27 साल के राज महज 3 साल में बायजूज (Byju’s) में सेल्स एसोसिएट से टीम लीडर बन गए। उन्हें जब पिछली बार प्रमोशन मिला था, तो उनकी सैलरी में 50% की बढ़ोतरी हुई थी। इससे उत्साहित होकर उन्होंने मुंबई में अपने पैरेंट्स के लिए घर भी खरीद लिया था। उन्होंने 30 लाख रुपये डाउन पेमेंट कर 75 लाख का होम लोन लिया था। साथ ही, फ्लैट को तैयार करने में उन्होंने 10 लाख रुपये और खर्च किए, ताकि उनके पैरेंट्स इसमें जल्द शिफ्ट कर सकें। Byju’s को जल्द फिर से सैलरी बढ़ने की उम्मीद थी और राज को भरोसा था कि उन्हें इन खर्चों को वहन करने में दिक्कत नहीं होगी।
हालांकि, बीते साल 10 अगस्त को एक ईमेल ने उनके इस सपने को तार-तार कर दिया। उन्होंने बताया, ‘मेरे पिताजी और भाई ने मुझे यह मकान बेचने की सलाह दी, क्योंकि EMI काफी ज्यादा थी। मेरी सैलरी के बिना EMI का पेमेंट मुश्किल था। हालांकि, मैं घर को बेचना नहीं चाहता था, इसलिए मैंने नई नौकरी की तलाश शुरू की।’ हालांकि, नई नौकरी में सैलरी पिछली नौकरी के मुकाबले आधी थी और आखिरकार राज के पास घर बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
राज की कहानी के साथ-साथ उस स्टार्टअप के पतन की कहानी भी जुड़ी है, जो कभी भारत की सबसे वैल्यूएबल एडुटेक स्टार्टअप हुआ करती थी। सूत्रों ने मनीकंट्रोल को बताया कि कंपनी में कभी एंप्लॉयीज की संख्या 50,000 हुआ करती थी, जो अब घटकर 30,000 से भी कम हो गई है। इन एंप्लॉयीज में Byju’s के कोर बिजनेस और सब्सिडियरी कंपनियों के एंप्लॉयीज भी शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर एंप्लॉयीज फिलहाल आकाश से हैं।
बहरहाल, अगर भारत में Byju’s के एंप्लॉयीज की संख्या ( आकाश और अंतरराष्ट्रीय इकाइयों को छोड़कर) की बात करें, तो यह अब 10,000 से भी कम हो गई, जो 2023 में 14,000 से थी। Byju’s के प्रवक्ता ने मनीकंट्रोल के सवालों के जवाब में कहा, ‘इस चुनौतीपूर्ण समय में नेचुरल एट्रिशन रेट काफी ज्यादा है। दूसरी तरफ, कंपनी के संस्थापकों ने इस बात के लिए हरमुमकिन कोशिश में जुटे हैं कि इसका अस्तित्व बना रहे और यह रिकवरी कर सके।’
मनीकंट्रोल ने तकरीबन 20 एंप्लॉयीज से बात की, जिन्हें हटाया गया, जिन्होंने इस्तीफा दिया या जो अब भी कंपनी में बने हुए है। सभी का कहना था कि कंपनी ने अब तक बकाया रकम का भुगतान नहीं किया है, जिस वजह से उन्हें वित्तीय और मानसिक परेशानी से जूझना पड़ रहा है। अब एंप्लॉयीज का एक ग्रुप Byju’s को नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) में खींचने की तैयारी में है, जहां कंपनी पहले ही अपने 7 स्टेकहोल्डर्स के साथ कानूनी लड़ाई लड़ रही है।