ISRO के प्रमुख, S Somanath ने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा कि यह स्थिति गगनयान मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण सीख है। इस ह्युमन रेटेड रॉकेट की पहली टेस्ट फ्लाइट इस वर्ष के अंत में हो सकती है। सोमनाथ ने बताया कि NASA के सामने आ रही चुनौतियों को समझने से ISRO को अपने मिशन की तैयारी करने में सहायता मिलेगी। गगनयान मिशन का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि इसमें स्पेसक्राफ्ट और प्रोसीजर्स की विभिन्न आपात स्थितियों से निपटने की तैयारी हो।
हालांकि, सोमनाथ का कहना था कि मीडिया में विलियम्स की स्थिति को अंतरिक्ष में फंसना बताया जा रहा है, जबकि यह वापसी में अक्षम होने के बजाय अंतिरक्ष में उनकी मौजूदगी को बढ़ाने का मामला है। Starliner में हो रही समस्या के कारण NASA ने SpaceX से सहायता मांगी थी लेकिन Boeing के स्पेससूट और SpaceX के Dragon स्पेसक्राफ्ट के बीच कम्पैटिबिलिटी नहीं होने से चुनौती बढ़ गई है। अनुभवी एस्ट्रोनॉट, विलियम्स इससे पहले भी स्पेस मिशंस में स्टे को बढ़ाने की स्थिति का सामना कर चुकी हैं। इस वजह से उनके पास ऐसी स्थिति से निपटने का अनुभव है।
गगनयान मिशन के लिए अप्रत्याशित तकनीकी समस्याओं के लिए तैयारी होना जरूरी है। इस मिशन को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि जिससे यह पहली कोशिश में ही सफलता हासिल कर सकेगा। इसकी तैयारी को लेकर ISRO काफी सतर्कता बरत रहा है। गगनयान मिशन में तीन दिनों के लिए तीन सदस्यीय क्रू को 400 किलोमीटर के ऑर्बिट पर भेजा जाएगा और उसके बाद उन्हें सुरक्षित धरती पर लाया जाएगा। ISRO ने इसके लिए टेस्टिंग और डिमॉन्स्ट्रेशन को बढ़ाया है। पिछले वर्ष ISRO ने चंद्रयान-3 मिशन को सफलता से पूरा किया था। देश ने अंतरिक्ष से जुड़े अभियानों में विशेषज्ञता को बढ़ाया है।
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