Calories Intake During Pregnancy: प्रेग्नेंसी महिलाओं के जीवन का सबसे अहम हिस्सा होती है। इस दौरान महिलाओं में हार्मोनल उतार-चढ़ाव के चलते शारीरिक और मानसिक बदलाव देखने को मिलते हैं। प्रेग्नेंसी में महिलाओं के खान-पान पर भी खास ध्यान दिया जाता है। भारतीय घरों में अक्सर प्रेग्नेंट महिलाओं को ज्यादा खाने की हिदायत दी जाती है, ताकि उनके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी पूरा पोषण मिल सके। कई बार देखा गया है कि महिलाएं ज्यादा भोजन करने लगती है और इससे उन्हें कई तरह की समस्याएं होने लगती है। ऐसे में सवाल उठता है कि महिलाओं को भोजन लेते समय कितनी कैलोरी लेनी चाहिए और कैलोरी लेते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? इन सभी सवालों के जवाब हमें नोएडा के क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्टिपिटल्स की स्त्रीरोग विशेषज्ञ विभाग की डायरेक्टर डॉ. प्रतिभा सिंघल ने दिए हैं।
प्रेग्नेंट महिलाएं रखें इन बातों का ध्यान
प्री-प्रेग्नेंसी वजन और बॉडी मास इंडेक्स (BMI)
डॉ. प्रतिभा सिंघल के अनुसार महिलाओं का प्रेग्नेंसी से पहले का वजन बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि उसी के अनुसार गर्भवती महिलाओं को कैलोरी लेने के सलाह दी जाती है। अगर वजन ज्यादा बढ़ जाए, तो गर्भवती महिलाओं को गंभीर जटिलताएं हो सकती है। इसलिए अलग-अलग बीएमआई की महिलाओं के लिए कैलोरी की मात्रा भी अलग होती है।
कम वजन होना (BMI 18.5 से कम होना) – जिन महिलाओं का वजन कम होता है, उन्हें कैलोरी की ज्यादा जरूरत होती है, ताकि भ्रूण का वजन और विकास बेहतर तरीके से हो सके। ऐसी महिलाओं को दूसरी तिमाही से रोजाना 500-600 कैलोरी अतिरिक्त लेने की सलाह दी जाती है। आमतौर पर कम वजन की महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान 12 से 18 किलो वजन बढ़ाने को कहा जाता है।
सामान्य वजन (BMI 18.5 -24.9) – अगर महिलाओं का वजन सामान्य होता है, तो उन्हें दूसरी और तीसरी तिमाही में रोजाना 300-500 अतिरिक्त कैलोरी लेने और उनका वजन 11 से 15 किलो बढ़ाने की सलाह दी जाती है।
सामान्य से ज्यादा वजन (BMI 25-29.9) – अक्सर ऐसी महिलाओं का प्रेग्नेंसी में ज्यादा वजन न बढ़े, इसके लिए ये ध्यान रखा जाता है कि वह रोजाना 200-300 अतिरिक्त कैलोरी ही लें। उनके खाने में पोषण से युक्त भोजन पर ज्यादा फोकस किया जाता है। उन्हें पूरी प्रेग्नेंसी में करीब 6 से 11 किलो वजन बढ़ाने को कहा जाता है।
मोटापा (BMI 30 या उससे ज्यादा) – ऐसी महिलाएं प्रेग्नेंसी से पहले जितनी कैलोरी लेती थी, उन्हें उतनी ही कैलोरी लेने की सलाह दी जाती है, ताकि उनका वजन धीरे-धीरे बढ़े, जो बच्चे की सेहत को स्पोर्ट करे। ज्यादा वजन होने के कारण प्रेग्नेंट महिलाओं को 5 से 9 किलो बढ़ाने की सलाह दी जाती है।
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उम्र
डॉ. प्रतिभा सिंघल का कहना है कि युवा प्रेग्नेंट महिलाओं को अधिक कैलोरी की जरूरत होती हैं, क्योंकि उनका शरीर भी विकसित हो रहा होता हैं और साथ ही उनके भ्रूण के विकास के लिए भी कैलोरी जरूरी है। इसके विपरीत जो महिलाएं 35 या उससे अधिक उम्र की होती हैं, उन्हें कम कैलोरी की जरूरत होती है। अगर महिला का मेटाबॉल्जिम धीमा होता है, तो उसके मामले में खास ध्यान रखा जाता है। बढ़ती उम्र की गर्भवती महिलाओं के कैल्शियम और फॉलिक एसिड पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है, ताकि बच्चे की हेल्थ सही रहे।
हाइट और शरीर की संरचना
जो महिलाएं लंबी होती हैं, उन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादा कैलोरी चाहिए, क्योंकि उनका बेसल मेटाबॉल्कि रेट (BMR) कम हाइट की महिलाओं के मुकाबले ज्यादा होता है। वैसे भी लंबे कद की महिलाओं को काम करने के लिए ज्यादा एनर्जी की जरुरत होती है और गर्भवती महिलाओं को अधिक कैलोरी की जरुरत पड़ती है। वहीं छोटी हाइट की महिलाओं को एनर्जी कम लगती है, इसलिए उन्हें 2200 -2500 कैलोरी लेने की सलाह दी जाती है।
एक्टिविटी लेवल
प्रेग्नेंसी में महिलाएं कितना शारीरिक काम करती हैं, इस बात पर भी कैलोरी निर्भर करती है। आमतौर पर प्रेग्नेंसी में महिलाओं को कम स्तर की कसरत जैसे कि वॉक, तैराकी और प्रीनेटल योग करने की सलाह दी जाती है। जो महिलाएं प्रेग्नेंसी में ज्यादा एक्टिव होती हैं, उन्हें रोजाना 350-450 अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत पड़ती है लेकिन ये उनकी एक्टिवटीज पर भी निर्भर करता है। जो महिलाएं प्रेग्रेंसी में काम नहीं करती, उन्हें दिन में 200-300 अतिरिक्त कैलोरी लेने को कहा जाता है।
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बीमारी होने पर
डॉ. प्रतिभा के अनुसार अगर किसी गर्भवती महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज है, उन्हें कार्बोहाइड्रेट्स पर खास ध्यान देना चाहिए, ताकि उनके ब्लड शूगर का स्तर नियंत्रित रहे। इसी तरह से थायराइड में भी अलग-अलग कैलोरी की जरूरत पड़ती है। हाइपरथायराइड में ज्यादा कैलोरी चाहिए तो हाइपोथायराइड में मेटाबॉल्जिम धीमा होने के कारण कम कैलोरी लेने को कहा जाता है।
पोषण पर दें ध्यान
हालांकि गर्भवती महिलाओं को कैलोरी पर चेक रखना चाहिए लेकिन इसके साथ ही क्वालिटी पर ध्यान देना भी जरूरी है। आहार लेते समय इन बातों का खास ध्यान रखें –
- लीन प्रोटीन – चिकन, मछली और बींस
- साबुत अनाज – ब्राउन राइस, क्विनोआ, साबुत अनाज की ब्रेड
- हेल्दी फैट्स – एवाकाडो, मेवे, ऑलिव तेल
- फल और सब्जियां– विटामिन और मिनरल के लिए मौसमी फल-सब्जियां जरूर लेनी चाहिए।
पोषण से युक्त डाइट लेने से महिला की प्रेग्नेंसी सेहतमंद रहती है और बच्चे का विकास भी बेहतर तरीके से होता है। इसलिए महिलाओं को कैलोरी और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना चाहिए।