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हिंद महासागर तल मानचित्रण पर INCOIS का अध्ययन

bareillyonline.com by bareillyonline.com
3 May 2024
in बरेली न्यूज़
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जियोफेंसिंग – Drishti IAS
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हिंद महासागर तल मानचित्रण पर INCOIS का अध्ययन

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (Indian National Centre For Ocean Information Services- INCOIS) के वैज्ञानिकों ने समुद्री धाराओं और गतिशीलता की गहनता से जाँच करने के लिये हिंद महासागर के तल के मानचित्रण पर एक अध्ययन किया।

नोट:

  • ESSO-INCOIS की स्थापना वर्ष 1999 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी। यह पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन (ESSO) की एक इकाई है। यह हैदराबाद में स्थित है।
  • ESSO-INCOIS को इसके व्यवस्थित एवं निरंतर समुद्री अवलोकन तथा केंद्रित अनुसंधान के माध्यम से समाज, उद्योग, सरकारी एजेंसियों एवं वैज्ञानिकों को सर्वोत्तम संभव समुद्री सूचना तथा सलाहकार सेवाएँ प्रदान करने का दायित्व दिया गया है।

अध्ययन के प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • धाराओं पर द्वीपों का प्रभाव: 

    • अध्ययन से पता चलता है कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मालदीव के साथ, हिंद महासागर की धाराओं की दिशा एवं गति को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं, जिससे सतह की धाराओं के विपरीत गहरे घुमावदार पैटर्न (भँवर) बनते हैं।

  • बेहतर बैथिमैट्री (मैप के अंतर्गत महासागरीय मापन):

    • विगत महासागरीय मापन प्रणालियों ने भारत के चारों ओर पाई गई तटीय धाराओं की  लंबाई को कम करके आँका था।
    • सटीक महासागरीय मापन डेटा को शामिल करने से:

      • महासागर की लवणता, तापमान तथा तट के निकट धाराओं का सटीक पूर्वानुमान हो सकेगा।
      • अधिक गहराई (1,000 और 2,000 मीटर) पर, पूर्वी भारतीय तटीय धारा (EICC) जो सतही धाराओं के विपरीत बहती है, के प्रवाह का सटीक अनुमान लगाया जा सकेगा।

        • EICC बंगाल की खाड़ी की पश्चिमी सीमा पर स्थित तटीय धारा है। यह एक शक्तिशाली धारा है जो कि वर्ष में दो बार अपनी दिशा बदलती है, तथा इस क्षेत्र के समुद्री परिसंचरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
        • फरवरी से सितंबर तक EICC का सतही प्रवाह भारतीय तट के साथ-साथ उत्तर-पूर्व की ओर होता है। अक्तूबर से जनवरी तक,यह प्रवाह दक्षिणाभिमुख हो जाता है तथा भारतीय व श्रीलंकाई दोनों तटों की और प्रवाहित होता है। 

      • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में समुद्र तट के निकट 2,000 मीटर की गहराई पर एक धारा की खोज संभव हुई।
      • भूमध्य रेखीय अंतर्धारा (EUC) पर मालदीव द्वीप समूह के प्रभाव को समझना।

        • EUC अटलांटिक और प्रशांत महासागरों में पूर्व की ओर बहने वाली एक स्थायी धारा है जो वसंत एवं सर्दियों में पूर्वोत्तर मानसून के दौरान हिंद महासागर में मौज़ूद होती है।

      • मालदीव द्वीप समूह की उपस्थिति EUC के पश्चिम की ओर के विस्तार को प्रभावित करती है, जिसमें मौसमों के बीच अंतराल और परिभाषा में भिन्नता होती है। 

  • पूर्वानुमान के लिये महत्त्व:

    • समुद्री उद्योग के लिये सटीक समुद्र विज्ञान संबंधी पूर्वानुमान आवश्यक  और इसके महत्त्वपूर्ण आर्थिक लाभ हैं।
    • मौसम, जलवायु और समुद्री उद्योग के लिये सटीक समुद्री पूर्वानुमान महत्त्वपूर्ण हैं। सटीक भविष्यवाणियों के लिये बेहतर अवलोकन और मॉडल महत्त्वपूर्ण हैं।

  • महासागरीय गतिशीलता की समझ को विकसित करना:

    • अध्ययन इस बात पर ज़ोर देता है कि महासागरीय परिसंचरण के मॉडल में सटीक बाथमेट्री डेटा को शामिल करना कितना महत्त्वपूर्ण है। यह भारतीय उपमहाद्वीप और आसपास के क्षेत्रों के लिये पूर्वानुमान निर्धारित करने में सहायता करता है।

Ocean_currents

बैथिमेट्री क्या है?

  • बैथिमेट्री जल निकायों, जैसे; महासागरों, नदियों, झीलों और झरनों की जलमग्न स्थलाकृति का अध्ययन एवं मानचित्रण है।

    • इसमें जल की गहराई को मापना शामिल है और यह भूमि के स्थलीय मानचित्रण के समान है।
    • बैथिमेट्रिक मानचित्र में जल के भीतर के क्षेत्र के आकार और ऊँचाई को दर्शाने के लिये  समोच्च रेखाओं का उपयोग किया जाता है।

  • बैथिमेट्री हाइड्रोग्राफी विज्ञान की नींव है, जो जल निकाय की भौतिक विशेषताओं को मापता है। 

    • हाइड्रोग्राफी में न केवल बैथिमेट्री शामिल है, बल्कि तटरेखा का आकार और विशेषताएँ; ज्वार, धारा एवं लहरों की विशेषताएँ; तथा जल के भौतिक व रासायनिक गुण भी शामिल हैं।

और पढ़ें: महासागरीय धाराएँ




  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. संसार के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मत्स्यन क्षेत्र उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहाँ (2013)

(a) कोष्ण तथा शीत वायुमण्डलीय धाराएँ मिलती हैं
(b) नदियाँ सागरों में प्रचुर मात्रा में ताज़ा जल प्रवाहित करती हैं
(c) कोष्ण तथा शीत सागरीय धाराएँ मिलती हैं
(d) महाद्वीपीय शेल्फ तरंगित है

उत्तर: (c)


प्रश्न. निम्नलिखित कारकों पर विचार कीजिये:

  1. पृध्वी का आवर्तन
  2. वायु दाब और हवा
  3. महासागरीय जल का घनत्व
  4. पृथ्वी का परिक्रमण

उपर्युक्त में से कौन-से कारक महासागरीय धाराओं को प्रभावित करते हैं? (2012)

(a) केवल 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 4
(d) 2, 3 और 4

उत्तर: (b)



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