नारियल दिवस, स्वच्छ भारत, हरा भारत
एशियाई और प्रशांत नारियल समुदाय द्वारा पहली बार 1969 में विश्व नारियल दिवस उत्साह के साथ मनाया गया। नारियल दिवस को मनाने का उद्देश्य दुनियाभर में नारियल की खेती के बारे में लोगों को जागरुक करना है। भारत विश्व का सबसे बड़ा नारियल उत्पादक देश है। देश में दुनिया का 31.45 प्रतिशत नारियल का उत्पादन होता है।
नारियल दिवस का महत्व Importance of Coconut Day:
भारतीय धर्म-संस्कृति में नारियल का खास महत्व है। नारियल दिवस का यह दिन इनके उपयोग से लेकर विभिन्न उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह उत्सव नारियल के पोषण मूल्य और आर्थिक महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए है। यह उन किसानों व उत्पादकों का सम्मान करता है जो फल को हमारी मेज तक लाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। नारियल में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है।
विश्व नारियल दिवस की थीम क्या है What is the theme of World Coconut Day:
विश्व नारियल दिवस की थीम “एक परिपत्र अर्थव्यवस्था के लिए नारियल अधिकतम मूल्य के लिए साझेदारी का निर्माण करना है।” यह थीम नारियल का इस्तेमाल इस तरह से करने के महत्व पर जोर देती है।
प्लास्टिक का बढ़ता इस्तेमाल पृथ्वी के लिए संकट:
पूरे विश्व में प्लास्टिक का उपयोग इस कदर बढ़ चुका है और हर साल पूरे विश्व में इतना प्लास्टिक फेंका जाता है कि इससे पूरी पृथ्वी के चार घरे बन जाएं। प्लास्टिक केमिकल शरीर में विभिन्न स्त्रोतों से प्रवेश करता है। अरबों पाउंड प्लास्टिक पृथ्वी के पानी स्त्रोतों खासकर समुद्रों में पड़ा हुआ है। 50 प्रतिशत प्लास्टिक की वस्तुएं हम सिर्फ एक बार काम में लेकर फेंक देते हैं। प्लास्टिक को पूरी तरह से खत्म होने में 500 से 900 साल तक लगते हैं।
प्लास्टिक मुक्त भारत के लिए अपनाना चाहिए इनोवेटिव तकनीक: आजकल लोगों में यह चलन है कि मार्केट या बाजारों मे थैला लेकर नही जाते और प्लास्टिक के थैले में सामान लेकर आते हैं। जब लोग कच्चा नारियल घर लेकर जाते हैं, तब भी प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में रोजाना लाखों पॉलिथीन बैग्स, पन्नी का उपयोग होता है, जो पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक का आह्वान कर चुके हैं। नारियल पानी बेचने वाले भैया लोगों को प्लास्टिक की थैली का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए। इसके लिये बड़ी सुई व सुत्ली धागे से नारियल के ऊपर छेद करके देना चाहिए। यह तकनीक सभी नारियल बेचने वालों को अपनाना चाहिए, जिससे प्लास्टिक मुक्त भारत बन सके। प्लास्टिक के रूप में कपड़े, बांस, लकड़ी, और धातु जैसे प्राकृतिक पदार्थों से बने उत्पादों का इस्तेमाल करना चाहिए।