• Whatsapp
  • Phone
  • Bareilly News
  • Bareilly Business
  • Register
  • Login
  • Add Post
ADVERTISEMENT
Home बरेली न्यूज़

jane autism se peedit bachchon ki sankhya kyon badh rahi hai. क्यों ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ रही है?

bareillyonline.com by bareillyonline.com
28 March 2024
in बरेली न्यूज़
4 0
0
jane autism se peedit bachchon ki sankhya kyon badh rahi hai. क्यों ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ रही है?
6
SHARES
35
VIEWS
WhatsappFacebookTwitterThreads

[ad_1]

ऑटिज्म डिसऑर्डर के कारण बच्चे को बातचीत करने और सामजिक मेलजोल बढ़ाने में समस्या होती है। भारत में ऑटिज्म पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसका समय से पता लगा लिया जाए, तो पीड़ित बच्चे की मदद कर लाइफ क्वालिटी में सुधार किया जा सकता है।

अपना शहर Bareilly Online

MAUPOKER: Arena Para Master yang Ingin Tantangan Sejati

Situs GADUNSLOT Buka Slot Anti Gagal, Gaskeun Lah!

Situs GADUNSLOT 2025, Slot Gacor Asli Bukan Hoax! Depo QRIS Langsung Jalan

ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) दुनिया भर में लाखों बच्चों को प्रभावित करता है। भारत इसका कोई अपवाद नहीं है। भारत में इन दिनों ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऑटिज्म का जल्दी पता लगाना और डायग्नोज करना जरूरी है। इससे समय पर इंटरवेंशन करने और सहायता मिल सकती है। इससे प्रभावित बच्चों के लिए लॉन्ग टर्म में उल्लेखनीय सुधार भी हो सकता है। हमें सबसे पहले यह जानना होगा कि क्यों ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ रही है?

जानिए क्या है ऑटिज्म डिसऑर्डर (What is autism disorder)

सीनियर क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. ईशा सिंह बताती हैं, ‘ ऑटिज्म एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है। एएसडी वाले लोगों को अक्सर सामाजिक कम्युनिकेशन और बातचीत में समस्या होती है। इसके कारण बच्चे में अलग व्यवहार की समस्या देखने को मिल सकती है। एएसडी से पीड़ित लोगों के सीखने, आगे बढ़ने या ध्यान देने के तरीके भी अलग-अलग हो सकते हैं।’

क्या है भारत में ऑटिज़्म का आंकड़ा (data of autism in India)

भारत में ऑटिज्म का प्रचलन लगातार बढ़ रहा है। इंडियन जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित 2021 के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में ऑटिज्म की अनुमानित संख्या 68 बच्चों में से लगभग 1 हो सकती है। लड़कियों की तुलना में लड़के आमतौर पर ऑटिज्म से अधिक प्रभावित होते हैं। यदि संख्या पर गौर किया जाए, तो पुरुष-महिला अनुपात लगभग 3:1 का है।

क्याें इतनी तेजी से बढ़ रही है ऑटिस्टिक बच्चों की संख्या (Causes of increasing autism cases)

डॉ. ईशा सिंह बताती हैं, ‘ आज से 20 वर्ष पहले तक भारत में पेरेंट्स को पता ही नहीं चल पाता था कि उनके बच्चों को ऑटिज्म की समस्या है। क्लिनिकल क्षमताओं में प्रगति और ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार के बारे में अधिक समझ और जागरूकता के कारण अधिक संख्या में ऑटिज्म से पीड़ित लोगों का पता चल रहा है। जेनेटिक कारक और कुछ पर्यावरणीय कारक भी इस प्रवृत्ति में योगदान दे सकते हैं।’

kaise karein autism bacche ki care
जागरूकता के कारण अधिक संख्या में ऑटिज्म से पीड़ित लोगों का पता चल रहा है। चित्र- अडोबी स्टॉक

प्रतिरक्षा प्रणाली विकार (Immunity disorder) 

