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भारत सरकार की जांच में बायजूज (Byju’s) के कॉरपोरेट गवर्नेंस में खामियां पाई गईं। हालांकि इस जांच में किसी तरह के फाइनेंशियल फ्रॉड का मामला सामने नहीं आया है। न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग ने बुधवार 26 जून को एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी। कई मोर्चों पर मुश्किलों से जूझ रही एडटेक कंपनी बायजूज के लिए यह राहत भरी खबर हो सकती है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को करीब साल भर लंबे जांच में फंड की हेराफेरी या वित्तीय खातों में हेरफेर जैसे गलत कामों का कोई सबूत नहीं मिला। हालांकि कॉरपोरेट गवर्नेंस से जुड़े कई कमियों का पता चला, जिसने स्टार्टअप के बढ़ते घाटे में योगदान दिया। बता दें कि अभी तक सरकार की यह जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है।
ये जांच रिपोर्ट कंपनी के फाउंडर बायजू रवींद्रन (Byju Raveendran) को कुछ हद तक राहत दे सकती है, जिनपर नाराज निवेशकों ने मिसमैनेजमेंट का आरोप लगाया था। प्रोसस वेंचर्स और पीक XV पार्टनर्स सहित तीन शेयरधारकों ने पिछले साल रवींद्रन के साथ कंपनी के व्यापार तरीके और तरिक नियंत्रण जैसे मुद्दों पर मतभेदों के चलते बायजू के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था।
यह जांच रिपोर्ट कंपनी के खिलाफ सरकारी एजेंसियों की तरफ से कोई नई जांच शुरू करने की संभावना को भी अस्थायी रूप से खत्म करती है।
रिपोर्ट में सीधे तौर पर यह नहीं बताया गया है कि गवर्नेंस में चूक के लिए रवींद्रन व्यक्तिगत रूप से दोषी हैं या नही। या फिर वे कंपनी चलाने के लिए योग्य हैं या नहीं। बता दें कि नाराज निवेशकों ने रवींद्रन पर मिसमैनेजमेंट और कॉरपोरेट गवर्नेंस का पालन करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए उन्हें कंपनी से हटाने की मांग की थी।
हालांकि इस रिपोर्ट से कंपनी की व्यापक समस्याओं को दूर होने की उम्मीद अभी भी कम है। बायजूज घाटे में चल रही है और इस बीच कंपनी के तेजी से विस्तार की योजना ने उसके सामने नकदी संकट खड़ा कर दिया है। इस बीच कंपनी के वैल्यूएशन में भी भारी गिरावट आई है और यह भारत और अमेरिका में कई मुकदमों से जूझ रहा है।
जांच में पाया गया कि कमजोर कॉर्पोरेट गवर्नेंस, नियमों के पालन में चूक और फंड जुटाने में दिक्कत आने से इसके घाटे में इजाफा हुआ। जांचकर्ताओं ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि स्टार्टअप अपने फाइनेंस और गवर्नेंस को देखने के लिए प्रोफेशनल्स लाने में विफल रहा, जिसके कारण घाटा हुआ।
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