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कैसे करें प्याज की खेती
किसान भाई प्याज की खेती कर अच्छी कमाई कर सकते हैं। प्याज की खेती से अच्छा लाभ पाने के लिए किसानों को सही समय, अच्छे मौसम और बढ़िया मिट्टी का विशेष ध्यान रखना होता है। महाराष्ट्र में प्याज की खेती सबसे ज्यादा होती है। यहां वर्ष में दो बार प्याज की खेती की जाती है। एक मई और दूसरी नवम्बर के महीने में की जाती है।
कैसे करें प्याज की खेती Onion Farming:
रबी सीजन में प्याज के लिए 700 से 800 एमएम की बारिश आवश्यक है। प्याज की अच्छी पैदावार के लिए काली मिट्टी को अच्छा माना जाता है। प्याज की खेती करने से पहले गहरी जुताई करें, और 1 से 2 बार मिट्टी को पलट ले जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाये। जुताई के बाद मिट्टी को समतल करके क्यारियों में लगायें । खेत में गोबर की खाद और कंपोस्ट बैक्टीरिया का उपयोग करें। खेत में सिंचाई के लिये ड्रिप या स्प्रिंकलर का प्रयोग करें। रोपाई के समय पंक्ति से पंक्ति के बीच के मध्य की दूरी 15 सेमी और पौधों से पौधों के बीच की दूरी 7.5 सेमी होना जरूरी है। खरीफ में बीजों की पंक्तियों में बुवाई 1 से 15 जून तक कर देना चाहिए, जब पौधे 40-45 दिन के हो जाऐ तो उसकी रोपाई कर देना चाहिए।
प्याज की उन्नत किस्में:
- पूसा रेड – इस किस्म के प्याज का रंग लाल होता है तथा एक प्याज 70 से 80 ग्राम तक का होता है। एक हेक्टेयर में करीब 200 से 300 क्विंटल तक की उपज प्राप्त की जा सकती है। प्याज की फसल 120-125 दिनों में तैयार हो जाती है।
- भीमा गहरा लाल –इस किस्म की फसल पछेती खरीफ मौसम में भी बोई जा सकती है। खरीफ मौसम में यह फसल 105-110 दिन और रबी मौसम में 110-120 दिन में पककर तैयार हो जाती है। खरीफ में औसतन उपज 19-21 टन/है और रबी मौसम में 30-32 टन उपज होती है।
- भीमा सुपर – इस किस्म की प्याज का रंग लाल होता है और खरीफ ऋतु में इसकी रोपाई होती है। यह लगभग 100-105 दिन में तैयार हो जाती है इसकी अनुमानित पैदावार 20-22 मैट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है। यह प्रजाति गोडाउन में 1 से डेढ महीने से ज्यादा नहीं रखी जा सकती है।
- पूसा रत्नार – यह प्रजाति 120-125 दिन में तैयार हो जाती है यह फसल रबी मौसम हेतु उपयुक्त होती है। इसकी अनुमानित पैदावार 325-350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
इन बातों का रखें खास ध्यान: एक एकड़ खेत में प्याज की 4 से 5 किलो बीजों की आवश्कता होगी। प्याज रोपाई के बाद 1 से 2 माह के बाद मौसम ठंडा हो जाता है। इसके अंकुरण के दौरान तापमान में वृद्धि फसल के लिए अनुकूल मानी जाती है। प्याज की खेती करने के लिए मिट्टी राज्य के हिसाब से अलग-अलग होती है। बेहतर फसल और जल निकासी के लिए काली मिट्टी अच्छी मानी जाती है। काली मिट्टी जैविक उर्वरकों से भरपूर होती है। इस मिट्टी में प्रति हेक्टेयर 45 से 50 टन देसी खाद डालने से पैदावार ज्यादा होती है।
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