Elon Musk will provide satellite broadband in India | भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विसेज देगी स्टारलिंक: नीलामी के जरिए स्पैक्ट्रम नहीं देगी सरकार, रिलायंस-एयरटेल ने इसकी मांग की थी; मस्क ने विरोध किया था


मुंबई8 मिनट पहले

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सरकार ने सैटेलाइट कम्युनिकेशन (सैटकॉम) स्पेक्ट्रम को प्रशासनिक रूप से आवंटित करने का फैसला किया है। इससे पहले रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी और एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने सरकार से स्पेक्ट्रम का एलोकेशन नीलामी के जरिए करने की बात कही थी।

सरकार के इस फैसले पर स्टारलिंक और स्पेसएक्स के मालिक इलॉन मस्क ने भारत में सैटेलाइड ब्रॉडबैंड सर्विस देने का वादा किया है। उन्होंने अपने X पोस्ट में इस बात की जानकारी दी। इससे पहले मस्क ने दोनों भारतीय बिजनेसमैन के सलाह पर आपत्ति जताई थी।

सिंधिया बोले- स्पैक्ट्रम की लागत सरकार तय करेगी

कम्युनिकेशन मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को बताया कि सैटेलाइट सर्विसेज के लिए स्पैक्ट्रम का एलोकेशन​​​​​​​​​​​​​​ निलामी के जरिए ना होकर एडमिनिस्ट्रेटिव रूप से किया जाएगा और इसके लिए लागत भी सरकार ही तय करेगी।

भारती एयरटेल बैक्ड यूटेलसैट वनवेब भी आने वाले समय में भारत में सैटकॉम सर्विसेज शुरू करने की तैयारी कर रही है।

दुनिया में कहीं भी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस दे सकती है स्टारलिंक

स्टारलिंक लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में सैटेलाइस्ट का एक वर्ल्डवाइड नेटवर्क ऑपरेट करता है और कई देशों में स्पेस बेस्ड ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रोवाइड करता है। कंपनी के पास दुनिया भर में किसी भी स्थान पर स्मार्टफोन को सीधे सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस प्रोवाइड करने की कैपेबिलिटी है।

सरकार के फैसले से स्टारलिंक को फायदा

स्टारलिंक को भारतीय अथॉरिटीज से GMPCS (ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशंस बाय सैटेलाइट सर्विसेज) लाइसेंस मिलने में आसानी होगी। इस लाइसेंस से कंपनी भारत में अपनी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विसेज शुरू कर पाएगी।

GMPCS लाइसेंस पाने वाली तीसरी कंपनी होगी

स्टारलिंक स्पेसएक्स की सहायक कंपनी है। लाइसेंस मिलने के बाद वो भारत में इंडिविजुअल्स और ऑर्गनाइजेशन्स को सैटेलाइट ब्रॉडबैंड, वॉइस और मैसेजिंग सर्विस दे पाएगी। अगर मंजूरी मिल जाती है, तो स्टारलिंक GMPCS लाइसेंस पाने वाली तीसरी कंपनी होगी।

एयरटेल और जियो को ये लाइसेंस मिल चुका

इससे पहले भारती एयरटेल बैक्ड कंपनी वनवेब और रिलायंस जियो को सैटेलाइट सर्विसेज देने के लिए लाइसेंस मिल चुका है। उधर जेफ बेजोस की कंपनी अमेजन ने भी दूरसंचार विभाग से लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, लेकिन इस पर सरकार ने अभी तक चर्चा नहीं की है।

सर्विसेज के लिए IN-SPACe से भी अप्रूवल की जरूरत

सैटकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को ऑटोनॉमस स्पेस रेगुलेटर इंडियन स्पेस रेगुलेटर इंडियन (IN-SPACe) से भी अप्रूवल की आवश्यकता होती है। इसके बाद कंपनियों को DoT के स्पेक्ट्रम एलोकेशन​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​ का इंतजार करना होगा।

सरकार देश में सैटेलाइट सर्विसेज के लिए स्पेक्ट्रम, या रेडियो फ्रीक्वेंसी एलोकेट करने के तरीके पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की सिफारिशों का इंतजार कर रही है। हालांकि, जब तक ट्राई को नया चेयरमैन नहीं मिल जाता तब तक सिफारिशें मिलने की संभावना नहीं है।

सैटेलाइट्स से आप तक कैसे पहुंचेगा इंटरनेट?

  • सैटेलाइट धरती के किसी भी हिस्से से बीम इंटरनेट कवरेज को संभव बनाती है। सैटेलाइट के नेटवर्क से यूजर्स को हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी इंटरनेट कवरेज मिलता है। लेटेंसी का मतलब उस समय से होता है जो डेटा को एक पॉइंट से दूसरे तक पहुंचाने में लगता है।
  • स्टारलिंक किट में स्टारलिंक डिश, एक वाई-फाई राउटर, पॉवर सप्लाई केबल्स और माउंटिंग ट्राइपॉड होता है। हाई-स्पीड इंटरनेट के लिए डिश को खुले आसमान के नीचे रखना होगा। iOS और एंड्रॉइड पर स्टारलिंक का ऐप मौजूद है, जो सेटअप से लेकर मॉनिटरिंग करता है।



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