वित्त मंत्रालय ने आईडीबीआई बैंक में दिलचस्पी दिखाने वाले बोलीदाताओं की जांच-परख पूरी करने में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से ‘असामान्य’ देर पर चिंता जताई है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि लंबी जांच प्रक्रिया के कारण रणनीतिक हिस्सेदारी की बिक्री रुकी हुई है।
वित्तीय बोली लगाने की पात्रता के लिए निवेशकों का आरबीआई द्वारा ‘उचित एवं उपयुक्त मूल्यांकन’ जरूरी होता है। उक्त अधिकारी ने कहा, ‘हमें लगता है कि आरबीआई ने अत्यधिक समय लगाया है। हमने इसे लेकर सवाल उठाया है और इस बारे में उन्हें बताया है। वे प्रक्रिया पूरी करने के लिए कुछ और जानकारी और पूछताछ करना चाह रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई यह काम तेजी से करेगा ताकि जांच-पड़ताल शुरू हो सके और उसके बाद वित्तीय बोलियां मंगाई जा सकें।’
इस बारे में जानकारी के लिए बिज़नेस स्टैंडर्ड ने आरबीआई और वित्त मंत्रालय को ईमेल भेजा मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।
सरकार ने जनवरी 2023 में बोलीदाताओं का ब्योरा आरबीआई को भेजा था। अधिकारी ने कहा,’देरी होने का एक कारण यह भी रहा कि इस प्रक्रिया में कई इकाइयां- प्राइवेट इक्विटी कंपनियां, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) शामिल हो गईं। यानी केवल बैंक ही दावेदार नहीं थे। इस वजह से नियम-शर्तें का भी विस्तार से ब्योरा देना पड़ता है।’
आईडीबीआई का प्रस्तावित विलय दो चरणों में विभाजित किया गया है। इनमें पहले चरण में बोली प्रक्रिया में अभिरुचि (ईओआई) आमंत्रित की जाएगी उसके बाद उपयुक्त जांच आदि के बाद सुरक्षा मंजूरी दी जाएगी। दूसरे चरण में संभावित बोलीदाता अपनी तरफ से जांच-परख कर आगे बढ़ेंगे जिसमें दो से तीन महीने लग सकते हैं। इसके बाद वित्तीय बोलियां आमंत्रित की जाएंगी। अधिकारी ने कहा कि अब सरकार को लग रहा है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक बोली प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
वित्त वर्ष 2017 के केंद्रीय बजट में सरकार ने आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से कम करने का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद अक्टूबर 2022 में सरकार ने अभिरुचि पत्र आमंत्रित करने के लिए प्रारंभिक सूचना ज्ञापन जारी किया था। सरकार सार्वजनिक इकाइयों के जरिये कारोबार में अपनी उपस्थिति कम करना चाहती है। इस लिहाज से आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बेचने की पहल निश्चित तौर पर सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम नीति के लिए परीक्षा से कम नहीं होगी।
सरकार और एलआईसी आईडीबीआई बैंक में 60.72 प्रतिशत हिस्सा बेचने की तैयारी कर रही हैं। 31 दिसंबर 2023 तक आईडीबीआई बैंक में एलआईसी की 49.24 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि सरकार हिस्सेदारी 45.48 प्रतिशत थी।
निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग को आईडीबीआई बैंक में प्रस्तावित हिस्सेदारी बिक्री और प्रबंधन नियंत्रण के हस्तांतरण के लिए कई इकाइयों ने अपनी दिलचस्पी से अवगत कराया है।
First Published – May 9, 2024 | 11:33 PM IST