नई दिल्ली29 मिनट पहले
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देश में बिक रहे 12% मसाले क्वालिटी और सेफ्टी स्टैंडर्ड के मुताबिक ठीक नहीं हैं। फूड्स सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने देश में बिक रहे मसालों की टोटल 4054 सैंपल्स की जांच की। इनमें से 474 मसाले FSSAI के मुताबिक खाने योग्य नहीं थे।
मई से जुलाई के बीच FSSAI ने मसालों की टेस्टिंग की गई। इस बात की जानकारी रॉयटर्स ने RTI के जरिए सरकार से मांगी थी। अप्रैल-मई 2024 में सरकार ने सिंगापुर और हॉन्ग-कॉन्ग में मसालों की क्वालिटी पर सवाल और बैन की खबरों के बाद FSSAI ने इनकी जांच का फैसला किया था।
FSSAI ने कहा- मसालों के ब्रांड के हिसाब से डिटेल नहीं
फूड अथॉरिटी FSSAI ने अपने जवाब में कहा कि जिन मसालों की टेस्टिंग की गई, उनकी ब्रांड के अनुसार डिटेल नहीं है। लेकिन वह क्वालिटी और सेफ्टी स्टैंडर्ड पर खरे नहीं उतरने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। वहीं, MDH और एवरेस्ट ने दावा किया उनके प्रोडक्ट्स कंज्यूमर के लिए सेफ हैं।
2023-24 में ₹37,425 करोड़ के मसालों का एक्सपोर्ट
MDH और एवरेस्ट के मसाले भारती मार्केट के साथ-साथ दुनियाभर में बिकते हैं। जियॉन मार्केट रिसर्च के अनुसार, 2022 में भारत के डोमेस्टिक स्पाइस मार्केट की वैल्यू 87,608 करोड़ रुपए से ज्यादा थी। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत से हुए मसालों के एक्सपोर्ट की वैल्यू 37,425 करोड़ रुपए से ज्यादा रहने का अनुमान है।
भारतीय मसालों में सिंगापुर-हॉन्ग कॉन्ग में कीटनाशक थे
अप्रैल 2024 में सरकार ने हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर में MDH और एवरेस्ट के चार मसालों पर बैन के बाद अब भारत सरकार ने फूड कमिश्नर्स से सभी कंपनियों के मसालों का सैंपल कलेक्ट करने को कहा था।
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि दोनों कंपनियों के इन प्रोडक्ट्स में पेस्टिसाइड ‘एथिलीन ऑक्साइड’ की ज्यादा मात्रा होने के कारण इन्हें बैन किया गया था। इन प्रोडक्ट्स में इस पेस्टिसाइड की ज्यादा मात्रा से कैंसर होने का खतरा है।
हॉन्गकॉन्ग के फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने कहा था कि MDH ग्रुप के तीन मसाला मिक्स- मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला पाउडर और करी पाउडर में एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा ज्यादा पाई गई। एवरेस्ट के फिश करी मसाला में भी यह कार्सिनोजेनिक पेस्टिसाइड पाया गया।
मसाले में क्यों करते हैं कीटनाशकों का इस्तेमाल?
मसाला बनाने वाली कंपनियां एथिलीन ऑक्साइड सहित अन्य कीटनाशकों का उपयोग ई. कोली और साल्मोनेला जैसे बैक्टीरिया और फंगस से फूड आइटम्स को खराब होने से बचाने के लिए करती हैं, क्योंकि इन बैक्टीरिया के संपर्क में आने से मसालों की शेल्फ लाइफ बहुत छोटी हो सकती है।
इन्हें लंबे समय तक खराब होने से बचाने पर रोक के बावजूद ये कंपनियां कीटनाशकों को प्रिजर्वेटिव या स्टेरलाइजिंग एजेंट की तरह इस्तेमाल कर रही हैं।
सरकार का दावा- हॉन्गकॉन्ग-सिंगापुर में भारतीय मसालों पर बैन नहीं
भारत सरकार के सूत्रों ने 21 मई को दावा किया कि सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग में किसी भारतीय मसालों पर बैन नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज करते हुए कहा गया है कि पॉपुलर मसाला ब्रांड्स MDH और एवरेस्ट के प्रोडक्ट्स के सिर्फ कुछ बैच को रिजेक्ट किया गया था।
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फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने उन सभी मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है, जिसमें यह दावा किया जा रहा था कि भारतीय फूड कंट्रोलर जड़ी-बूटियों और मसालों में तय मानक से 10 गुना ज्यादा कीटनाशक मिलाने की अनुमति देता है।
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हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर में MDH और एवरेस्ट के चार मसालों पर बैन के बाद अब भारत सरकार ने फूड कमिश्नर्स से सभी कंपनियों के मसालों का सैंपल कलेक्ट करने को कहा है। मीडियो रिपोर्ट्स में इस बात की जानकारी दी गई है। दोनों कंपनियों के इन प्रोडक्ट्स में पेस्टिसाइड एथिलीन ऑक्साइड की ज्यादा मात्रा होने के कारण इन्हें बैन किया गया था।
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