नई दिल्ली48 मिनट पहले
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अमेरिकी कंपनी एपल 9 सितंबर को भारत सहित ग्लोबल मार्केट में आईफोन 16 सीरीज लॉन्च करेगी। इसमें चार मॉडल्स- आईफोन 16, आईफोन 16 प्लस, आईफोन 16 प्रो और आईफोन 16 प्रो मैक्स शामिल हो सकते हैं। आईफोन के फीचर्स और ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ ही उसके कैमरे के बारे में सबसे ज्यादा चर्चा होती है।
जहां एक ओर एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स में सबसे ज्यादा मेगापिक्सल वाले कैमरे देने पर फोकस रहता है। वहीं, आईफोन कम मेगापिक्सल वाले कैमरे देता है, जिसमें 200 मेगापिक्सल कैमरे वाले स्मार्टफोन्स से भी बेहतर फोटो खिचती है। ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल होगा कि आखिर आईफोन के कैमरों में ऐसा क्या है जो कम मेगापिक्सल के बाद भी बेहतर फोटो और वीडियो शूट करता है?
इसे समझने के लिए सबसे पहले कैमरे की बेसिक जानकारी…
सभी स्मार्टफोन कैमरे तीन बेसिक पार्ट्स से बने होते हैं। पहला लेंस, जो लाइट को कैमरे के अंदर भेजता है। दूसरा सेंसर, जो लाइट के फोकस से आने वाले छोटे-छोटे टूकड़ों (फोटोन) को इलेक्ट्रिक सिग्नल में बदलता है और तीसरा वह सॉफ्टवेयर है, जो उन इलेक्ट्रिक सिग्नल्स को फोटो में बदलता है।
- फोन कैमरे का लेंस: कैमरे का लेंस लाइट को फोकस करता है और उसे सेंसर पर इमेज बनाने के लिए गाइड (रास्ता दिखाता है) करता है। लेंस की क्वालिटी और डिजाइन इमेज की क्वालिटी तय होती है।
- शटर और अपर्चर: शटर लेंस को सेंसर के सामने खोलता और बंद करता है। शटर स्पीड यह तय करती है कि कितनी लाइट सेंसर पर आएगी। अपर्चर लेंस से गुजरने वाली लाइट की मात्रा कंट्रोल करता है।
- कैमरे का सेंसर : सेंसर लेंस से आनी वाले लाइट को डिजिटल सिग्नल में बदलता है। इस लाइट को पिक्सल्स में बांटा जाता है, और ये पिक्सल्स इमेज के कलर और ब्राइटनेस का डेटा इकट्ठा करते हैं।
अपर्चर से यह तय होता है कि कितनी लाइट सेंसर तक पहुंचेगी। f/1.4 में सबसे ज्यादा लाइट और f/16 में सबसे कम लाइट सेंसर तक पहुंचती है।
- इमेज प्रोसेसर : इमेज प्रोसेसर (ISP – इमेज सिग्नल प्रोसेसर) सेंसर से मिले डेटा को प्रोसेस करता है। यह कलर, कॉन्ट्रास्ट, शार्पनेस और अन्य इमेज प्रॉपर्टीज को एडजस्ट करता है।
- ऑटोफोकस: ऑटोफोकस में कैमरा किसी भी सब्जेक्ट या व्यक्ति पर अपने आप फोकस करता है। कैमरा ऐप्स की मदद से फोकस को मैन्युअली एडजस्ट भी किया जा सकता है।
- स्टेबलाइजेशन : ऑप्टिकल इमेज स्टेबिलाइजेशन कैमरे की हलचल को कम करने के लिए लेंस या सेंसर को शिफ्ट करता रहता है।
- सॉफ्टवेयर और कैमरा एप्लिकेशन : सॉफ्टवेयर और कैमरा एप्लिकेशन फोन के कैमरे की एफिशिएंसी को कंट्रोल करते हैं। इसमें विभिन्न मोड्स, फिल्टर्स, और एडिटिंग टूल्स शामिल होते हैं।
बड़े सेंसर वाले कैमरे से लो-लाइट में अच्छी फोटो आती है सेंसर क्वालिटी, साइज और लेंस टेक्नोलॉजी कैमरे के ओवरऑल परफॉर्मेंस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बड़े सेंसर ज्यादा लाइट कैप्चर कर सकते हैं, जिससे तस्वीर में बेहतर डिटेल्स कैप्चर होती है। 1/2.55 इंच, 1/1.7 इंच, 1 इंच आदि सेंसर साइज के माप होते हैं। बड़े सेंसर आमतौर पर बेहतर लो-लाइट परफॉर्मेंस और शार्पनेस प्रोवाइड करते हैं।
ज्यादा मेगापिक्सल्स बेहतर इमेज क्वालिटी की गारंटी नहीं
ज्यादा मेगापिक्सल्स (MP) का मतलब अधिक डीटेल्स, लेकिन यह सबक्वालिटी और साइज के साथ भी जुड़ा होता है। ज्यादा मेगापिक्सल्स वाले कैमरे तस्वीरों में ज्यादा डिटेल्स कैप्चर कर सकते हैं, लेकिन हमेशा बेहतर इमेज क्वालिटी की गारंटी नहीं होती है।
आईफोन का कैमरा एंड्रायड फोन से कैसे अलग होते है?
