प्री मानसून की बारिश शुरू हो गई है। मौसम विज्ञानी चार पांच दिन बारिश का अनुमान भी जता रहे हैं। लेकिन शहर में नाला सफाई जिन एरिया के नालों की हो गई है वहां पर भी अभी तक कचरा नालों में भरा हुआ है। ऐसे में लोगों को भी अब जलभराव का डर सताने लगा है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने सैटरडे को माधोबाड़ी नई बस्ती में पहुंचकर नालों की हकीकत देखी तो नाला पूरी तरह तक कचरा से भरा हुआ था। पढि़ए पूरी रिपोर्ट।
अतिक्रमण कर रहे मुश्किल
नाला पर कब्जा करके लोगों ने वहां पर घर बना लिए हैं। ऐसे में सफाई करने के लिए नगर निगम की जब जेसीबी जाती है तो वहां नाला तक पहुंच ही नहीं पाती है। इससे सफाई कर्मचारियों को नाला सफाई करने में परेशानी आती है और लोग अतिक्रमण हटाने का विरोध करते हैं। इस विरोध के कारण वहां पर सफाई किए बगैर ही टीम वापस चली आती है। माधोबाड़ी नई बस्ती एरिया के लोगों का कहना है कि नाला की सफाई हाल ही में की गई थी लेकिन जहां पर नाला ओपन था वहां पर सफाई कर दी गई लेकिन जहां पर अतिक्रमण है वहां पर सफाई ही नहीं की। इससे नाला पूरी तरह चोक फिर से होगा।
तलीझाड़ सफाई भी नहीं
स्थानीय लोगों का कहना है कि नाला की तलीझाड़ सफाई तो उन्होंने हाल फिलहाल में करते ही नहीं देखा है। क्योंकि जब ऊपर से कचरा हटाने के लिए मशीन पूरे नाला तक नहीं पहुंचती है तो तलीझाड़ करके नाला की सफाई करना तो बहुत ही दूर की बात हो गई।
होता है जलभराव
-माधोबाड़ी एरिया में मेन नाला ही जब चोक है बारिश से पहले ही है। तो छोटी नालियों का पानी बड़े नाला में कैसे पहुंचेगा। यह कहना है लोगों का। उन्होंने बताया कि बड़ा नाला ही ठीक से साफ नहीं हुआ है। इससे लोगों अभी से जलभराव होने का डर सता रहा है।
ठेला वालों का कचरा नाली में
फड़ ठेला और रेहड़ी वाले अपना बिजनेस माधोबाड़ी में भी करते हैं। ये फड़ ठेला रेहड़ी वाले कुछ तो अपना कचरा उठाकर सही जगह पर फेंक देते हैं लेकिन कुछ ऐसे हैं जो अपना कचरा भी नाली में गिरा देते हैं। इससे नाला में पॉलीथिन और अन्य कचरा से भरा हुआ है। नाली में सिल्ट इतनी बुरी तरह भरी हुई है कि पानी का निकास तो बगैर बारिश के ही नहीं हो पा रहा है। अब ऐसे में बारिश हो भी गई तो बारिश का पानी निकास होना मुश्किल होगा। इससे लोगों के घरों में पानी भर सकता है।