इचिंग केवल संक्रमण ही नहीं बल्कि बॉडी लाइज़ का संकेत भी हो सकती है। काले रंग के ये छोटे क्रैब्स तिल के आकार के नज़र आते हैं। जानते हैं बॉडी लाइज़ (body lice) किसे कहते हैं और इसे दूर करने के लिए किन टिप्स को करें फॉलो।
शरीर के अंगों में लगातार बढ़ने वाली इचिंग को अधिकतर लोग अवॉइड कर देते हैं। उनके अनुसार बगल, आइब्रो, दाढ़ी, ग्रोईन या योनि के आसपास खुजली मामूली इंफेक्शन का एक लक्षण होता है। मगर इचिंग केवल संक्रमण ही नहीं बल्कि बॉडी लाइज़ का संकेत भी हो सकती है। इस पर ध्यान न दिए जाने पर आर्मपिट और योनि के पास खासतौर से पनपने वाली ये समस्या धीरे धीरे गंभीर रूप धारण कर लेती है। काले रंग के ये छोटे क्रैब्स तिल के आकार के नज़र आते हैं, जो प्यूबिक एरिया पर पूरी तरह से चिपके होते हैं। अब सवाल ये है कि वेस्टलाइन और आर्मपिट पर दिखने वाले ये लाइज़ कैसे शरीर तक पहुंचते हैं, तो चलिए जानते हैं बॉडी लाइज़ (body lice) किसे कहते हैं और इसे दूर करने के लिए किन टिप्स को करें फॉलो।
बॉडी लाइस किसे कहते हैं
सेंटर फॉर डिज़ीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार बॉडी लाइस छोटे काले रंग के तिल के आकार के क्रैब्स को कहा जाता है, जो इस संक्रमण के शिकार लोगों के कपड़ों और बिस्तर पर पाए जाते हैं। प्यूबिक एरिया, आर्मपिट और चेस्ट के बालों में पाए जाने वाले ये कीटाणु बहुत जल्दी अपने अंडे देते हैं। 6 टांगों वाले ये लाइस शरीर पर पूरी तरह से चिपक जाते हैं। इनका रंग काला या गहरा लाल होता है। शरीर की हाइजीन का उचित ख्याल न रखने के कारण ये समस्या बढ़ने लगती है और धीरे धीरे पूरे शरीर पर फैल जाती है।
क्यों बढ़ने लगती है बॉडी लाइस की समस्या
इस बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ आस्था दयाल का कहना है कि लाइस एक ट्रांसफरएबल संक्रमण है। सेक्स पार्टनर, एक दूसरे के कपड़े पहनने या किसी और का बेड इस्तेमाल करने से इस समस्या का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा ह्यूमिडिटी के चलते भी इस समस्या का सामना करना पड़ता है। रोज़ न नहाने से ये समस्या बढ़ने लगती है। इसके लिए शरीर की हाइजीन का ख्याल रखना ज़रूरी है। इसके चलते आर्मपिट, इन्नर थाइज और और पुरूषों में चेस्ट पर खुजली बढ़ने लगती है। साथ ही शरीर पर बाईट के निशान नज़र आने लगते हैं।
- गंदे कपड़ों या तौलिए का प्रयोग करना
- अन्य व्यक्ति के कपड़े पहनना
- सेक्स पार्टनर से वेजाइना में बढ़ते है लाइस
- बेड, चादर या ब्लैंकिट से भी बढ़ता है लाइस का जोखिम
- योनि की हाइजीन का ख्याल न रखना
प्यूबिक लाइस से बढ़ने वाले जोखिम
1. त्वचा में बदलाव आना
सीडीसी के अनुसार वे लोग जो लंबे वक्त तक लाइस की चपेट में रहते हैं, उनकी त्वचा पर कई प्रकार के बदलाव नज़र आने लगते है। इससे स्किन थिकनिंग और डिसकलरेशन का खतरा बना रहता है। खासतौर से अपर थाइज, कमर और प्यूबिक एरिया की त्वचा के रंग में अंतर दिखता है और कालापन बढ़ने लगता है।
2. बैक्टीरियल इंफ्क्शन का फैलना
लाइस के चलते शरीर में बैक्टीरियल इंफे्क्शन का जोखिम बढ़ने लगता है। इसके चलते शरीर में टाइफस और बुखार का खतरा बना रहता है। शरीर में कमज़ोरी, थकान और आलस्य की स्थिति बनी रहती है।
3. स्किन इरिटेशन और जलन
अचानक से शारीरिक अंगों में बढ़ने वाली जलन और खुजली लाइस का संकेत होती है। इससे त्वचा पर बाइट के निशान नज़र आते हैं और प्यूबिक हेयर में खुजली बढ़ने लगती है। लाइस को जघन जूं भी कहा जाता है। इससे कपड़ों को पहनने में तकलीफ का सामना करना पउत्रता है।
लाइस से बचने के उपाय
1. कपड़े एक्सचेंज न करें
वे लोग जो अपना तौलिया, कपड़े व बेड अन्य लोगों से शेयर करते हैं। उन्हें इससे बचना चाहिए। दरअसल, लाइस तेज़ी से अपने अंडे देने लगते हैं, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। दूसरे के कपड़े पहनने और अपने कपड़े किस अन्य को देने से बचें।
2. कैजुअल सेक्स अवॉइड करें
कई लोगों के साथ सेक्सुअल कॉन्टैक्ट बनाने से लाइस की समस्या बढ़ने लगती है। इससे बचने के लिए सेक्स से पहले और बाद में प्रोटेक्शन और इंटिमेट हाइजीन का ख्याल रखें। दरअसलए लाइस सेक्सुअली ट्रांसमिटिड संक्रमण है, जो आसानी से फैल सकता है। नियमित इंटिमेट क्लीनिंग और कैजुअल सेक्स अवॉइड करके संक्रमण का जोखिम कम हो जाता है।
3. घर को डिकंटेमिनेट करवाएं
कमरों से लेकर बाथरूम तक सभी जगहों पर क्लीनिंग बेहद आवश्यक है। सभी कवर्स, तौलिए और चादरों को गर्म पानी में धोकर साफ कर लें। इससे लाइस का प्रभाव कम होने लगता है।
4. डॉक्टरी जांच करवाएं
एनआईएच के अनुसार अगर कोई व्यक्ति 15 दिनों से ज्यादा लाइस की समस्या से परेशान है, तो डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टरी जांच के बाद मेडिकेशंस बेहद आवश्यक है। इससे समस्या को खत्म करने में मदद मिलती है।