प्लास्टिक आपके हार्मोन्स को कैसे प्रभावित करता है? डॉक्टर से जानें | how plastic affects your hormones doctor explains in hindi


हमारा जीवन प्लास्टिक की चीजों और उपयोग के इर्दगिर्द घूमता रहता है। पानी पीने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बोतल हो या फिर सब्जी, फल और अन्य खाद्य पदार्थों को खरीदने की बात हो, हर चीज प्लास्टिक की पन्नियों में आता है। यह बात तो हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है प्लास्टिक का इस्तेमाल हमारे शरीर में हार्मोनल स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। आज के इस आर्टिकल में यहीं जानने की कोशिश करेंगे कि प्लास्टिक का उपयोग आपके हार्मोन पर कैसे प्रभाव डालता है। आइए न्यूवेव वेलनेस सेंटर के फंक्शनल मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ. प्रणव व्यास से जानते हैं हार्मोन्स पर प्लास्टिक का क्या प्रभाव पड़ता है?

प्लास्टिक हार्मोन को कैसे प्रभावित करता है?

1. हार्मोन की नकल करने वाले केमिकल

बिस्फेनॉल ए (BPA) प्लास्टिक में पाया जाने वाला एक नॉर्मल केमिकल है, जो शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की नकल कर सकता है। BPA एस्ट्रोजन रिसेप्टर्स से बंध सकता है, जो हार्मोनल कार्यों को बाधित कर सकता है और आपके शरीर में हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है। जबकि फथैलेट्स केमिकल, जो अक्सर प्लास्टिक को नरम करने के लिए उपयोग किया जाता है, आपके शरीर के हार्मोन सिस्टम को बाधित कर सकता है, जिससे स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती है। 

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2. प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं

प्लास्टिक में हार्मोन को बाधित करने वाले केमिकल होते हैं, जिनके संपर्क में आने से पुरुषों और महिलाओं दोनों के प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इससे से महिलाओं में ओवुलेशन और पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती है। इतना ही नहीं कई महिलाओं में प्लास्टिक PCOS के लक्षणों को बढ़ा सकता है, जो अनियमित पीरियड्स और हार्मोनल असंतुलन की समस्या को बढ़ा सकता है। 

3. थायरायड डिसऑर्डर 

प्लास्टिक में पाए जाने वाले BPA और कुछ फ्लेम रिटार्डेंट जैसे केमिकल थायरायड हार्मोन उत्पादन में बाधा डाल सकते हैं। यह समस्या चयापचय संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकता है, जिससे एनर्जी का स्तर, वजन और ओवरऑल हेल्थ प्रभावित होता है। इन केमिकल्स के लंबे समय तक संपर्क में रहने से थायरायड डिसऑर्डर का जोखिम बढ़ सकता है। 

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4. कैंसर का जोखिम बढ़ना

प्लास्टिक में मौजूद केमिकल के संपर्क में आने से कुछ कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है, खासकर वे जो हार्मोन पर निर्भर होते हैं, जैसे कि स्तन कैंसर। इन केमिकल के हार्मोन में खलल डालने वाले प्रभाव सेलुलर प्रक्रियाओं को बदलकर कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। 

प्लास्टिक के कारण शरीर पर पड़ने वाले जोखिम को बढ़ने से रोकने के लिए आप इसके अन्य विकल्पों जैसे, कांच के बर्तन, स्टेनलेस स्टील या अन्य नॉन-प्लास्टिक की चीजों का उपयोग करें, खासकर खाने और ड्रिंक के कंटेनरों के लिए। हार्मोनल स्वास्थ्य पर प्लास्टिक के प्रभाव को समझकर और प्लास्टिक की चीजों के उपयोग से बचाव करके आप अपने ओवरऑल हेल्थ को बेहतर रख सकते हैं। 

Image Credit: Freepik 

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