Budget 2024 Announcements: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार 23 जुलाई को पेश कर दिया। इसमें उन्होंने एक ऐसा ऐलान किया, जिसने स्टार्टअप के लॉयल एंप्लॉयीज को तगड़ा झटका दिया है। वित्त मंत्री ने ऐलान किया है कि कंपनियां जो शेयर बायबैक करेंगी, 1 अक्टूबर से उसे डिविडेंड इनकम के तौर पर माना जाएगा। वित्त मंत्री के इस ऐलान के चलते एंप्लॉयीज अगर बायबैक के जरिए एंप्लॉयीज स्टॉक ऑप्शन (ESOP) को चुनते हैं तो उन पर टैक्स का बोझ बढ़ जाएगा। इसका एंप्लॉयीज को तगड़ा झटका लगा है क्योंकि आमतौर पर इसका फायदा उन्हें मिलता है जो स्टार्टअप के शुरुआती दिनों से साथ में होते हैं और अब हायर मैनेजमेंट पोजिशन में पहुंच जाते हैं तो वे टैक्स के हाई स्लैब में आते हैं।
पहले और अब में क्या हुआ बदलाव?
टैक्स सर्विसेज मुहैया कराने वाली बीडीओ इंडिया के पार्टनर अनीश शाह का कहना है कि पहले और अब में बदलाव ये हुआ है कि पहले ESOP में टैक्स देनदारी कंपनियों पर बनती थी लेकिन अब यह देनदारी एंप्लॉयीज पर आ गई। ऐसा इसलिए क्योंकि अब बायबैक को डिविडेंड के तौर पर लिया जाएगा और डिविडेंड पर एंप्लॉयीज के स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स देनदारी बनती है। पहले कंपनी को इस पर 20 फीसदी के फ्लैट रेट (सरचार्ज और सेस अतिरिक्त) की दर से टैक्स देना होता था। पहले ESOP चुनने पर एंप्लॉयीज पर जीरो टैक्स देनदारी बनती थी लेकिन अब उनके इनकम टैक्स स्लैब रेट के हिसाब से देनदारी बनेगी।
उदाहरण से समझें कि कितना बढ़ा टैक्स का बोझ
वित्त मंत्री के ऐलान से कितना और कैसे फर्क पड़ा, इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं। एक बुटिक टैक्स एडवायजरी फर्म के फाउंडर और सीईओ अजय रोट्टी ने बताया कि पहले बायबैक में कंपनी को 125 रुपये देना होता था तो वह इसमें 25 रुपये बायबैक डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स देती थी और 100 रुपये एंप्लॉयीज को मिलता था। इस 100 रुपये पर एंप्लॉयीज को टैक्स नहीं देना होता था। अब 1 अक्टूबर से क्या होगा कि एंप्लॉयीज को 125 रुपये कंपनी दे देगी और फिर इस पर डिविडेंड के हिसाब से ही टैक्स लगेगा। जैसे कि एंप्लॉयीज 30 फीसदी के हाई टैक्स ब्रेकेट में है तो इस पर 36 रुपये का टैक्स चुकाना होगा। हालांकि अगर एंप्लॉयीज निचले स्लैब रेट में है तो टैक्स देनदारी कम बनेगी। हालांकि ध्यान दें कि ESOP इस्तेमाल करने का विकल्प जिन्हें मिलता है, वे आमतौर पर हाई टैक्स रेट में पहुंचे हुए लोग होते हैं।
लंबे समय से हो रही थी मांग सिंगल टैक्सेशन की
अभी भारत में ESOPs पर दो बार टैक्स लगाया जाता है। एक बार तब, जब एंप्लॉयी को ये शेयर विकल्प के तौर पर मिलते हैं और दूसरी बार तब, जब बायबैक के जरिए इसकी बिक्री होती है। ऐसे में लंबे समय से मांग हो रही थी कि एक ही बार टैक्स के दायरे में लाया जाए जैसे कि सिंगापुर में है। ESOP इसलिए काफी अहम है क्योंकि टेक स्टार्टअप इसके जरिए अपने स्टॉफ को खुद से जोड़े रखते हैं और यह सबसे लिक्विड तरीकों में से एक है। जैसे कि स्विगी अपना आईपीओ लाने वाली है तो उससे पहले अपने एंप्लॉयीज को इनाम के तौर पर 5 करोड़ डॉलर के शेयरों का बायबैक कर रही है। 2021-22 के दौरान, जब स्टार्टअप को खूब फंडिंग मिल रही थी तो कई ऐसी कहानियां भी सामने आ रही थीं कि एंप्लॉयीज सैलरी के रूप में ESOP का हिस्सा अधिक मांग रहे थे क्योंकि यह कंपनी में हिस्सेदारी देता है और कंपनी की वैल्यू बढ़ेगी तो उनके हिस्से की भी वैल्यू बढ़ेगी।