टीडीएस कटौती के बावजूद कंपनी ने जुलाई के शुरू तक सरकार को यह रकम जमा नहीं की थी। ऐसे कई एंप्लॉयीज की टैक्स फाइलिंग से जुड़े चार्टर्ड एकाउंटेंट हितेश जैन ने बताया, ‘ टीडीएस इकट्ठा कर इसे सरकार के खाते में जमा करना बायजूज की जिम्मेदारी है। कंपनी ने एंप्लॉयीज के लिए टीडीएस तो काट लिया, लेकिन इसे सरकार के पास जमा नहीं किया। कुछ मामलों में यह डिफॉल्ट एक साल है, बकि कुछ मामले में यह कुछ महीनों का है।’
मनीकंट्रोल ने इस सिलसिले में बायजूज के 8 पूर्व और मौजूदा एंप्लॉयीज से बात की। हालांकि, इस बारे में कंपनी ने हमारे सवालों के जवाब देने से मना कर दिया। बायजूज कभी भी देश की सबसे मूल्यवान स्टार्टअप हुआ करती थी। हालांकि, साल 2022 से यह कंपनी गलत वजहों से सुर्खियों में है। इन वजहों में खातों में गड़बड़ी, कोर्स की मिस-सेलिंग और बड़े पैमाने पर छंटनी आदि शामिल हैं।
कंपनी ने पिछले 12 महीने में हजारों लोगों की छंटनी की है। कंपनी के पास न सिर्फ वेंचर कैपिटल फंडिंग की दिक्कत है, बल्कि ऑनलाइन क्लास की मांग में सुस्ती देखने को मिल रही है। इसके बाद कंपनी के बोर्ड के कई सदस्यों ने भी इस्तीफा दे दिया था। बायजूज ने इस साल के शुरू में अपने पिछले वैल्यूएशन के मुकाबले 99 पर्सेंट कटौती पर राइट्स इश्यू शुरू किया था। कंपनी के कुछ बड़े निवेशक-पीक XV, प्रोसस और जनरल अटलांटिक अदालत में राइट्स इश्यू को ब्लॉक करने और कंपनी के टॉप मैनेजमेंट को हटाने की कोशिश कर रहे हैं।
बहरहाल, बायजूज के एक पूर्व एंप्लॉयी ने बताया, ‘ मैंने 4-5 महीने पहले कंपनी छोड़ी थी और उन्होंने फुल एंड फाइनल रकम का अब तक भुगतान नहीं किया है। दिसंबर से मेरे प्रोविडेंट फंड का भुगतान EPFO को नहीं किया गया है। इतना ही नहीं, अब मुझे टैक्स का भुगतान भी खुद से करना है।’ इस एंप्लॉयी ने बेंगलुरु में कंपनी के साथ चार साल तक काम किया था।