​​​​​​Car inspection is necessary before delivery in festive season, keep these things in mind, otherwise new car can become trouble | फेस्टिव सीजन में कार की डिलीवरी से पहले जांच जरूरी: इन बातों का रखें ध्यान, नहीं तो नई कार बन सकती है परेशानी की वजह


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नई दिल्ली1 घंटे पहले

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फेस्टिव सीजन चल रहा है और इस सीजन में ज्वेलरी, कपड़ों के अलावा गाड़ियों की भी खरीदारी की जा रही है। अगर आप भी इस त्योहारी सीजन में नई कार खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो डिलीवरी से पहले कुछ सावधानी रखना जरूरी है।

यहां हम आपको बता रहे हैं कि कार खरीदने से पहले क्या-क्या सावधानी रखनी चाहिए। कार डीलर से कैसे डील करें और शोरूम से कार की डिलीवरी लेने से पहले प्री डिलीवरी इंस्पेक्शन (PDI) क्यों जरूरी है और इसे कैसे किया जाता है…

सबसे पहले जानते हैं PDI क्या होता है?

PDI यानी प्री डिलीवरी इंस्पेक्शन। यह एक प्रोसेस है, जिसमें कार की डिलीवरी से पहले इंस्पेक्शन फैसिलिटी मिलती है। इसमें कार के इंटीरियर, एक्सटीरियर, इंजन और सभी फीचर्स को चेक किया जाता है कि वे ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं। PDI दो तरीके से किया जाता है।

  • डीलर खुद PDI करता है। पूरी तरह से चेक करने के बाद कार पर PDI बैज लगा दिया जाता है, जिससे पता चलता है कि कार डिलीवरी के लिए तैयार है।
  • डीलर से कार की डिलीवरी लेने से पहले कस्टमर भी खुद कार की PDI कर सकता है और अपने लेवल पर हर एक चीज को चेक कर सकता है।

PDI क्यों जरूरी, कब और कहां करना चाहिए?

PDI करने से पता चल सकता है कि कार में कोई दिक्कत तो नहीं है। कार डीलर को पहले से पता होता है कि कार में क्या प्रॉब्लम है और डिलीवरी से पहले किस तरह कस्टमर से उसे छिपाना है। इसलिए गाड़ी रजिस्टर होने से पहले ही कार का PDI कर लेना चाहिए।

कार का PDI ऐसी जगह करना चाहिए जहां रोशनी अच्छी हो। इससे कार के सभी हिस्सों को आसानी से देखने में मदद मिलेगी। किसी एक्सपर्ट, मैकेनिक या कारों के बारे में नॉलेज रखने वाले को साथ ले जाना फायदेमंद होगा। एक्सपर्ट न भी मिले तो खुद भी इसे कर सकते हैं।

आइए जानते हैं PDI कैसे करते हैं…

स्टेप-1 : चेक लिस्ट बनाएं

  • सबसे पहले एक चेक लिस्ट बनाएं। इस लिस्ट में कार में चेक किए जाने वाले एक-एक पॉइंट को नोट कर लें जैसे- इंजन, एक्सटीरियर, इंटीरियर, टायर, फीचर्स, कार का पेंट आदि। इस लिस्ट का फायदा ये होगा कि कोई भी चीज छूटेगी नहीं।

