भारत के कई युवा स्नातक हर वर्ष वैश्विक स्तर पर भी रोजगार लेने की उम्मीद से बाहर जाते है। इसी बीच एक रिपोर्ट आई है जिससे युवा स्नातकों को खुशी मिल सकती है। ये रिपोर्ट ‘भारत कौशल रिपोर्ट 2025’ है, जिसमें वर्ष 2025 के स्नातकों को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है।
बता दें कि ये रिपोर्ट मंगलवार 10 दिसंबर को जारी हुई है, जिसमें बताया गया है कि वर्ष 2025 में लगभग 55 प्रतिशत भारतीय स्नातक वैश्विक स्तर पर रोजगार पा सकेंगे। बता दें कि वर्ष 2024 में ये आंकड़ा 51.2 फीसदी का था। इससे जाहिर होता है कि वैश्विक स्तर पर भारतीय युवाओं की मांग में बढ़ोतरी हुई है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा व्हीबॉक्स और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के सहयोग से जारी की गई रिपोर्ट से पता चलता है कि मैनेजमेंट ग्रैजुएट्स की वैश्विक रोजगार संभावना सबसे अधिक यानी 78 प्रतिशत है। इसके बाद इंजीनियरिंग ग्रैजुएट (71.5 प्रतिशत), एमसीए छात्र (71 प्रतिशत) और साइंस ग्रैजुएट (58 प्रतिशत) का स्थान आता है।
रिपोर्ट में महाराष्ट्र, कर्नाटक और दिल्ली जैसे प्रमुख राज्यों को रोजगार योग्य प्रतिभाओं के उभरते केन्द्रों के रूप में चिन्हित किया गया है, तथा पुणे, बेंगलुरु और मुंबई जैसे शहर कुशल कार्यबल उपलब्ध कराने में अग्रणी हैं। रिपोर्ट में लिंग विश्लेषण से पता चलता है कि पुरुषों के लिए रोजगार दर 2025 में 53.5 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है, जो 2024 में 51.8 प्रतिशत है। हालांकि, इसी अवधि में महिलाओं के लिए रोजगार दर 50.9 प्रतिशत से घटकर 47.5 प्रतिशत होने का अनुमान है।
रिपोर्ट में 650,000 उम्मीदवारों द्वारा लिए गए व्हीबॉक्स ग्लोबल एम्प्लॉयबिलिटी टेस्ट के आधार पर भारतीय स्नातकों की रोजगार क्षमता का विश्लेषण किया गया है, तथा यह भी पाया गया है कि लगभग 93 प्रतिशत छात्रों ने इंटर्नशिप में गहरी रुचि दिखाई है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, इंडिया स्किल्स रिपोर्ट के मुख्य संयोजक निर्मल सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि आने वाले दशक में अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता को बढ़ाने के लिए गुणवत्तापूर्ण कौशल प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, मुख्य रूप से दीर्घकालिक, प्रमाणित कौशल कार्यक्रमों के माध्यम से, जिसमें भाषा प्रशिक्षण भी शामिल हो।
इसके अलावा, उद्योग निकाय सीआईआई द्वारा मंगलवार को जारी ‘डिकोडिंग जॉब्स – 2025’ नामक एक अन्य रिपोर्ट से पता चला है कि वित्तीय वर्ष 2026 में फर्मों के लिए भर्ती की मंशा 9.8 प्रतिशत थी। वैश्विक क्षमता केंद्रों, भारी इंजीनियरिंग फर्मों और बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों में सबसे अधिक 12 प्रतिशत भर्ती की मंशा थी, इसके बाद कोर उद्योगों में 11.5 प्रतिशत और एफएमसीजी उद्योगों में 10 प्रतिशत थी।