55 कैनक्री ई-एक्सोप्लैनेट का वायुमंडल
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
वैज्ञानिकों ने हाल ही में 55 कैनक्री ई में सघन वायुमंडल को खोजा है, जो पृथ्वी से दोगुने आकार की सुपर-अर्थ है, इसकी अनूठी विशेषताएँ और एक्सोप्लेनेटरी अनुसंधान के लिये संभावित प्रभावों पर प्रकाश डालती हैं।
- 55 कैनक्री ई का वायुमंडल कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड से मिलकर बना है, हालाँकि इनकी सटीक मात्रा अभी स्पष्ट नहीं है।
- 55 कैनक्री ई का वायुमंडल पृथ्वी के वायुमंडल के विपरीत है तथा नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आर्गन और अन्य गैसों के मिश्रण से बना है।
- हम जानते हैं 55 कैनरी ई का क्वथनांक 2,300 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है, जिस कारण यह जीवन के लिये प्रतिकूल है।
- अपनी निर्जन परिस्थितियों के बावज़ूद, यह खोज घने वायुमंडल वाले अन्य चट्टानी ग्रहों को खोजने की उम्मीद प्रदान करती है जो जीवन के लिये अधिक अनुकूल हो सकते हैं।
- 55 कैनक्री ई एक एक्सोप्लैनेट है, जो 41 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है तथा इसका द्रव्यमान पृथ्वी से आठ गुना अधिक है तथा इसकी विशेषता स्थायी रूप से दिन व रात का होना है।
- यह एक सुपर-अर्थ है, जो ग्रहों का एक दुर्लभ वर्ग है तथा पृथ्वी से बड़ा है लेकिन नेपच्यून और यूरेनस जैसे बर्फीले ग्रहों की तुलना में छोटा है।
- वे गैस, चट्टान या दोनों के संयोजन से बने हो सकते हैं तथा इनका पृथ्वी के द्रव्यमान से दो से दस गुना के तक हो सकता हैं।
- निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि ग्रह की सतह पर मैग्मा महासागरों से उत्सर्जित होने वाली गैसें इसके वायुमंडल को बनाए रखने में सहायता कर सकती हैं।
- 55 कैनक्री ई की खोज से पृथ्वी और मंगल ग्रह की विकासवादी प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी मिल सकती है।
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