पुष्पक में पंखों का इस्तेमाल किया गया है। जब हेलिकॉप्टर से इसे छोड़ दिया गया तो यह रनवे पर खुद ही लौट आया। इसरो के लिए यह बड़ी सफलता है। टेस्ट फ्लाइट सफल होने के बाद इसरो चीफ एस सोमनाथ ने जानकारी देते हुए कहा कि रिजल्ट एकदम सटीक और बेहतरीन आया है। पुष्पक रीयूजेबल रॉकेट सेग्मेंट में मील का पत्थर साबित होने वाला है। Pushpak (RLV-TD) मिशन के बारे में ISRO ने बताया कि स्पेस से रॉकेट के सही सलामत लौटने में कामयाबी मिली है। इसमें अप्रोच और हाई स्पीड लैंडिंग का टेस्ट किया गया।
RLV-LEX-02 Experiment:
🇮🇳ISRO nails it again!🎯Pushpak (RLV-TD), the winged vehicle, landed autonomously with precision on the runway after being released from an off-nominal position.
🚁@IAF_MCC pic.twitter.com/IHNoSOUdRx
— ISRO (@isro) March 22, 2024
Pushpak को भारतीय एयर फोर्स के हेलिकॉप्टर चिनूक के माध्यम से हवा में 4.5 किलोमीटर ऊंचाई पर ले जाया गया। इसे रनवे से 4 किलोमीटर दूर छोड़ गया था। लेकिन पुष्पक खुद ही अपनी सटीक जगह पर लौट आया। यह रनवे पर सटीक जगह पर आकर एक हॉल्ट पर रुक गया जिसके लिए इसने अपने ब्रेक पैराशूट, लैंडिंग गियर ब्रेक का भी इस्तेमाल किया।
पुष्पक की यह तीसरी टेस्ट फ्लाइट थी जो कि विषम परिस्थितियों में इसकी रोबोटिक लैंडिंग को लेकर की गई थी। कहा जा रहा है कि पुष्पक को पूरी तरह से काम में लाने में अभी कई सालों का वक्त लग सकता है। पुष्पक का सफल टेस्ट इस बात की पुष्टि करता है कि भविष्य में स्पेश मिशनों में लागत काफी कम हो जाएगी। रॉकेट को बार बार इस्तेमाल में लाया जा सकेगा जिससे कि खर्चा काफी हद तक कम हो जाएगा। इसकी पहली एक्सपेरिमेंटल फ्लाइट आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 2016 में हुई थी। इसने बंगाल की खाड़ी में एक वर्चुअल रनवे पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की थी। इसके बाद यह योजना के तहत समुद्र में डूब गया था। इसका दूसरा टेस्ट पिछले वर्ष 2 अप्रैल को चित्रदुर्ग एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज पर हुआ था।
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