीय कारक और खराब जीवनशैली के कारण न्यूरोलॉजिकल समस्याएं तेज़ी से बढ़ी हैं। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की हालिया स्टडी के अनुसार वैश्विक स्तर पर 3 में से 1 व्यक्ति स्ट्रोक, डायबिटिक न्यूरोपैथी जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है।

इन दिनों न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम तेज़ी से बढ़ रहे हैं। यह अब दुनिया भर में खराब स्वास्थ्य और डिसएबिलिटी का प्रमुख कारण है। न्यूरोलॉजिकल स्थिति के कारण होने वाली विकलांगता, बीमारी और समय से पहले मृत्यु की कुल मात्रा में 1990 के बाद से 18% की वृद्धि हुई है। यह निष्कर्ष वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की स्टडी में सामने आया है। डब्लूएचओ के अनुसार, क्वालिटी केयर तक पहुंच हासिल होने पर ही लोगों को ब्रेन हेल्थ के जोखिम को कम (neurological problem) किया जा सकता है।


सबसे पहले जानते हैं क्या कहती है स्टडी (study on Neurological problem)

द लैंसेट न्यूरोलॉजी ने हाल में न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम पर हुए अध्ययन का निष्कर्ष प्रकाशित किया है। इससे पता चलता है कि 2021 में दुनिया भर में 300 करोड़ से अधिक लोग न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के साथ जी रहे थे। यह आंकड़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक बीमारी, चोट और जोखिम कारक का अध्ययन करने के लिए निकाला। डब्लूएचओ के अनुसार, न्यूरोलॉजिकल स्थितियां अब दुनिया भर में खराब स्वास्थ्य और डिसएबिलिटी का प्रमुख कारण है। न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के कारण होने वाली डिसएबिलिटी, बीमारी और समय से पहले मृत्यु की कुल मात्रा में 1990 के बाद से 18% की वृद्धि हुई है।

निम्न आय वाले देशों में अधिक समस्या (problem in low income country)

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की स्टडी के अनुसार, 80% से अधिक न्यूरोलॉजिकल मौतें और खराब स्वास्थ्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। दरअसल , उपचार तक पहुंच व्यापक रूप से अलग-अलग होती है। निम्न और मध्यम आय वाले देशों में उपचार तक पहुंच नहीं हो पाती है। अधिक आय वाले देशों में निम्न और मध्यम आय वाले देशों की तुलना में प्रति 100,000 लोगों पर 70 गुना अधिक न्यूरोलॉजिकल प्रोफेशनल उपलब्ध हैं। .


मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बेहतर ढंग से समझना जरूरी (Brain health)

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्येयियस के अनुसार, “न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम के साथ रहने वाले लोगों को क्वालिटी केयर, उपचार और रिहैबिलिएशन के जरूरत को पूरा किया जा सके। यह सुनिश्चित करना पहले से कहीं अधिक जरूरी है कि बचपन से लेकर बाद के जीवन तक मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बेहतर ढंग से समझा जाए, महत्व दिया जाए और उन्हें संरक्षित किया जाए।”

brain health par dhyan dena jaroori hai.
न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम के साथ रहने वाले लोगों को क्वालिटी केयर और उपचार  जरूरी है। चित्र : अडोबी स्टॉक

महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम

लोगों को होने वाले 10 न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम, जैसे कि स्ट्रोक,निओनेटल एन्सेफैलोपैथी या मस्तिष्क की चोट, माइग्रेन, डिमेंशिया, डायबिटिक न्यूरोपैथी, मेनिनजाइटिस, एपिलेप्सी, जन्मजात न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर और सेंट्रल नर्वस सिस्टम प्रॉब्लम 2021 में मुख्य थे। कुल मिलाकर न्यूरोलॉजिकल स्थितियां महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक डिसएबिलिटी और स्वास्थ्य हानि का कारण बनती हैं। माइग्रेन या डिमेंशिया जैसी कुछ स्थितियां हैं, जिनसे महिलाएं असमान रूप से प्रभावित होती हैं।

