How Anemia Affect Women: एनीमिया खून से जुड़ी बीमारी है। जिन लोगों में आयरन की कमी होती है, या फिर लाल रक्त कोशिकाएं नियमित रूप से नहीं बन पाती, उन्हें एनीमिया की बीमारी हो सकती है। वैसे तो आमतौर पर एनीमिया महिलाओं और बच्चों में ज्यादा पाया जाता है, लेकिन पुरूष भी इससे अछूते नहीं हैं। एनीमिया की वजह से कई गंभीर बीमारियां देखने को मिल सकती है। इसलिए राष्ट्रीय पोषण सप्ताह (National Nutrition Week) के मौके पर एनीमिया से जुड़े पहलुओं पर बात करना बहुत जरूरी है, ताकि महिलाओं में हो रहे एनीमिया के खतरे को कम किया जा सकें।
एनीमिया से सिर्फ प्रेग्नेंट महिलाओं को ही नहीं जूझना पड़ता, बल्कि नॉन प्रेग्नेंट महिलाएं भी इससे अछूती नहीं है। NCBI के अनुसार महिलाओं में हिमोग्लोबिन की मात्रा 12 से 16g/dl होनी चाहिए। प्रेग्नेंट महिलाओं में पहली और तीसरी तिमाही में कम से कम हिमोग्लोबिन की मात्रा 11g/dl होनी चाहिए और दूसरी तिमाही में 10.5g/dl होना बहुत जरूरी है। लेकिन, भारत में महिलाएं इससे काफी हद तक अनजान होती है। इसलिए उनमें एनीमिया के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में उनके पोषण पर ध्यान देने की सख्त जरूरत है।
नॉन-प्रेग्नेंट महिलाओं में एनीमिया के बढ़ते आंकड़ों का कारण
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की NFHS 4 की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015 में 15 से 49 साल की नॉन-प्रेग्नेंट महिलाओं में एनीमिया की समस्या 53.2% थी, जो NFHS 5 में बढ़कर 57.2% हो गई। NFHS 5 के आंकड़े 2019-21 के हैं। रिपोर्ट के अनुसार, गांव की महिलाओं में ये समस्या करीब 59% है। इन आंकड़ों को देखकर लगता है कि लोगों में एनीमिया और पोषण को लेकर खास सजगता नहीं है और इसी वजह से आंकड़ों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जो चिंता का विषय है। एनीमिया के बढ़ते आंकड़ों के बारे मुम्बई के झायनोव्हा शाल्बी अस्पताल की डाइटिशियन जिनल पटेल का कहना है,“नॉन-प्रेग्नेंट महिलाओं में एनीमिया के बढ़ने का कारण जंक फूड, प्रोसेस्ड और पैकेड फूड का अधिक मात्रा में सेवन करना है। इनमें जरूरी पोषक तत्व जैसे आयरन और विटामिन बी12 नहीं होता। ये पोषक तत्व ही एनीमिया को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आजकल के बिजी लाइफस्टाइल में स्ट्रैस न सिर्फ खाने की आदतों को प्रभावित करता है, बल्कि पोषक तत्व भी शरीर में अवशोषित नहीं होते। नॉन प्रेग्नेंट महिलाओं में पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होना, सीलिएक बीमारी, आईबीएस के कारण एनीमिया का रिस्क बढ़ रहा है। कई परिवारों में एनीमिया की हिस्ट्री देखने को मिलती है। इसलिए मैं सभी को संतुलित मात्रा में विटामिन्स, खनिज, आयरन, जिंक, कार्बोहाइड्रेट्स और फोलेट की सलाह देती हूं।”
लक्षण
लक्षणों के बारे में पुणे के मणिपाल अस्पताल की सीनियर डाइटिशियन प्रियंका प्रणय बांदल का कहना है कि इनकी पहचान करके तुरंत डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- थकान और कमजोरी
- त्वचा में पीलापन आना
- सांस लेने में तकलीफ
- चक्कर आना और हाथ-पैर ठंडे होना
- दिल की धड़कन अनियमित होना
- सिरदर्द और नाखून का टूटना
- फोकस करने में दिक्कत होना
सेहत पर असर
अगर किसी महिला को एनीमिया की समस्या होती है, तो उसे हृदय से जुड़ी परेशानियां हो सकती है। इस बारे में पुणे के मणिपाल अस्पताल की कंस्लटेंट – स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. रुशाली निखिल जाधव का कहना है, “ जिन नॉन प्रेग्नेंट महिलाओं को एनीमिया की समस्या साल दर साल बनी रहती, उनमें इम्युनिटी की कमी रहती है और इससे उन्हें बार-बार इंफेक्शन होती है। दिल की धड़कनें भी अनियमित हो जाती है। कई महिलाओं को फेफड़ों की समस्या और हार्ट फेलियर होने का खतरा बना रहता है।”
प्रेग्नेंट महिलाओं में एनीमिया के बढ़ते आंकड़े
