इन अनजान हिस्सों में एक को बूट्स वॉयड (Bootes Void) के नाम से जाना जाता है। इसे ग्रेट नथिंग भी कहते हैं। यानी कि एक खाली जगह जो आकार में बहुत बड़ी हो। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के अनुसार, बूट्स वॉयड की खोज खगोल वैज्ञानिक रिचर्ड किर्शनर ने 1981 में की थी। यह अमूमन एक गोलाकार क्षेत्र है जो खाली है, यह 70 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। यहां पर इसी नाम से एक आकाशगंगा भी मौजूद है। बूट्स वॉयड की चौड़ाई 33 करोड़ प्रकाशवर्ष बताई जाती है। यानी इतनी बड़ी जगह जहां पर हमारी आकाशगंगा मिल्की वे अरबों की संख्या में समा सकती है।
खगोलविदों ने उपलब्ध डेटा के आधार पर जब ब्रह्मांड का नक्शा बनाने की शुरुआत की तो एक ऐसा पैटर्न उभरा जो कई गैलेक्सियों के जाल के बीच में खाली जगह को दिखा रहा था। आकाशगंगाओं के उलझे हुए जाल के बीच बड़ी बड़ी खाली जगहें मौजूद हैं जहां पर कोई भी गैलेक्सी मौजूद नहीं है। BBC के अनुसार, ये वॉयड देखे जा सकने वाले ब्रह्मांड का 80 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं। जबकि बूट्स वॉयड इनमें सबसे बड़ा है। इसलिए इसे सुपरवॉयड भी कह दिया जाता है।
बूट्स के बारे में कहा जाता है कि यह छोटे छोटे वॉयड्स को मिलाकर बना एक बड़ा वॉयड है। वॉयड कैसे बने होंगे, इसके जवाब में वैज्ञानिक कहते हैं कि बिग बैंग जब हुआ था, उसके बाद ब्रह्मांड में सारा पदार्थ सिकुड़ना शुरू हुआ होगा। लेकिन यहां पर क्वांटम फ्लक्चुएशन के कारण पदार्थ के वितरण में हल्का हल्का अंतर पैदा होता चला गया। इस वजह से कुछ एरिया घने पदार्थ में पैक हो गए और उनका गुरुत्वाकर्षण केंद्र बहुत अधिक शक्तिशाली होने के कारण उन्होंने कम गुरुत्वाकर्षण वाले कम घने मैटर को अपनी तरफ खींच लिया।
इस तरह गैलेक्सियों के बनने के समय वॉयड्स भी बनने शुरू हो गए। बूट्स के बारे में वैज्ञानिक कह रहे हैं कि यह इतना बड़ा है कि देखे जा सकने वाले ब्रह्मांड के व्यास का 2 प्रतिशत यह अकेला बनाता है। शोध बताते हैं कि इसके पास 60 आकाशगंगाएं हैं। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके पास 2000 के लगभग आकाशगंगाएं होनी चाहिएं।
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