यह भी पढ़ें

Autism disorder in India : कीटनाशकों और प्रदूषण के कारण भारत में बढ़ रही ऑटिस्टिक बच्चों की संख्या

सबसे अधिक प्रभावित करता है डायबिटिक न्यूरोपैथी (Diabetic Neuropathy)

डायबिटिक न्यूरोपैथी सबसे तेजी से बढ़ने वाली न्यूरोलॉजिकल स्थिति है। 1990 के बाद से वैश्विक स्तर पर डायबिटिक न्यूरोपैथी से पीड़ित लोगों की संख्या तीन गुना से अधिक हो गई है, जो 2021 में बढ़कर 20.6 करोड़ हो गई है। यह वृद्धि दुनिया भर मेंडायबिटीज में वृद्धि के अनुरूप है। कोविड -19 के बाद से न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम अधिक होते हैं। इसके कारण कोविड -19 के बाद से कॉग्निटिव लॉस और गुइलेन-बैरे सिंड्रोम होने लगा।

इनके 23 मिलियन से अधिक मामले हैं। 1990 के बाद से अन्य स्थितियों के कारण न्यूरोलॉजिकल बोझ और स्वास्थ्य हानि में 25% या उससे अधिक की कमी आई है। टेटनस, रेबीज, मेनिनजाइटिस, न्यूरल ट्यूब दोष, स्ट्रोक, न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस, एन्सेफलाइटिस और एन्सेफैलोपैथी भी होता है।

vaayu pradushn ke prabhaav
डायबिटिक न्यूरोपैथी सबसे तेजी से बढ़ने वाली न्यूरोलॉजिकल स्थिति है। चित्र : शटरस्टॉक

जोखिम कारकों को रोकना है जरूरी ( Neurological problem Prevention)

डब्लूएचओ के अनुसार, पर्यावरणीय कारक और खराब जीवन शैली इन समस्याओं के लिए जिम्मेदार हैं। हाई सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर, आसपास का परिवेश और घरेलू वायु प्रदूषण भी स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है। इसी तरह लेड के संपर्क को रोकने से मेंटल डिसेबिलिटी को कम किया जा सकता है। प्लाज्मा ग्लूकोज लेवल को कम करने से डिमेंशिया का बोझ 14.6% तक कम हो सकता है। स्मोकिंग नहीं करने पर स्ट्रोक, डिमेंशिया और मल्टीपल स्केलेरोसिस के जोखिम को कम (neurological problem) किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें :- Autism disorder in India : कीटनाशकों और प्रदूषण के कारण भारत में बढ़ रही ऑटिस्टिक बच्चों की संख्या

[ad_2]

Source link

Advertisement Banner

Trending Now

edit post
सर्दियों में अपनी कार की कैसे करें देखभाल, ये 5 टिप्स कर सकते हैं आपकी मदद
ऑटोमोबाइल

सर्दियों में अपनी कार की कैसे करें देखभाल, ये 5 टिप्स कर सकते हैं आपकी मदद

6 months ago
edit post
न्यूज़

राशन की दुकानों पर नमक वितरण का मामला गरमाया, सीडीओ ने दिए जांच के आदेश

1 week ago
edit post
न्यूज़

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 30 जून 2025 को बरेली का दौरा करेंगी

3 days ago
edit post
न्यूज़

डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा क्षतिग्रस्त: बरेली और बदायूं में तनाव

5 days ago
No Result
View All Result
  • न्यूज़
  • एंटरटेनमेंट
  • स्पोर्ट्स
  • व्रत त्यौहार
  • ऑटोमोबाइल
  • हैल्थ
  • ब्लॉग
  • बरेली बिज़नेस
  • Contact

© 2025 Bareilly Online bareillyonline.

Go to mobile version