एटा एक्वारिड उल्कावृष्टि
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हैली धूमकेतु से संबद्ध एटा एक्वेरिड उल्कापात 5 और 6 मई, 2024 को हुआ, जिसने विश्व भर के खगोलविदों के लिये दुर्लभ खगोलीय दृश्य उत्पन्न किया।
एटा एक्वारिड ‘उल्कावृष्टि’ क्या है?
- एटा एक्वारिड उल्कापात प्रतिवर्ष मई महीने के प्रारंभ में होता है। इस घटना की विशेषता इसके तीव्र उल्कापिंड हैं, जो धूमकेतु हैली द्वारा छोड़े गए मलबे से उत्पन्न होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप लंबे समय तक गतिशील रहने वाले, चमकदार पुच्छल तारे बनते हैं।
- इस घटना के चरम के समय प्रति घंटे लगभग 30 से 40 एटा एक्वारिड उल्काएँ देखी जा सकती हैं, जो विशेष रूप से दक्षिणी गोलार्द्ध से दिखाई देती हैं।
- दक्षिणी गोलार्द्ध में इस उल्कापात की चमक को, कुंभ तारामंडल की उच्च स्थिति के कारण देखने का अधिक अनुकूल अनुभव मिलता है।
- उत्तरी गोलार्द्ध में पर्यवेक्षक क्षितिज पर लंबे उल्कापिंडों को उड़ते हुए देख सकते हैं।
- एटा एक्वेरिड्स की चमक कुंभ तारामंडल में पड़ती है तथा उल्काएँ एटा एक्वेरी तारे के आसपास के क्षेत्र से आती हुई प्रतीत होती हैं।
- इस तारे एवं तारामंडल के कारण इस उल्का बौछार को एटा एक्वारिड्स नाम दिया गया है।
धूमकेतु 1P/हैली:
- 1705 में एडमंड हैली द्वारा खोजा गया धूमकेतु हैली (1P\हैली) लगभग हर 76 वर्षों में सूर्य की परिक्रमा करता है। एकमात्र नग्न आँखों से देखा जाने वाला धूमकेतु जो मानव जीवनकाल में दो बार दिखाई दे सकता है।
- इसके द्वारा उत्पन्न मालवा शामिल मई में एटा एक्वारिड्स और अक्तूबर में ओरियोनिड्स का उत्पादन करता है, जब पृथ्वी इसके द्वारा उत्पन्न मलबे वाले क्षेत्रों से गुजरती है।
- विशेष रूप से पर्यवेक्षकों को हैली अंतिम बार 1986 में दिखाई दी थी तथा यह 2061 तक पुनः दिखाई नहीं देगी।
- धूमकेतु हैली सौर मंडल की सबसे कम परावर्तक वस्तुओं में से एक है, जिसका अल्बेडो 0.03 है।
धूमकेतु क्या हैं?
- परिचय:
- धूमकेतु सौरमंडल के प्रारंभिक अवशेष हैं, जो धूल, चट्टान और बर्फ से बने होते हैं। वे वलयाकार पथों में सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
- सूर्य द्वारा ऊष्मा प्राप्त किये जाने पर धूमकेतु गैस और धूल का उत्सर्जन करते हैं, जिससे एक चमकता हुआ सिर तथा एक पुच्छ बनती है।
- नासा का दावा है कि नेप्च्यून के अलावा कुइपर बेल्ट और सुदूर ऊर्ट क्लाउड में अरबों धूमकेतु हैं जो सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं।
- उल्कापिंड का धूमकेतुओं से संबंध:
- उल्कापिंडों की उत्पत्ति धूमकेतुओं और टूटे हुए क्षुद्रग्रहों के अवशेषों से होती है। वे धूल या चट्टान के छोटे कण हैं जो पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही जल जाते हैं, जिससे प्रकाश की संक्षिप्त पुच्छ बनती हैं।
प्रमुख शर्तें:
- उल्का और उल्कापिंड:
- उल्कापिंड अंतरिक्ष चट्टानें हैं जिनका आकार धूल के कणों से लेकर छोटे क्षुद्रग्रहों तक होता है।
- यह पद तभी लागू होता है जब ये पिंड अभी भी अंतरिक्ष में मौज़ूद हों।
- जब उल्कापिंड तेज़ गति से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं और हवा के घर्षण के कारण जल जाते हैं, तो उन्हें उल्का कहा जाता है।
- एक उल्कापिंड को ‘उल्कापिंड’ कहा जाता है यदि वह पूर्णतः जले बिना पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है एवं सतह पर गिरता है।
- उल्कापिंड अंतरिक्ष चट्टानें हैं जिनका आकार धूल के कणों से लेकर छोटे क्षुद्रग्रहों तक होता है।
- तारामंडल:
- यह तारों का एक समूह है जो रात्रि के समय आकाश में एक पहचानने योग्य पैटर्न बनाता है
- कई संस्कृतियाँ सदियों से इसका उपयोग समय निर्धारण, कहानियों और नेविगेशन के लिये करती रही हैं।
- यह नेप्च्यून की कक्षा से परे सौरमंडल का एक क्षेत्र है। यह एक विशाल, बर्फीला क्षेत्र है जो हज़ारों बर्फीले पिंडों का मूल निवास है, जिनमें प्लूटो, धूमकेतु और कुइपर बेल्ट ऑब्जेक्ट (KBO) जैसे बौने ग्रह शामिल हैं।
- यह तारों का एक समूह है जो रात्रि के समय आकाश में एक पहचानने योग्य पैटर्न बनाता है
- ऊर्ट क्लाउड:
- यह बर्फीले पिंडों का एक विशाल, गोलाकार मेघ है जो कुइपर बेल्ट की तुलना में बहुत अधिक दूरी पर सौरमंडल को घेरता है।
- ऊर्ट क्लाउड, धूमकेतु होते हैं जिन्हें दीर्घावधि के धूमकेतुओं का स्रोत माना जाता है, जिन्हें सूर्य की परिक्रमा करने में अनेकों वर्ष का समय लगता है।
- यह बर्फीले पिंडों का एक विशाल, गोलाकार मेघ है जो कुइपर बेल्ट की तुलना में बहुत अधिक दूरी पर सौरमंडल को घेरता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स
प्रश्न. क्षुदग्रहों तथा धूमकेतु के बीच क्या अंतर होता है? (2011
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं
(a) केवल 1 और
उत्तर: (b)
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