जन्मपूर्व वायु प्रदूषण या कुछ कीटनाशकों के संपर्क में आना, मदर ओबेसिटी, डायबिटीज या प्रतिरक्षा प्रणाली विकार भी इसके कारण हो हो सकते हैं। समयपूर्व जन्म या जन्म के समय बहुत कम वजन भी इसका कारण बन सकता है। जन्म के समय होने वाली किसी भी कठिनाई के कारण शिशु के मस्तिष्क में कुछ समय के लिए ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। यह भी कारण बन सकता है।

यह भी पढ़ें

बच्चों को शारीरिक शोषण से बचाने के लिए, अवश्य सिखाएं सुरक्षा से जुड़ी ये 5 बातें

क्या इससे बचा जा सकता है ( prevention from Autism)

ऑटिस्टिक डिसऑर्डर वाले बच्चे को जन्म देने से नहीं रोका जा सकता है। जीवनशैली में बदलाव करके एक स्वस्थ बच्चा पैदा करने की संभावना बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए स्वस्थ रहें। नियमित जांच कराएं, संतुलित भोजन करें और व्यायाम करें। सुनिश्चित करें कि प्रसवपूर्व देखभाल अच्छी हो। डॉक्टर द्वारा बताये गए सभी विटामिन और सप्लीमेंट लें।

भारत में ऑटिज्म सहायता केंद्र (India Autism centre)

भारत में इंडिया ऑटिज़्म सेंटर या ऑटिज्म सहायता केंद्र है। इसकी टीम ऑटिस्टिक व्यक्तियों और अन्य स्पेक्ट्रम विकारों को समग्र सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध रहती है। यह ऑटिज़्म से पीड़ित बच्चों को लाइफ लॉन्ग सपोर्ट देने के साथ-साथ संबंधित न्यूरोडायवर्स डिसऑर्डर पर ग्लोबल नॉलेज भी प्रदान करती है।

bharat me autistic bachche ki sankhya badh rahi hai.
ऑटिस्टिक डिसऑर्डर वाले बच्चे को जन्म देने से नहीं रोका जा सकता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

जागरूकता है जरूरी (Autism Disorder) 

डॉ. ईशा सिंह के अनुसार, समय पर हस्तक्षेप और सहायता मिलने से शिशुओं और बच्चों में ऑटिज्म का जल्दी पता लगा सकता है। जैसे-जैसे ऑटिज़्म के शुरुआती लक्षणों के बारे में जागरूकता बढ़ती है, बच्चे बेहतर डेवलपमेंटल परिणामों के लिए जरूरी सहायता प्राप्त कर सकते हैं। जागरूकता बढ़ाने, क्लिनिकल सेवाओं तक पहुंच में सुधार और माता-पिता और देखभाल करने वालों का समर्थन करने जैसी चुनौतियों का समाधान करने से भारत भर में ऑटिस्टिक बच्चों और उनके परिवारों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।

यह भी पढ़ें :- लापरवाही और अफरा-तफरी दोनों ही काम बिगाड़ सकती हैं, यहां हैं हर परिस्थिति में माइंडफुल रहने के 7 तरीके

[ad_2]

Source link

Categories

  • बरेली न्यूज़
  • बरेली बिज़नेस
  • बरेली ब्लॉग
edit post

MAUPOKER: Arena Para Master yang Ingin Tantangan Sejati

7 October 2025
edit post

Situs GADUNSLOT Buka Slot Anti Gagal, Gaskeun Lah!

1 October 2025
edit post

Situs GADUNSLOT 2025, Slot Gacor Asli Bukan Hoax! Depo QRIS Langsung Jalan

1 October 2025

UPLOAD

LOGIN

REGISTER

HELPLINE

No Result
View All Result
  • बरेली न्यूज़
  • बरेली ब्लॉग
  • बरेली बिज़नेस
  • Contact

© 2025 Bareilly Online bareillyonline.