आईफोन का कैमरा एंड्रायड फोन से कई तरीकों से अलग होता है। इसमें हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और इमेज प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी सहित अन्य चीजें शामिल हैं –
- सेंसर टेक्नोलॉजी : एपल आमतौर पर हाई क्वालिटी वाले कस्टम एन्हांस सेंसर का इस्तेमाल करता है, जो इमेज क्वालिटी और कलर एक्यूरेसी प्रोवाइड करते हैं। बजट और मीडियम बजट वाले फोन्स में कंपनियां कॉस्ट कटिंग के चलते अलग-अलग सेंसर का इस्तेमाल करती हैं, जिसके कारण ज्यादा मेगापिक्सल होने के बाद भी अच्छी फोटो नहीं आती है।
- लेंस और अपर्चर : एपल का लेंस डिजाइन और अपर्चर साइज आमतौर पर लो-लाइट परफॉर्मेंस और डिस्टॉर्शन कम करने के लिए खास तौर से डेवलप किया जाता है। एंड्रॉयड फोन में लेंस की क्वालिटी और अपर्चर साइड ब्रांड और मॉडल के अनुसार अलग-अलग होता है। मीडियम बजट वाले एंड्रायड फोन्स में यहां पर भी कॉस्ट कटिंग की जाती है।
- सॉफ्टवेयर और इमेज प्रोसेसिंग : एपल में स्मार्ट HDR, नाइट मोड, और डिप फ्यूजन जैसी टेक्नोलॉजी शामिल होती है, जो इमेज क्वालिटी को सुधारती हैं। हाई-एंड के एंड्रॉयड फोन में भी पावरफुल प्रोसेसिंग फीचर्स होते हैं, जैसे कि गूगल का नाइट साइट, जबकि बजट और मीडियम बजट फोन में प्रोसेसिंग की क्वालिटी अलग-अलग रहती है।
- वीडियो कैपेबिलिटी : आईफोन अपने वीडियो रिकॉर्डिंग एबिलिटीज के लिए पॉपुलर है, जिसमें 4K रिकॉर्डिंग, डॉल्बी विजन HDR, और बेहतरीन स्टेबलाइजेशन शामिल है। कुछ खास फोन्स को छोड़कर एंड्रायड डिवाइस अपने एडवरटाइजिंग दावों पर खरे नहीं उतरते हैं।
अच्छा कैमरा फोन लेने से पहले इन 5 बातों के रखे ध्यान
- कैमरा सेंसर की क्वालिटी : अच्छा कैमरा वाला फोन खरीदने के लिए कैमरे के सेंसर पर खास तौर पर ध्यान देना चाहिए। कैमरा बड़ा सेंसर के साथ ही ज्यादा अपर्चर वाला होना चाहिए, जिससे लो-लाइट होने पर भी अच्छी तस्वीर खींच सकें। इसके साथ ही उसमें इमेज स्टेबिलाइजेशन, ऑटोफोकस, पोर्ट्रेट, नाइट, HDR, पैनोरामा जैसे अन्य मोड्स होना चाहिए।
- हाई रिजॉल्यूशन का ऑप्शन : हाई रिजॉल्यूशन तस्वीर के साथ ही वीडियो की क्वालिटी के लिए काफी जरूरी होता है। वीडियो रिकार्डिंग के लिए फोन में 4K, 8K, स्लो-मोशन और टाइम-लैप्स जैसे फीचर्स मौजूद होने चाहिए।
- बैटरी लाइफ और चार्जिंग : कैमरे के इस्तेमाल में ज्यादा बैटरी ड्रेन होती है, इसलिए फोन अच्छी बैटरी लाइफ और फास्ट चार्जिंग वाला होना चाहिए। फास्ट चार्जिंग होने पर फोन जल्दी से चार्ज हो जाएगा।
- सॉफ्टवेयर और प्रोसेसिंग : फोन में लेटेस्ट सॉफ्टवेयर होने चाहिए, जो आपके ओवरऑल फोन इस्तेमाल के एक्सपीरियंस को बेहतर बनाएगा। फोन अच्छे से वर्क करेगा तभी आप उसके कैमरे का सही से इस्तेमाल कर सकेंगे।
- यूजर रिव्यू और प्रोफेशनल रिव्यूज : फोन लेने से पहले उसके यूजर रिव्यू और प्रोफेशनल रिव्यूज को देख लेना चाहिए। फोन से ली गईं फोटोज वाला रिव्यू देखें ताकि आप इमेज क्वालिटी और फोन के परफॉर्मेंस के बारे में अंदाजा लगा सकें।