जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में भारत में ट्रेकोमा की समाप्ति


जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में भारत में ट्रेकोमा की समाप्ति

स्रोत: पी.आई.बी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने घोषणा की है कि भारत ने जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में ट्रेकोमा को समाप्त करने में सफलता प्राप्त कर ली है।

  • ट्रेकोमा एक जीवाणु जनित नेत्र संक्रमण है, जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस (Chlamydia trachomatis) के कारण होता है, तथा यदि इसका उपचार न किया जाए तो यह अपूरणीय दृष्टिहीनता का कारण बन सकता है। 
    • यह संक्रमित व्यक्ति की आंखों, पलकों, नाक या गले के स्राव के संपर्क में आने से फैलता है।
    • इसे उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग की श्रेणी में रखा गया है, जो विश्व भर में लगभग 150 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है, जिनमें से 6 मिलियन दृष्टिबाधित हैं या उन्हें दृष्टि संबंधी जटिलताओं का खतरा है। 

  • ट्रेकोमा, वर्ष 1950-60 के दौरान, देश में अंधेपन के प्रमुख कारणों में से एक था। भारत सरकार ने वर्ष 1963 में राष्ट्रीय ट्रेकोमा नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया और बाद में ट्रेकोमा नियंत्रण प्रयासों को भारत के राष्ट्रीय अंधेपन नियंत्रण कार्यक्रम (NPCB) में एकीकृत कर दिया गया।
  • वर्ष 1971 में, ट्रेकोमा के कारण अंधापन 5 प्रतिशत था और वर्तमान में राष्ट्रीय अंधत्व एवं दृश्य हानि नियंत्रण कार्यक्रम (NPCBVI) के तहत विभिन्न हस्तक्षेपों के कारण, यह घटकर एक प्रतिशत से भी कम रह गई है। 
    • वर्ष 2017 में, भारत को संक्रामक ट्रेकोमा रोग से मुक्त घोषित कर दिया गया। हालाँकि, वर्ष 2019 से 2024 तक, भारत के सभी ज़िलों में ट्रेकोमा के मामलों की निगरानी जारी रही।

  • NPCBVI के तहत 2021-24 तक देश के 200 स्थानिक ज़िलों में राष्ट्रीय ट्रैकोमैटस ट्राइकियासिस (केवल टीटी) सर्वेक्षण भी किया गया, जो WHO द्वारा निर्धारित एक अनिवार्य काम था।
    • NPCBVI टीम द्वारा एक विशिष्ट डोजियर प्रारूप में संकलित की गईं तथा ट्रेकोमा के खिलाफ वर्षों की लड़ाई के बाद, WHO ने घोषणा की कि भारत ने ट्रेकोमा को जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त कर दिया है।

और पढ़ें:  उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों पर वैश्विक रिपोर्ट, 2024





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