धार्मिक मान्यता है कि मां दुर्गा की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। ज्योतिषियों के मुताबिक, दशकों बाद चैत्र नवरात्र पर इस बार एक साथ 3 शुभ योग बन रहे हैं।
By Ekta Sharma
Publish Date: Wed, 03 Apr 2024 05:30 PM (IST)
Updated Date: Wed, 03 Apr 2024 05:30 PM (IST)
HighLights
- नौ दिनों में आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
- चैत्र नवरात्र पर इस बार एक साथ 3 शुभ योग बन रहे हैं।
- इन योगों में मां दुर्गा की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
धर्म डेस्क, इंदौर। Chaitra Navratri 2024: हर साल चैत्र मास की अमावस्या के अगले दिन से चैत्र नवरात्र शुरू होते हैं। चैत्र नवरात्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि मनाए जाते हैं। इन नौ दिनों में आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इसके अलावा, उनके लिए नौ दिन में व्रत भी रखा जाता है। इस साल चैत्र नवरात्र 9 अप्रैल से 17 अप्रैल तक हैं। धार्मिक मान्यता है कि मां दुर्गा की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। ज्योतिषियों के मुताबिक, दशकों बाद चैत्र नवरात्र पर इस बार एक साथ 3 शुभ योग बन रहे हैं। इन योगों में मां दुर्गा की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आइए, जानते हैं कि वे शुभ योग कौन-से हैं।
चैत्र नवरात्र शुभ मुहूर्त
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को रात 11.50 बजे शुरू होगी और अगले दिन रात 8.30 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के कारण चैत्र नवरात्र 9 अप्रैल से शुरू होंगे। इस दिन घटस्थापना का शुभ समय प्रातः 06:02 से 10:16 तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.57 बजे से दोपहर 12.48 बजे तक है। इन दोनों शुभ मुहूर्त में घटस्थापना की जा सकती है।
चैत्र नवरात्र शुभ योग
ज्योतिषियों के मुताबिक, चैत्र नवरात्र के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहा है। इन दोनों योग का प्रशिक्षण 10 अप्रैल सुबह 07:32 बजे से अगले दिन 05:06 बजे तक है। इसके साथ ही चैत्र नवरात्र पर अश्विनी नक्षत्र भी बन रहा है। अश्विनी नक्षत्र सुबह 7.33 बजे से अगले दिन 10 अप्रैल को सुबह 5.06 बजे तक है। इन योगों में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को अनंत फल की प्राप्ति होगी।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’