वरिष्ठ बंगाली अभिनेता और नाटककार मनोज मित्रा नहीं रहे। प्रसिद्ध बंगाली रंगमंच व्यक्तित्व मनोज मित्रा अक्सर सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर आधारित अपने नाटकों और काल्पनिक नाटकों के लिए जाने जाते थे। मनोज मित्रा ने मंगलवार सुबह कोलकाता के एक अस्पताल में उम्र संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया। वे 86 वर्ष के थे।
बंगाली दिग्गज मनोज मित्रा का निधन
अस्पताल के एक डॉक्टर ने पुष्टि की कि मनोज मित्रा का मंगलवार सुबह लगभग 8:50 बजे निधन हो गया। डॉक्टर ने बताया, उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याओं के कारण 3 नवंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और समय के साथ उनकी हालत बिगड़ती गई। दुर्भाग्य से आज सुबह वे हमें छोड़कर चले गए।
ममता बनर्जी ने जताया दुख
उनके निधन की खबर मिलने के बाद, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त की। ममता ने अपनी पोस्ट में लिखा ”आज सुबह प्रसिद्ध अभिनेता, निर्देशक और नाटककार ‘बंगा विभूषण’ मनोज मित्रा के निधन से दुखी हूं। वे हमारे थिएटर और फिल्म जगत में एक अग्रणी व्यक्तित्व थे और उनका योगदान बहुत बड़ा रहा है। मैं उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं।
दिग्गज मनोज मित्रा की फिल्मोग्राफी
उनका सबसे लोकप्रिय प्रोजेक्ट तपन सिन्हा की बंछारामर बागान है, जिसे उनके अपने नाटक सजानो बागान से रूपांतरित किया गया था। इतना ही नहीं, उन्होंने दिग्गज निर्देशक सत्यजीत रे की फिल्मों जैसे घरे बैरे और गणशत्रु में भी काम किया है। उन्होंने बंगाली फिल्मों में कई हास्य और खलनायक की भूमिकाएँ निभाई हैं। पिछले कुछ वर्षों में, उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार और प्रशंसाएँ मिली हैं, जिनमें 1985 में सर्वश्रेष्ठ नाटककार के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1980 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए फिल्मफेयर अवार्ड ईस्ट, 2012 में दीनबंधु पुरस्कार आदि शामिल हैं।
मनोज ने 1957 में नाटक में अभिनय करना शुरू किया। उन्होंने 1979 में फिल्मों में अभिनय करना शुरू किया। रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय में नाटक विभाग के प्रमुख के रूप में शामिल होने से पहले उन्होंने विभिन्न कॉलेजों में दर्शनशास्त्र भी पढ़ाया। उन्होंने पहला नाटक ‘मृत्यु खेज जल’ 1959 में लिखा था। लेकिन 1972 में नाटक ‘चक बंगा मधु’ से उनकी प्रसिद्धि और पहचान बढ़ी। नाटक का निर्देशन बिवास चक्रवर्ती ने किया। मनोज द्वारा स्थापित थिएटर ग्रुप का नाम ‘सुंदरम’ है। कभी-कभी उन्होंने ‘सुंदरम’ को छोड़कर ‘रितायन’ नामक समूह बनाया, लेकिन कुछ ही दिनों में वे ‘सुंदरम’ में लौट आए। मनोज का नाम ‘अपहरण प्रजापति’, ‘नीला’, ‘मृत्यु कहे जल’, ‘सिंहद्वार’, ‘फेरा’ जैसे कई लोकप्रिय नाटकों से जुड़ा।
मनोज ने तपन सिंह, तरूण मजूमदार, बासु चटर्जी की कई फिल्मों में काम किया। उन्होंने सत्यजीत रे द्वारा निर्देशित ‘गणशत्रु’ और ‘घरे बेयरे’ में भी अभिनय किया। इसके अलावा, मनोज कई मुख्यधारा की फिल्मों में एक जाना-पहचाना चेहरा थे। नकारात्मक भूमिका निभाने के बावजूद उन्होंने दर्शकों का सम्मान और प्रशंसा अर्जित की।
पिछले साल सितंबर में मनोज बीमार थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस वक्त सोशल मीडिया पर एक्टर की मौत की फर्जी खबर फैलाई गई थी. वह अपनी बीमारी से ठीक होकर घर लौट आए। फैंस को उम्मीद थी कि मनोज इस बार भी बीमारी पर काबू पा लेंगे लेकिन अब ऐसा नहीं हुआ। मनोज ने जीवन मंच का पर्दा खींच दिया।
Saddened by the demise of the famous actor, director and playwright, ‘Banga Bibhushan’ Manoj Mitra today morning.
He had been a leading personality in our theatre and film worlds and his contributions have been immense.
I convey my condolences to his family, friends and…
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) November 12, 2024
Renowned Veteran Actor and Playwright Manoj Mitra has passed away at the age of 86.
We pray for the peace of his departed soul. pic.twitter.com/ko3VRyJqzm— Dilip Ghosh (Modi Ka Parivar) (@DilipGhoshBJP) November 12, 2024
I am deeply saddened to learn that Veteran Actor and renowned Theatre personality Shri Manoj Mitra passed away due to age related health issues.
A notable film and theatre artiste he will be remembered for his evergreen performances in Tapan Sinha’s Banchharamer Bagan and… pic.twitter.com/xW7tWhGiiv— Suvendu Adhikari (@SuvenduWB) November 12, 2024