बैली फैट कम करने के लिए सबसे जरूरी है अपने खानपान और उसके तरीकों पर ध्यान देना। यदि इसमें कुछ गड़बड़ है, तो इसे बदलना भी जरूरी है। एक्सपर्ट मानते हैं खानपान में बदलाव किए बिना वजन कम नहीं किया जा सकता।
यदि पेट आपका सुडौल दिखता है और उसपर कोई चर्बी नहीं है, तो इसका मतलब है कि आप स्लिम हैं। आप फिट हैं। यदि इसका उल्टा है, तो इसका मतलब है कि आपको बैली फैट है। बैली फैट हृदय रोग, डायबिटीज और यहां तक कि कैंसर के हाई रिस्क से भी जुड़ा है। इसे कम करने के लिए आपको अपने खानपान में बदलाव लाना होगा। वजन कम करने ख़ासकर पेट की चर्बी कम होने से, ब्लड वेसल्स की कार्यप्रणाली में सुधार होता है। नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है। स्लिम और फिट रहने पर लंबे समय तक जीने में भी मदद मिल सकती है। जानते हैं बैली फैट कम करने के लिए कैसे डायटरी चेंज (dietary change) लाया जा सकता है।
बैली फैट कम करने के लिए क्यों जरूरी है डायटरी चेंज (importance of dietary change to reduce belly fat)
जब आप बिना किसी लक्ष्य के आहार लेती हैं, तो विशेष रूप से यह पेट की चर्बी को बढ़ा देता है। यदि आप डायटरी चेंज के साथ आहार लेती हैं, तो यह आंत की वसा की खतरनाक परत को कम करने में मदद करता है। यह सच है कि पेट की चर्बी के लिए कोई जादुई आहार नहीं होता है।
सही तरीके से आहार लेने पर वजन कम करने में मदद मिलती है। इससे शरीर को पर्याप्त फाइबर प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। जो लोग प्रति दिन 10 ग्राम सॉल्युबल फाइबर खाते हैं, वे बिना किसी आहार परिवर्तन के समय के साथ दूसरों की तुलना में कम आंत वसा का निर्माण करते हैं।
यहां हैं डायटरी चेंज करने के 5 उपाय (5 tips for dietary change)
1. वसा की बजाय कार्ब्स पर अंकुश लगाएं (try curbing carbs for dietary change)
आहार में लो कार्बोहाइड्रेट शामिल करने से यह कम वसा वाले आहार लेने की तुलना में शरीर में कम फैट स्टोर करता है। इसके कारण दोनों में समान मात्रा में कम कैलोरी होती है। लो कार्ब आहार से अधिक वजन घटता है। लो कार्ब डाइट का अतिरिक्त लाभ यह है कि इससे हाई क्वालिटी वाला वजन कम होता है। फैट फ़ूड नहीं खाकर वजन घटाने से वसा तो कम हो जाती है, लेकिन अक्सर लीन मसल्स का नुकसान भी होता है, जो सही नहीं है।
2. ईटिंग प्लान बनाएं (eating plan for dietary change)
हेल्दी ईटिंग प्लान चुनना जरूरी है। ऐसा प्लान जिसका पालन करने में कठिनाई नहीं हो सके। इसके अंतर्गत लो कार्ब डाइट का चुनाव और एडेड शुगर को भोजन की प्लेट से दूर रखना जरूरी है। इसमें हमेशा बेहतर भोजन विकल्प का चुनाव करना भी शामिल है। सामान्य तौर पर भोजन का लो कार्ब वाला तरीका सेवन को समस्याग्रस्त खाद्य पदार्थों से दूर कर देता है।
ऐसे खाद्य पदार्थ जो कार्ब्स और शुगर में हाई होते हैं। बहुत अधिक फाइबर के बिना जैसे कि ब्रेड, बैगल्स और सोडा इग्नोर करें और हाई फाइबर या हाई प्रोटीन विकल्पों का चुनाव करें।
3 . लेबल रीडर बनें (Label reader for dietary change)
फूड्स के अलग-अलग ब्रांड की तुलना करें। यह जानने की कोशिश करें कि किस ब्रांड के फ़ूड हेल्दी न्यूट्रिशन वाले हैं। उदाहरण के लिए कुछ दही दावा करते हैं कि उनमें वसा कम है, लेकिन उनमें कार्ब्स और एडेड शुगर दूसरों की तुलना में अधिक होती है। ग्रेवी, मेयोनेज़, सॉस और सेलैड ड्रेसिंग जैसे खाद्य पदार्थों में अक्सर हाई फैट और बहुत अधिक कैलोरी होती है।
4 प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों से दूर रहें (don’t eat processed food for dietary change to reduce belly fat)
पैक किए गए सामान और स्नैक फूड अक्सर ट्रांस फैट, एडेड शुगर और एडेड नमक या सोडियम से भरपूर होता है। ये तीन चीजें वजन कम करना मुश्किल बनाती हैं। इसलिए प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ की बजाय ताजा भोजन खाने की कोशिश करें।
5 समय पर खायें (eat on time for dietary change)
भोजन का समय भी आपके मेटाबोलिज्म पर प्रभाव डालता है। सुबह उठने के ठीक बाद हमारा मेटाबॉलिज्म बेहतर तरीके से काम करता है। सुबह 8 -9 के बीच खा लेने पर आप अपना मेटाबॉलिज्म रेट बरकरार रख पाएंगी। पूरे दिन मेटाबॉलिज्म धीमा रहता है, इसलिए रात का खाना 8 बजे तक खा लेना भी उतना ही जरूरी है।
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