डिजिटल आरेस्ट स्कैम
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
चर्चा में क्यों?
गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs- MHA) ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ घोटालों में वृद्धि के बारे में चेतावनी जारी की है, जहाँ साइबर अपराधी बिना सोचे-समझे पीड़ितों से पैसे निकालने के लिये सरकारी अधिकारियों का रूप धारण करते हैं।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम क्या है?
- साइबर अपराधी प्रतिरूपण: घोटालेबाज़ खुद को पुलिस, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau Investigation- CBI), नारकोटिक्स विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) या प्रवर्तन निदेशालय (ED) सहित विभिन्न सरकारी एजेंसियों के कर्मियों के रूप में पेश करते हैं।
- धमकाने की रणनीतिः पीड़ितों को अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए कॉल प्राप्त होते हैं, जैसे कि ड्रग्स या नकली पासपोर्ट जैसी प्रतिबंधित वस्तुओं को भेजना या प्राप्त करना।
- जालसाज़ उस “मामले” को बंद करने के लिये भी पैसे की मांग कर सकते हैं जिसमें किसी प्रियजन को कथित तौर पर आपराधिक गतिविधि या दुर्घटना में फँसाया गया हो।
- डिजिटल कारावास: कुछ पीड़ितों को ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ के अधीन किया जाता है, जहाँ उन्हें स्कैमर्स के साथ वीडियो कॉल पर तब तक रहने के लिये मजबूर किया जाता है जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।
- पैसों की मांग: झूठे कानूनी मामलों को बेनकाब नहीं करने के लिये सहमत होने के बदले अपराधी पैसे वसूल रहे हैं।
इन घोटालों से निपटने के लिये क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
- धोखाधड़ी वाले खातों को ब्लॉक करना: I4C ने सरकारी कर्मियों के रूप में प्रस्तुत किये जाने वाले साइबर अपराधियों द्वारा नागरिकों को डराने-धमकाने, ब्लैकमेल करने, ज़बरन वसूली और “डिजिटल गिरफ्तारी” से जुड़े 1,000 से अधिक स्काइप खातों को ब्लॉक कर दिया है।
- I4C इन धोखेबाजों द्वारा उपयोग किये गए सिमकार्ड, मोबाइल डिवाइस और मूल खातों को ब्लॉक करने की सुविधा भी दे रहा है।
- क्रॉस-बॉर्डर अपराध सिंडिकेट: गृह मंत्रालय ने पहचान की है कि ये घोटाले सीमा पार (क्रॉस-बॉर्डर) अपराध सिंडिकेट द्वारा संचालित होते हैं, जो उन्हें एक बड़े, संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध नेटवर्क का हिस्सा बनाते हैं।
- सतर्कता और जागरूकता: I4C ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “साइबर दोस्त” और अन्य प्लेटफॉर्मों पर इस तरह की धोखाधड़ी के संबंध में सतर्कता को बढ़ाया है।
- यदि किसी को ऐसी कॉल आती है, तो उन्हें सहायता के लिये तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर या वेबसाइट “नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल” पर घटना की रिपोर्ट करनी चाहिये।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C):
- इसकी स्थापना गृह मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिये कानून प्रवर्तन एजेंसियों (LEA) के लिये एक रूपरेखा और पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने के लिये की गई थी।
- I4C को देश में साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिये नोडल बिंदु के रूप में कार्य करने की परिकल्पना की गई है।
- यह तीव्रता से विकसित हो रही प्रौद्योगिकियों एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बनाए रखने के लिये साइबर कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव करता है।
- गृह मंत्रालय में संबंधित प्राधिकारी के परामर्श से साइबर अपराधों के लिये अन्य देशों के साथ पारस्परिक कानूनी सहायता संधियों (MLAT) के कार्यान्वयन का समन्वय करना।
- MLAT दो या दो से अधिक देशों के बीच एक द्विपक्षीय समझौता है जो आपराधिक अथवा सार्वजनिक कानूनों को लागू करने के लिये सूचना और साक्ष्य के आदान-प्रदान की अनुमति देता है।
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स
प्रश्न. भारत में किसी व्यक्ति के साइबर बीमा कराने पर निधि की हानि की भरपाई एवं अन्य लाभों के अतिरिक्त निम्नलिखित में से कौन-कौन से लाभ दिये जाते हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1, 2 और 4
उत्तर: (b)
प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किसके लिये साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना कानूनी रूप से अनिवार्य है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1
उत्तर: (d)
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