वित्तीय कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले ऋण पर भारतीय रिजर्व बैंक की चेतावनी व कार्रवाइयों का असर नजर आ रहा है। वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा दिया गया उभोक्ता ऋण और गोल्ड लोन वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही की तुलना में कम हुआ है।
फाइनैंस इंडस्ट्री डेवलपमेंट काउंसिल (एफआईडीसी) के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में दिया गया उपभोक्ता ऋण वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही की तुलना में 16.2 प्रतिशत कम हुआ है। वहीं इस अवधि के दौरान गोल्ड लोन में 6.5 प्रतिशत गिरावट आई है।
कुल मिलाकर गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों ने चौथी तिमाही में 25,358 करोड़ रुपये ऋण दिया है, जो तीसरी तिमाही के 30,269 करोड़ रुपये की तुलना में कम है। मार्च 2024 को समाप्त तिमाही में स्वीकृत गोल्ड लोन भी 6.5 प्रतिशत कम हुआ है। कुल मिलाकर चौथी तिमाही में 47,092 करोड़ रुपये जारी किए गए, जबकि वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में 50,340 करोड़ रुपये कर्ज दिया गया था।
पर्सनल लोन भी सुस्त रहा है और वित्तीय कंपनियों ने वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में इसके पहले की तिमाही की तुलना में महज 1.4 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की है। उपभोक्ताओं को उधारी देने के कुछ सेक्टरों जैसे शिक्षा ऋण, उपभोक्ता ऋण और गोल्ड लोन में तिमाही आधार पर ऋण में कमी आई है। एफआईडीसी ने एक बयान में कहा है कि संभवतः यह रिजर्व बैंक की ओर से सावधानी बरतने के दिशानिर्देशों के कारण हुआ है।
पिछले साल नवंबर में रिजर्व बैंक ने असुरक्षित ऋण पर जोखिम अधिभार बढ़ा दिया था, जिससे कि इस तरह के कर्ज दिए जाने की रफ्तार में कमी आ सके। उसके बाद रिजर्व बैंक ने आईआईएफएल फाइनैंस के खिलाफ भी कार्रवाई करते हुए उस पर प्रतिबंध लगाया था, जो गोल्ड लोन कारोबार की बड़ी कंपनी है। रिजर्व बैंक ने पर्यवेक्षण संबंधी मसलों को लेकर आईआईएफएल को नए ऋण जारी न करने के निर्देश दिए थे।
वित्त वर्ष 2025 के परिदृश्य के बारे में एफआईडीसी के चेयरमैन केवी श्रीनिवासन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि पहली तिमाही हमेशा सुस्त तिमाही रहती है और इसकी पूरे वित्त वर्ष के कारोबार में कम हिस्सेदारी होती है।
First Published – July 3, 2024 | 10:28 PM IST