एक्सपोर्ट इंपोर्ट बैंक ऑफ इंडिया (इंडिया एग्जिम बैंक) ने वित्त वर्ष 25 में करीब 3.5 अरब डॉलर जुटाने की योजना बनाई है। इसका इस्तेमाल भारतीय कंपनियों, विदेशी सरकारों और संस्थानों को ऋण देने के साथ ही परिपक्व होने वाले ऋण साधनों के पुनर्भुगतान को प्रबंधित करने के लिए होगा।
इंडिया एग्जिम बैंक की प्रबंध निदेशक हर्षा बंगारी ने कहा कि विदेश से वास्तविक उधारी ऋण की मांग व बाजार की स्थितियों पर निर्भर होगी। इस सरकारी संस्थान के पास बॉन्ड और कॉन्ट्रैक्ट ऋण जारी करने का भी विकल्प है, लेकिन हर माध्यम की हिस्सेदारी लागत-लाभ के आकलन पर निर्भर होगी।
बंगारी ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 में 1.2 अरब डॉलर के करीब की देनदारी परिपक्व हो रही है। बैंक ने वित्त वर्ष 24 के दौरान विदेशी मुद्रा में 3.26 अरब डॉलर जुटाए थे। वित्त वर्ष 2023 में इसने 3.47 अरब डॉलर जुटाए थे।
इस साल के अंत तक श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन को अंतिम रूप दिया जाएगा। बंगारी के मुताबिक कई देशों और बहुपक्षीय एजेंसियों को शामिल करते हुए श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन पैकेज को कैलेंडर वर्ष 2024 के आखिर के महीनों में अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। भारत की व्यापार वित्त इकाई ने पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ कारोबारी शर्तों पर श्रीलंका के बैंकों को कर्ज दिया है। बंगारी ने कहा कि वे नियमित रूप से कर्ज चुका रहे हैं।
मार्च 2024 के अंत में ऋण पोर्टफोलियो सालाना आधार पर 17.2 प्रतिशत बढ़कर 1.57 लाख करोड़ रुपये हो गया। बढ़ोतरी की वजह स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा, ऑटोमोटिव, इंजीनियरिंग सामान, फार्मास्यूटिकल्स और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में मजबूत वृद्धि है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय कंपनियों की बढ़ती गतिविधि के अनुरूप, कॉरपोरेट लोन बुक में सालाना आधार पर 49 प्रतिशत की वृद्धि हुई। लोन पोर्टफोलियो में निर्यात वित्त की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत थी, निर्यातकों को दिए गए सावधि ऋण (term loans ) की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत थी, इसके बाद आयात वित्त की आठ प्रतिशत हिस्सेदारी थी।
First Published – May 13, 2024 | 10:34 PM IST