बैंक विशेषकर अल्पावधि कोष को लेकर प्रयास तेज करेंगे। इसका कारण यह है कि बैंकों को वित्त वर्ष के अंतिम माह में कर भुगतान की पूंजीगत मांगों और वर्ष के अंत के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए धन की आवश्यकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े के अनुसार 26 जनवरी, 2024 की तुलना में 23 फरवरी, 2024 को समाप्त हुए पखवाड़े में जमा प्रमाणपत्रों (सीडी) से धन जुटाना 20,000 करोड़ रुपये से करीब तीन गुना से अधिक बढ़कर 60,000 करोड़ रुपये हो गया है।
इंडिया रेटिंग ऐंड रिसर्च के कोर एनालिटिकल ग्रुप के निदेशक सौम्यजीत नियोगी ने कहा कि बैंकों ने नकदी की स्थिति में सुधार को लेकर जनवरी तक इंतजार किया था।
हालांकि फिर उन्हें लगने लगा कि बेहतर ढंग से नकदी बेहतर नहीं होगी और उन्होंने जनवरी में सीडी आदि के जरिये धन जुटाना शुरू कर दिया। लिहाजा अग्रिम कर, जीएसटी और साल अंत की मांग को लेकर बैंको का धन जुटाने का रुझान कायम रह सकता है।
नियोगी ने कहा कि मार्च में बदलते परिदृश्य को लेकर आरबीआई पर्याप्त नकदी सहायता मुहैया कराने के लिए अपने नजरिये में बदलाव कर सकता है। आरबीआई के अनुसार अल्पावधि के एक अन्य तरीके वाणिज्यिक पत्र से धन जुटाना भी बढ़ा है।
यह 15 जनवरी, 2024 के पखवाड़े में 34,493 करोड़ रुपये था जबकि 31 जनवरी, 2024 के पखवाड़े की समाप्ति पर 53,532 करोड रुपये था और 15 फरवरी, 2024 को समाप्त हुए पखवाड़े में 57,900 करोड़ रुपये था। जमा प्रमाणपत्र की ब्याज दरों का बढ़ना भी यह इंगित करता है कि धन की मांग बढ़ गई है।
जमा प्रमाणपत्रों के लिए ब्याज दर का दायरा भी बढ़ा और यह 26 जनवरी, 2024 को समाप्त हुए पखवाड़े में 7.07-8.02 फीसदी से बढ़कर 23 फरवरी, 2024 को समाप्त हुए पखवाड़े में 7.17-8.22 फीसदी हो गया।
जन स्मॉल फाइनैंस बैंक के ट्रेजरी व कैपिटल मार्केट्स के प्रमुख गोपाल त्रिपाठी ने कहा कि बैंक इस महीने नकदी पर दबाव रहने के कारण बड़े स्तर पर सीडी आदि से धन जुटाएंगे। अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है और ऋणदाता मौके को भुना रहे हैं।
First Published – March 5, 2024 | 11:30 PM IST