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Electoral Bond Numbers: सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फटकार खाने के बाद आखिरकार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने चुनाव आयोग को 763 पेजों की दो PDF फाइलें सौंप तो दी लेकिन जो सबसे बड़ा मुद्दा था, उसका तो खुलासा हुआ ही नहीं। मुद्दा था यूनिक बॉन्ड नंबर को लेकर, जो होते हैं अल्फान्यूमेरिक नंबर।
आज सुप्रीम कोर्ट ने फिर से SBI को फटकार लगाते हुए ये बात पूछ ली कि अल्फान्यूमेरिक नंबर कहां है। इसे क्यों जारी नहीं किया गया। औऱ बाद में तारीख दे दी कि SBI 16 मार्च को 5 बजे शाम तक इन डेटा के बारे में जानकारी दे।
मामला यहीं तक नहीं रुका, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि SBI 18 मार्च तक इस बात का भी जवाब दे कि उसने बॉन्ड नंबर क्यों नहीं जारी किया। ऐसे में आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ये बॉन्ड नंबर या अल्फान्यूमेरिक नंबर आखिर होता क्या है? जो पार्टियों को लेकर इतनी बड़ी पोल खोल देगा, जिसका अंदाजा लगाना अभी थोड़ा मुश्किल हैं।
आइये जानते हैं क्या है अल्फान्यूमेरिक नंबर या बॉन्ड नंबर?
गौरतलब है कि अभी तक सभी को इंतजार था कि चुनावी बॉन्ड मिलने के बाद इस बात का पता लग जाएगा कि किस कंपनी या व्यक्ति ने किस पार्टी को कितने रुपये की रकम दान दी। 14 मार्च को जब इलेक्टोलल बॉन्ड चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड हुआ तो इस बात का तो पता चल गया कि किस कंपनी ने कितने रुपये की रकम दी है। और ये भी पता चल गया किस पार्टी को कितना रुपया मिला। लेकिन इस बात का नहीं पता चला कि किस विशेष कंपनी ने किस एक पार्टी को कितने रुपये दी है।
जब भी कोई कंपनी या व्यक्ति कोई भी बॉन्ड पार्टी के नाम से खरीदता है तो उसे एक कोड दिया जाता है। अल्फान्यूमेरिक कोड ठीक उसी तरह होता है जैसे आप पासवर्ड या कुछ आईडी वगैरह बनाते हैं तो उसमें कुछ अल्फाबेट (a,b,C,d जैसे), कुछ नंबर (1,2,3,4) या/और @, $, # जैसे स्पेशल कैरेक्टर को मिलाकर कोड बनाते हैं। उसी तरह जब पार्टियों को चंदा देने के लिए कोई बॉन्ड खरीदता है तो SBI की तरफ से जो बॉन्ड दिया जाता है उसमें भी इसी तरह का एक कोड होता है।
न्यूज वेबसाइट द क्विंट (The Quint) की रिपोर्ट में बताया गया कि यूनिक बॉन्ड नंबर हर बॉन्ड पर दर्ज वह नंबर होता है, जिसे नंगी आखों से देखना नामुमकिन है। इसे सिर्फ अल्ट्रावॉयलेट किरणों (UV Rays) में देखा जा सकता है।
इस अल्फान्यूमेरिक नंबर से होता क्या है? इससे फायदा यह होता है कि इस बात की पहचान उस कोड से हो जाती है कि आखिर बॉन्ड को खरीदने और बेचने वाला व्यक्ति या कंपनी कौन है।
जब होगा बॉन्ड नंबर का खुलासा, तब कैसे पार्टियों की खुलेगी पोल?
14 मार्च को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर पब्लिश हुई इलेक्टोरल बॉन्ड की डिटेल में ये तो बताया गया है कि किस कंपनी ने पैसा दिया, औऱ ये भी बताया गया कि किस पार्टी को कितना रुपया मिला। लेकिन, ये नहीं बताया गया है कि किस कंपनी ने किस एक पार्टी को कितना रुपया दिया।
साधारण भाषा में समझें तो जैसे 1,000 कंपनियों ने 100 लोगों को बराबर-बराबर 1-1 लाख रुपये की रकम दी। लेकिन ये बात नहीं पता कि किस नाम की कंपनी ने उन 100 लोगों में किसको कितनी रकम दी। इस तरह इलेक्टोलर बॉन्ड के साथ भी है।
अब जब अल्फान्यूमेरिक नंबर मिल जाएगा तो ये नंबर से ये मैच किया जा सकेगा कि कौन सा बॉन्ड नंबर पार्टी और कंपनी के बीच में मैच खाता है।
किस पार्टी को कितनी मिली रकम ?
चुनाव आयोग को SBI की तरफ से दी गई रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा को करीब 6061 करोड़ रुपये की रकम मिली। दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा दान ममता बनर्जी की पार्टी त्रिणमूल कांग्रेस (TMC) को मिला वहीं तीसरे नंबर पर देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस रही। TMC को 1610 करोड़ रुपये मिले तो वहीं कांग्रेस को 1422 करोड़ रुपये मिले।
टॉप 5 ऐसी पार्टियों की बात की जाए जिसके खाते में सबसे ज्यादा पैसा आया है तो ऊपर की तीन पार्टियों के बाद तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री कें चंद्रशेखर राव की पार्टी BRS (भारत राष्ट्र समिति) 1215 करोड़ और उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल (BJD) को 776 करोड़ रुपये मिला।
इस बीच ये भी सवाल उठ रहे हैं कि SBI की तरफ से दिया गया डेटा अप्रैल 2019 से लेकर जनवरी 2024 तक का ही है, जबकि ये 2018 में ही लागू कर दिया गया था। ऐसे में 1 साल का डेटा कहां है। ऐसे में बता दें कि SBI ने 1 साल के इस डेटा को भी सुप्रीम कोर्ट के साथ शेयर कर दिया है औऱ जल्द ही ये भी पब्लिक हो जाएंगे। ऐसे में बाद के समय में पार्टियों को मिली रकम थोड़ी सी बढ़ भी जाएगी।
First Published – March 15, 2024 | 3:52 PM IST
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