हालांकि, गूगल सर्च के जरिए दिखने वाले बैलेंस वास्तविक समय में अपडेट नहीं होंगे। इस फीचर के लिए पात्र ब्लॉकचेन्स के टोकन्स में ही बैलेंस दिखेंगे। इस फीचर के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर दिख रहे हैं। ब्लॉकचेन ट्रांजैक्शंस को पब्लिक डोमेन्स पर सेव किया जाता है। एक वॉलेट एड्रेस से उसके होल्डर की पहचान का खुलासा नहीं होता। प्रत्येक क्रिप्टो वॉलेट का कंट्रोल इसकी प्राइवेट की में होता है और यह की वॉलेट के होल्डर के पास होती है। पिछले कुछ सप्ताह से क्रिप्टो मार्केट में तेजी है। इस महीने की शुरुआत में बिटकॉइन ने 73,700 डॉलर से अधिक का हाई बनाया था।
इंटरनेशनल बैंक Standard Chartered का अनुमान है कि अगले वर्ष तक बिटकॉइन दो लाख डॉलर के प्राइस तक पहुंच सकता है। हालांकि, भारत में क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर केंद्र सरकार का सख्त रवैया बरकरार है। हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि देश में क्रिप्टोकरेंसीज को ‘करेंसी’ के तौर पर माना या देखा नहीं जाता। क्रिप्टो मार्केट में आई तेजी के बाद इस सेक्टर को लेकर सरकार के रवैये में बदलाव के प्रश्न पर, सीतारमण का कहना था, “सरकार का हमेशा से यह मानना रहा है कि क्रिप्टो को लेकर बनाए गए एसेट्स को ट्रेडिंग और कई अन्य चीजों के लिए एसेट्स के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। हमने इन्हें रेगुलेट नहीं किया है। ये करेंसीज नहीं हो सकते और यह केंद्र सरकार की पोजिशन है।”
अमेरिका में बिटकॉइन स्पॉट ETF को सिक्योरिटीज रेगुलेटर की ओर से स्वीकृति मिलने के बाद क्रिप्टो मार्केट में काफी तेजी आई है। इन ETF में फंडिंग भी बढ़ रही है। बिटकॉइन के साथ ही Ether और अन्य क्रिप्टोकरेंसीज के प्राइसेज बढ़े हैं। इससे पहले कैपिटल मार्केट रेगुलेटर SEBI ने कहा था कि ट्रांजैक्शंस में आसानी की वजह से स्टॉक मार्केट से बड़ी संख्या में इनवेस्टर्स का रुख क्रिप्टो सेगमेंट की ओर हो सकता है।
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