Falgun Amavasya 2024 ज्योतिषाचार्य के अनुसार, पितृ दोष से राहत पाने के लिए दक्षिण दिशा में मुख कर पितरों को जल का अर्घ्य दें। साथ ही पितृ कवच और स्त्रोत का पाठ करें।
By Sandeep Chourey
Publish Date: Tue, 05 Mar 2024 11:58 AM (IST)
Updated Date: Sun, 10 Mar 2024 08:51 AM (IST)
HighLights
- मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों की आत्मा धरती पर आती है।
- पितृपक्ष में पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है।
- वैदिक ज्योतिष के अनुसार, पितरों के प्रसन्न होने से जातक जीवन में तरक्की करता है।
धर्म डेस्क, इंदौर। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। पौराणिक मान्यता है कि फाल्गुन माह की अमावस्या तिथि पर यदि विधि-विधान पूजा की जाती है तो पितरों का आशीर्वाद मिलता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन माह में अमावस्या आज 10 मार्च को है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, फाल्गुन अमावस्या के दिन शुभ और मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती है। इस दिन पितृ स्तोत्र का पाठ करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
पितृ स्तोत्र (Pitru Stotram)
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ॥
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ॥
मन्वादीनां मुनीन्द्राणां सूर्याचन्द्रमसोस्तथा ।
तान् नमस्याम्यहं सर्वान् पितृनप्सूदधावपि ॥
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि: ॥
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येsहं कृताञ्जलि: ॥
प्रजापते: कश्यपाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ॥
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ॥
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ॥
अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्नीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ॥
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्निमूर्तय:।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ॥
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतमानस:।
नमो नमो नमस्ते मे प्रसीदन्तु स्वधाभुज: ॥
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