स्टेप-2 : एक्सटीरियर

  • कार के चारों ओर घूमकर देखें कि इसमें कोई स्क्रेच या डेंट तो नहीं है। खासकर बंपर और कार के किनारों पर जरूर ध्यान दें।
  • छोटे-मोटे स्क्रेच को छुपाने के लिए डीलर कार को पॉलिश कर देते हैं। एक-दो बार वॉशिंग के बाद ये स्क्रेच दिखने लगते हैं।
  • इसके लिए कार की पूरी बॉडी पर हाथ फेर कर देखें। इससे डेंट या स्क्रेच होगा तो पकड़ में आ जाएगा। इससे पेंटवर्क दिख जाएगा।
  • बॉडी को एकदम पास से और साइड एंगल से देखें। इससे अगर कहीं री-पेंट किया गया है तो कलर डिफरेंस दिख जाएगा।
  • कार के सभी कॉर्नर जैसे- डोर के किनारे और पैनल गैप, विंडो के चारो ओर के किनारे और फ्रंट बंपर को ठीक से देखें।
  • जब कोई कार लंबे समय तक खड़ी रहती है, तो टायर फ्लैट हो जाते हैं। नई कार के टायर भी कटे-फटे हो सकते हैं।
  • चारों टायर की जांच करें, रिम और एलॉय व्हील को भी देखें। स्टेपनी को ठीक से देखें, जैक और अन्य टूल्स भी चेक करें।

स्टेप-3 : इंटीरियर

  • कार के अंदर डैशबोर्ड, अपहोल्स्ट्री, सीट और ग्लोवबॉक्स की ठीक से जांच करें।
  • फ्लोर की मैट हटा दें और चेक करें कि क्या कारपेट में नमी या कोई गंदगी तो नहीं है।
  • कार के सभी मिरर भी चेक कर लें कि कहीं इसमें कोई क्रैक या खरोंच तो नहीं है।
  • कार के सभी स्विच की जांच करें। यह देख लें कि ये सही से काम कर रहे हैं या नहीं।
  • एयर कंडीशनर (AC) चालू करें और चेक करें कि केबिन जल्दी ठंडा होता है या नहीं।

स्टेप-4 : इंजन, ओडोमीटर और फ्यूल

  • कार का बोनट खोलें और इसके फ्लूइड लेवल्स की जांच करें। इंजन ऑयल, कूलेंट, ब्रेक फ्लूइड और विंडस्क्रीन वाशिंग फ्लूइड भरा होना चाहिए।
  • इंजन स्टार्ट करें और थोड़ी देर चालू रहने दें। बोनट के नीचे देखें कि कोई लीकेज तो नहीं हैं या कोई असामान्य आवाज या कंपन सुनाई दे रही है।
  • इसके अलावा एक्सिलरेटर पैडल पर पैर रखकर दो तीन बार एक्सिलरेट करके इंजन की आवाज सुनें। इंजन से काला धुआं तो नहीं निकल रहा।
  • नई कार की ओडोमीटर रीडिंग 30-50 किमी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अगर रीडिंग 30-50 किमी से ज्यादा है, तो इस बारे में डीलर से बात करें।
  • डीलर ग्राहकों को 5 लीटर कॉम्प्लिमेंट्री फ्यूल देते हैं। फ्यूल लेवल चेक करें और देखें कि नजदीकी फ्यूल स्टेशन तक पहुंचने जितना फ्यूल है या नहीं।

स्टेप-5 : कार के डॉक्युमेंट्स

  • कार के सभी पेपर्स जैसे- रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस कवर, मैन्युअल्स, वारंटी कार्ड, रोडसाइड असिस्टेंस नंबर और सर्विस बुक चेक करें।
  • डीलर से ‘फॉर्म 22’ लेकर जरूर चेक करें, इसमें कार का इंजन नंबर, चेसिस नंबर और कार मैन्युफैक्चरिंग के महीने और साल की जानकारी होती है।
  • चेक करें कि कार का व्हीकल आइडेंटिफिकेशन नंबर (VIN), इंजन नंबर और चेसिस नंबर डीलर द्वारा दिए डॉक्युमेंट्स से मेल खाता है या नहीं।

स्टेप-6 : टेस्ट ड्राइव लें

  • डीलर रिप्रेजेंटेटिव के साथ एक बार टेस्ट ड्राइव जरूर लें। टेस्ट ड्राइव के दौरान कार की स्टीयरिंग, गियरशिफ्टर, ब्रेक और सस्पेंशन को चेक करें।
  • ध्यान रखें कि गाड़ी में ज्यादा आवाज तो नहीं आ रही और चेक करें कि कार ज्यादा वाइब्रेट तो नहीं कर रही। इंजन की नॉइस को भी नोटिस करें।