अगर प्रेग्नेंट महिलाओं को एनीमिया की समस्या हो जाए, तो ये मां और शिशु दोनों के लिए काफी गंभीर हो सकती है। इसके बावजूद भारत में एनीमिया पीड़ित प्रेग्नेंट महिलाओं के आंकड़ों में कोई कमी नहीं है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की NFHS 4 रिपोर्ट की बात करें, तो ये आंकड़े 50.4% थे, जो बढ़कर NFHS 5 में करीब 52% हो गए। हालांकि प्रेग्नेंट महिलाओं की सेहत का खास ख्याल रखा जाता है, लेकिन एनीमिया को लेकर ज्यादा सजगता नहीं है और खास तौर से गांव में एनीमिया को लेकर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता। अगर गांव के आंकड़ों पर गौर किया जाए, तो ये करीब 54% है, जबकि शहरों में करीब 47% है। इसकी वजह बताते हुए पुणे के मणिपाल अस्पताल की सीनियर डाइटिशियन प्रियंका प्रणय बांदल कहती है,” कई महिलाओं में प्रेग्नेंसी से पहले ही विटामिन्स और खास तौर से आयरन, फॉलिक एसिड और विटामिन बी 12 की कमी होती है। इस वजह से एनीमिया की समस्या प्रेग्नेंसी में भी आ जाती है। खास बात ये है कि प्रेग्नेंसी में भ्रूण के विकास के लिए आयरन और अन्य पोषक तत्वों की ज्यादा जरूरत पड़ती है। ऐसे में अगर ये पोषक तत्व समय पर महिला को न मिलें, तो एनीमिया की शिकायत हो जाती है। अगर महिलाएं कम गैप में फिर से प्रेग्नेंट हो जाती हैं, तो शरीर से आयरन खत्म होने लगता है। डायबिटीज और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की समस्या भी पोषण तत्वों के अवशोषण में अवरोध पैदा करती है, इससे एनीमिया की समस्या हो सकती है।”
लक्षण
प्रेग्नेंट महिलाओं को एनीमिया से जुड़े इन लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी है। मुम्बई के अपोलो स्पेक्ट्रा की डाइटिशियन फौजिया अंसारी से लक्षणों के बारे जानिए –
- आराम करने के बाद भी थकान महसूस होना
- सांस लेने में तकलीफ
- जोड़ों में दर्द और बाल झड़ना
- जीभ में सूजन और तेज सिरदर्द रहना
- हाथों में झनझनाहट और देखने में समस्या आना
- सामान्य से अधिक प्यास लगना
- सोने में दिक्कत होना
- एकाग्रता में कमी होना
जब भी ये लक्षण दिखें, तो इन्हें नजरअंदाज न करें। अपने डॉक्टर की सलाह लेकर एनीमिया से जुड़े ब्लड टेस्ट कराएं। डॉक्टर द्वारा बताई गई डाइट और दवाइयों में बदलाव करें, क्योंकि इससे आपकी प्रेग्नेंसी सेफ रहती है।
सेहत पर असर
प्रेग्नेंट महिलाओं में खून की कमी काफी घातक सिद्ध हो सकती है, क्योंकि भ्रूण को विकास के लिए खून की जरूरत होती है और अगर महिला में खून की कमी या आयरन की कमी हो जाए, तो ये भ्रूण के विकास पर असर पड़ता है। इस बारे में दिल्ली के मैक्स हेल्थ केयर अस्पताल की क्लिनिकल और बैरिएट्रिक न्यूट्रिशनिस्ट और डायबिटिज एजुकेटर समरीन फारूखी कहती है,“एनीमिया की कमी के चलते इंफेक्शन होने का रिस्क बढ़ना, समय से पहले प्रसव दर्द होना, पोस्टपार्टम डिप्रेशन, जन्म के समय बच्चे का वजन कम होना और बच्चे में आयरन की कमी होने का रिस्क रहता है। इसलिए मैं हमेशा प्रेग्नेंट महिलाओं को सलाह देती हूं कि एनीमिया की जांच करवाएं और न्यूट्रिशनिस्ट या डॉक्टर की सलाह लेकर अपने खान-पान पर ध्यान दें।”
एनीमिया से बचाव के उपाय
एनीमिया चाहे नॉन प्रेग्नेंट महिला में हो, या फिर गर्भवती महिला में, दोनों ही सूरतों में उन्हें अपना ख्याल रखना चाहिए। एनीमिया से बचाव के लिए अपनी डाइट पर काम करने की जरूरत है। इसके लिए आप न्यूट्रिशनिस्ट से भी सलाह ले सकती हैं। मुम्बई के लीलावती अस्पताल की न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. वीना पाई ने एनीमिया को रोकने के लिए कुछ टिप्स दिए हैं, जिसे आप अपनी जीवन में अपना सकती हैं।
- गहरी हरी पत्तेदार सब्जियों को आयरन के बर्तन में खाना बनाएं।
- अपने भोजन में मीट, मछली, चिकन और शैलफिश शामिल करें।
- भोजन में पीले और नारंगी रंग के फल और सब्जियां शामिल करें।
- अगर महिलाओं को हैवी पीरियड्स होते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लें।
- एक्सपर्ट की सलाह पर रोज कसरत करें।
- डॉक्टर से सलाह लेकर अपने खाने में आयरन सप्लीमेंट शामिल करें।
- मील में किसी भी तरह के बदलाव के लिए न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह लें।
Image Credit: Freepik