धान की पराली
पंजाब में हर साल अक्टूबर और नवंबर में किसान धान की कटाई करते हैं। कटाई के तुरंत बाद धान की पराली जला देते हैं, जिससे गेहूं की बुवाई की जा सके। पराली जलने से आस-पास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण बढता है। इससे लोगों का सांस लेना काफी दूभर हो जाता है।
पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए पंजाब कृषि विभाग ने आगामी खरीफ फसल कटाई सीजन से पूर्व किसानों को सब्सिडी पर फसल अवशेष प्रबंधन सीआरएम मशीनें दे रही है। इस साल खरीफ फसल कटाई का सीजन 1 अक्टूबर से शुरू होगा। राज्य सरकार ने इस सीजन में 21,000 सीआरएम मशीनें वितरित करने का फैसला किया है। इसके लिए राज्य सरकार ने सब्सिडी के रूप में 500 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।
धान की पराली का ईंधन के रूप में इस्तेमाल:
अधिकारियों द्वारा बताया गया कि एक्स-सीटू प्रबंधन में खेतों से पराली को वैकल्पिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इन-सीटू प्रबंधन के तहत पराली को मिट्टी में मिलाया जाता है, ताकि वह सड़कर खाद बन जाए। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ जाती है। राज्य सरकार धान की पराली को इकट्ठा करके बॉयलर में ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने के लिए औद्योगों को बड़े बेलर आयात करने की सुविधा दे रही है। इसके लिए राज्य सरकार 20 करोड़ रुपये सब्सिडी के रूप में निर्धारित किए हैं।
पंजाब में सब्सिडी पर बड़े बेलर मशीनों का आयात शुरू:
अधिकारियों द्वारा बताया गया कि राज्य कृषि विभाग ने उद्यमियों को बड़े बेलर देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बताया कि चार महिला उद्यमियों ने भी सब्सिडी वाले बेलर मशीन खरीदने में रुचि दिखाई है। पंजाब के कृषि निदेशक जसवंत सिंह ने कहा कि हमने सीआरएम मशीनों की जल्द डिलीवरी शुरू कर दी है, जिससे इनका अधिकतम उपयोग किया जा सके। बड़े बेलर को जर्मनी, स्पेन और हॉलैंड से आयात किया जा रहा है।
कितनी मिलेगी सब्सिडी:
धान की पराली के इन-सीटू व एक्स-सीटू प्रबंधन के लिए सरकार सब्सिडी वाली मशीनें देने के लिए 500 करोड़ रुपये के खर्च करेगी। अधिकारियों ने बताया कि 1 से 1.5 करोड़ रुपये की लागत वाले बड़े बेलर पर 65 फीसदी सब्सिडी दी जा रही है। इसके अलावा बड़े बेलर को 3,000 से 4,500 टन धान की पराली इकट्ठा करने के साथ सब्सिडी दी जाती है।