स्टेप-7 : इंस्पेक्शन का वीडियो बनाएं

सारी चीजें चेक करने के बाद ही उस कार को अपने नाम पर रजिस्टर्ड कराएं। रजिस्ट्रेशन होने के बाद उस कार पर नजर बनाएं रखें। कार को वापस सर्विस सेंटर के अंदर न जाने दें। अगर कार को अंदर भेजना ही है तो किसी कार के साथ भेजें। अगर आप और ज्यादा सिक्योर होना चाहते हैं तो पूरे इंस्पेक्शन का एक वीडियो बना लें।

कार की डिलीवरी लेने के बाद क्या करें

कार खरीदने के बाद उसके इनवॉइस (बिल) को अच्छी तरह से चेक कर लेना चाहिए। कई डीलर शुरू में गाड़ी के एक्स-शोरूम प्राइस पर इंश्योरेंस और RTO चार्ज जोड़कर ऑनरोड प्राइस बता देते हैं।

गाड़ी खरीदने के बाद जब हम बिल देखते हैं तो काफी सारे हिडन चार्ज दिखते हैं, जैसे- फाइल चार्जेस, सर्विस चार्जेस, हैंडलिंग चार्जेस और एक्सेसरीज चार्जेस। कुल मिलाकर लगभग 5-10 हजार रुपए के हिडन चार्जेस लगा दिए जाते हैं। बता दें कि सर्विस चार्ज गैरकानूनी है।

इस तरह का चार्ज आप अपने बिल में देखते हैं तो तुरंत ऑब्जेक्शन उठाएं या फिर बुकिंग के समय ही डीलर को क्लियर कर दें कि कोई हिडन चार्ज पे नहीं करेंगे।

ये जरूरी टिप्स भी जान ले…

  • डीलर अगर PDI करने से रोकता है तो समझ जाइए कार में कुछ गड़बड़ है। ऐसी कार लेने से आप इनकार कर सकते हैं।
  • PDI में कोई बड़ी प्रॉब्लम मिले तो ऐसी कार न लेना ही समझदारी है। इससे भविष्य में आपकी जेब हल्की नहीं होगी।
  • प्री डिलीवरी इंस्पेक्शन करने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि आप एक खराब या डैमेज गाड़ी लेने से बच जाते हैं।
  • कई बार जरा सी चूक के कारण नुकसान उठाना पड़ जाता है या फिर बाद में शोरूम के चक्कर काटने पड़ते हैं।

चलते-चलते जान लेते हैं कार खरीदते समय क्या-क्या सावधानी रखनी चाहिए

  • पहले बजट तय करें और उसके अनुसार कार चुनें। इसके अलावा, हमेशा अपनी जरूरत के हिसाब से कार का चुनाव करना चाहिए। एक ही शो-रूम से डील फाइनल न करें, बेहतर डील पाने के लिए तीन-चार और डीलरों से कोटेशन लेकर डील फाइनल करें।
  • आप शो-रूम में जो भी कार देखने जा रहे हों, तो उसके बारे में सेल्समैन से पूरी जानकारी लें, सभी फीचर्स और इंजन के बारे में पूछें। उसी वैरिएंट को चुने जिसके फीचर्स आप रेगुलर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा गाड़ी की टेस्ट ड्राइव भी जरूर करें।
  • अगर नई कार खरीदने के लिए आपको लोन की जरूरत है, तो सबसे पहले आप अलग-अलग बैंकों के रेट ऑफ इंटरेस्ट के बारे में जानें और जो बैंक सबसे कम ब्याज दर पर लोन दे, उसी से कार फाइनेंस कराएं।



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