Government Appoints Saugata Bhattacharya, Ram Singh, Nagesh Kumar As RBI MPC Members Ahead of Policy Decision | RBI की मीटिंग से पहले मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में बदलाव: सरकार ने 3 नए सदस्यों की नियुक्ति की, 7-9 अक्टूबर को होगी मीटिंग


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मुंबई37 मिनट पहले

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सरकार ने मंगलवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी यानी MPC में राम सिंह, सौगत भट्टाचार्य और नागेश कुमार सहित तीन नए बाहरी सदस्यों की नियुक्ति की है। MPC में 6 सदस्य हैं, जिनमें से तीन केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास, डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राजीव रंज है।

जबकि, तीन बाहरी सदस्यों की नियुक्ति चार साल के लिए केंद्र सरकार करती है। अभी MPC के बाहरी सदस्यों में प्रोफेसर आशिमा गोयल, प्रोफेसर जयंत वर्मा और नई दिल्ली के वरिष्ठ सलाहकार शशांक भिडे हैं। इनका कार्यकाल इसी हफ्ते खत्म हो रहा है।

राम सिंह दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के डायरेक्टर हैं, जबकि डॉ. नागेश कुमार इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के डायरेक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव हैं। सौगत भट्टाचार्य अर्थशास्त्री हैं।

MPC की मीटिंग 7-9 अक्टूबर को होगी

RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी मीटिंग 7-9 अक्टूबर को होगी। गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली इस मीटिंग में ब्याज दर पर फैसला लिया जाएगा।

पिछली मीटिंग अगस्त को हुई थी, जिसमें कमेटी ने लगातार 9वीं बार दरों में बदलाव नहीं किया था। अक्टूबर में होने वाली मीटिंग में भी ब्याज दरों में बदलाव की उम्मीद नहीं है।

मीटिंग के फैसलों की जानकारी RBI गवर्नर शक्तिकांत दास 9 अक्टूबर को देंगे। ये मीटिंग हर दो महीने में होती है। RBI ने आखिरी बार फरवरी 2023 में दरें 0.25% बढ़ाकर 6.5% की थीं।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.5% की कटौती की

इससे पहले 18 सितंबर को अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.5% की कटौती की थी। चार साल बाद की गई इस कटौती के बाद ब्याज दरें 4.75% से 5.25% के बीच हो गई थी। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी है, ऐसे में इसके सेंट्रल बैंक के हर बड़े फैसले का असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ता है।

2020 से रिजर्व बैंक ने 5 बार में 1.10% ब्याज दरें बढ़ाईं

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कोरोना के दौरान (27 मार्च 2020 से 9 अक्टूबर 2020) दो बार ब्याज दरों में 0.40% की कटौती की। इसके बाद अगले 10 मीटिंग्स में सेंट्रल बैंक ने 5 बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की, चार बार कोई बदलाव नहीं किया और एक बार अगस्त 2022 में 0.50% की कटौती की। कोविड से पहले 6 फरवरी 2020 को रेपो रेट 5.15% पर था।

भारत में मार्च 2025 तक 0.50% की कटौती हो सकती है

  • जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट डॉ. वी के विजयकुमार ने कहा कि भारत में मार्च 2025 तक 0.50% की कटौती हो सकती है। RBI ने 8 फरवरी 2023 के बाद से ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। अभी रेपो रेट 6.50% है।
  • वॉलफोर्ट फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के फाउंडर विजय भराड़िया ने कहा की कि दर में कटौती एक साहसिक कदम है जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सहित अन्य वैश्विक केंद्रीय बैंकों को सॉफ्टर मॉनेटरी स्टांस अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।

महंगाई से लड़ने का शक्तिशाली टूल है पॉलिसी रेट

किसी भी सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है।

पॉलिसी रेट ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।

इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।

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