एक सही मेनोपॉज एज को लेकर महिलाओं में अकसर चर्चा होती है। कुछ को लगता है कि उन्हें बहुत जल्दी मेनोपॉज का सामना करना पड़ रहा है, तो कुछ लंबे समय तक अपनी प्रजनन आयु का आनंद लेती हैं। एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से हमने इसके बारे में कुछ और सवाल पूछे।
मेनोपॉज या रजोनिवृत्ति महिलाओं के जीवन का वो पड़ाव है, जो उनके प्रजनन जीवन के अंत का संकेत देता है। मेनोपॉज की सही उम्र (menopause age) क्या है, यह कब अर्ली माना जाएगा और कब लेट, इस पर अकसर महिलाएं आपस में बात करती हैं। मगर जैसे पीरियड साइकिल और प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के अनुभव एक-दूसरे से अलग होते हैं, उसी तरह मेनोपॉज का अनुभव भी सभी के लिए अलग होता है।
ठीक उसी प्रकार से रजोनिवृत्ति का अनुभव सभी महिलाओं के लिए समान नहीं होता है। इस दौरान महिलाओं के शरीर में शारीरिक बदलावों के अलावा भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक चेंजिज़ भी देखने को मिलते हैं। इसके अलावा मेनोपॉज का समय (menopause age) भी अलग अलग देखने को मिलता है। जहां कुछ महिलाओं को 40 की उम्र में ही रजोनिवृत्ति का अनुभव हो सकता है, तो कुछ 50 के बाद ही रजोनिवृत्ति तक पहुँचती हैं। जानते हैं एक्सपर्ट से कि असल में क्या है मेनोपॉज की सही उम्र।
किस उम्र में अधिकतर महिलाएं को होता है मेनोपॉज (At what age do most women get menopause?)
इस बारे में जीएफसी फर्टिलिटी सेंटर चेन्नई के निदेशक डॉ, जयम कन्नन बताती हैं कि सामान्य तौर पर, अगर किसी महिला को 12 महीने तक मासिक धर्म नहीं हुआ है, तो उसे रजोनिवृत्ति अवस्था में माना जा सकता है। हांलाकि भारत में रजोनिवृत्ति तक पहुँचने की औसत आयु लगभग 46 वर्ष है। इसके अलावा 5 फीसदी महिलाएँ 50 वर्ष के बाद मेनोपॉज का सामना करती हैं, तो 5 फीसदी 40 वर्ष की आयु से रजोनिवृत्ति तक पहुँचती हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर महिलाएं 40 के दशक में रजोनिवृत्ति तक पहुँचती हैं। एक्सपर्ट के अनुसार अगर 52 साल की उम्र में भी किसी महिला को रक्तस्राव हो रहा है, तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना ज़रूरी है। वह फाइब्रॉएड या कैंसर से पीड़ित हो सकती है।
यहां जानें रजोनिवृत्ति के लक्षण (Signs of menopause)
मेनोपॉज के दौरान ज्यादा थकान, इनडाइजेशन, पेट में दर्द, ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता और मासिक धर्म न होना इस बात का संकेत हैं कि कोई महिला रजोनिवृत्ति की ओर बढ़ रही हैं। इसके अतिरिक्त लक्षणों में स्तन में दर्द, नींद न आना और वज़न बढ़ना भी शामिल हैं। वे महिलाएं जिन्हें जल्दी रजोनिवृत्ति होती है। उनमें ऑस्टियोपोरोसिस, हृदय रोग और एस्ट्रोजन के स्तर में कमी के कारण संज्ञानात्मक गिरावट यानि कॉग्नीटिव डिकलाइन होने का जोखिम भी ज्यादा होने लगता है।
क्या रजोनिवृत्ति से बचने के लिए गर्भाशय को हटा देना उचित है? (Is it advisable to remove the uterus to avoid menopause?)
ये महज़ एक आम ग़लतफ़हमी है कि रजोनिवृत्ति से पहले की समस्याओं से बचने के लिए गर्भाशय को पूरी तरह से हटा देना एक अच्छा उपाय है। दरअसल, गर्भाशय को हटाने से हड्डियों और जोड़ों की अन्य समस्याएँ हो सकती हैं। एक्सपर्ट के अनुसार भारत में सरकार ने 35 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए हिस्टेरेक्टोमी को रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश लागू किए हैं, जब तक आवश्यक न हो।
ऐसे में महिलाओं को संतुलित आहार खाने की सलाह दी जाती है। केवल उतना ही खाएं जितना शरीर के लिए आवश्यक है। दिन में दो बार भोजन करें और छोटे- छोटे स्नैक्स को रूटीन में शामिल करें। इसके अलावा कैफीन का सेवन दिन में ज्यादा से ज्यादा दो कप करें और दिन में सोने से भी बचें।
रजोनिवृत्ति में स्वास्थ्य का कैसे रखें ख्याल (How to take care of health in menopause)
1. व्यायाम करें
ऐसी स्थिति में शरीर में थकान और कमज़ोरी महसूस होने लगती है। शारीरिक गतिविधि को बनाए रखने के लिए मध्यम तीव्रता वाले व्यायाम करें। इससे ब्लड प्रेशर नियमित बना रहता है और एनर्जी की स्तर उचित रहता है। साथ ही हार्मोन के असंतुलन को भी बैलेंस करने में मदद मिलती है।
2. भरपूर नींद लें
ब्रेन फॉग से बचने के लिए पूरी नींद लें। साथ ही अल्कोहल और धूम्रपान से भी दूरी बनाकर रखें। शरीर को स्वस्थ बनाए रखने से तनाव का स्तर कम होने लगता है, जिससे ब्रेन फॉंग से बचा जा सकता है।
3. हृदय स्वास्थ्य का रखें ख्याल
रजोनिवृत्ति के बाद एस्ट्रोजन का स्तर शरीर में कम होने लगता है, जो हार्ट हेल्थ के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसे में हृदय रोगों से बचने का प्रयास करें और आहार का ख्याल रखें। डाइट में ट्रांस फैट, लीन प्रोटीन, साबुत अनाज और लो फैट डेयरी प्रोडक्टस को शामिल करें।
4. कैंसर की जांच करवाएं
मेनोपॉज के बाद महिलाओं में एंडोमेट्रियल कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में कैंसर की भी नियमित जांच करवाएं। इसके अलावा डॉक्टर की सलाह से हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लें। इससे शरीर में बढ़ने वाली समस्याओं को रेगुलेट करने में मदद मिलती है।